- हम हिंदी की अनिवार्यता को बर्दाश्त नहीं करेंगे
- रैली पर भाजपा नेताओं का हमला
मुंबई। उद्धव ठाकरे गुट (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की संयुक्त रैली में उद्धव ठाकरे ने दावा किया कि वे साथ रहने के लिए साथ आए हैं। उन्होंने कहा कि हम दोनों ने उनकी इस्तेमाल करो और फेंको नीति का कड़वा अनुभव लिया, अब हम उन्हें राजनीति से बाहर फेकेंगे। मुंबई के वर्ली डोम में आयोजित इस संयुक्त रैली में उद्धव ठाकरे ने मनसे के साथ यूबीटी के गठबंधन की घोषणा की।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि कई सालों बाद राज ठाकरे और वे एक साथ सार्वजनिक मंच पर मिले। हम सभी ने उनकी उपलब्धियां देखी हैं। हर बार यह सवाल उठाया गया था कि क्या हम एक साथ आएंगे। अब हम साथ आए हैं, लोग हमें तोड़ने की कोशिश करेंगे। आरोप लगाया जा रहा है कि हमारा मिलन मराठी के लिए नहीं बल्कि नगर निगम के लिए है। हालांकि, हम सत्ता के लिए नहीं बल्कि मराठी के लिए साथ आए हैं। वे हमारे बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम मराठी भाषा की पालकी के कहार बनेंगे और मराठी भाषा को पालकी में बिठाएंगे। हम किसी दूसरी भाषा के खिलाफ नहीं लेकिन हम हिंदी की अनिवार्यता को बर्दाश्त नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री रहते हिंदी को अनिवार्य नहीं किया था।
उद्धव ने कहा कि यदि आप मराठी लोगों के लिए न्याय की मांग करने वालों को गुंडे कहते हैं,तो हम गुंडे हैं। उद्धव ठाकरे ने सवाल किया कि यदि आपको महाराष्ट्र में बालासाहेब ठाकरे का समर्थन नहीं होता तो क्या हमें हिंदुत्व सिखाने वाले सत्ता में होते? एकजुट होना जरूरी है जैसा कि हमने संयुक्त महाराष्ट्र समिति के दौरान किया था। उद्धव ठाकरे ने भाजपा के मराठी लोगों से भी एक साथ आने की अपील की। राज ठाकरे ने अपने भाषण में सत्तारूढ़ दल को कठोर संदेश दिया। उन्होंने कहा कि मराठी अभिमान में जरा भी कमी नहीं आई है।
राज ठाकरे ने अपील करते हुए कहा कि मराठी एकता भविष्य में भी जारी रहनी चाहिए। वहीं भाजपा नेता अशीष शेलार और विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) प्रवीण दरेकर ने इस रैली पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। आशीष शेलार ने कहा- यह भाषा प्रेम नहीं, बल्कि सिर्फ एक राजनीतिक ड्रामा था। 'जो भाई कभी घर से निकाला गया, अब उसे वापस गले लगाया जा रहा है ये सब सिर्फ भाजपा से डर और आगामी चुनावों की चिंता के चलते किया गया।'
उन्होंने आरोप लगाया कि ठाकरे बंधु बीएमसी (मुंबई नगर निगम) की सत्ता दोबारा हासिल कर 'भ्रष्ट शासन' शुरू करना चाहते हैं। वहीं प्रवीण दरेकर ने कहा- यह कार्यक्रम भाषा के नाम पर नहीं, बल्कि एक साफ-सुथरा राजनीतिक स्टंट था। 'उद्धव ठाकरे की बातों में हताशा और सत्ता खोने का दुख साफ झलक रहा था।' उन्होंने दावा किया कि मराठी मतदाता पहले ही भाजपा और महायुति को समर्थन दे चुके हैं।
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