भोपाल । टीबी मुक्त भारत अभियान को विस्तार देते हुए आज (एक जून) से राजधानी भोपाल समेत पूरे प्रदेश में सघन टीबी मुक्त भारत अभियान संचालित किया जाएगा। अभियान का उद्देश्य उच्च जोखिम वाले मरीजों की स्क्रीनिंग, जांच और उपचार प्रदान करना है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि इसके पूर्व प्रदेश के 23 उच्च-प्राथमिकता वाले जिलों में 100 दिवसीय निक्षय शिविरों का आयोजन 7 दिसंबर से 25 मार्च तक किया गया था। अभियान में मधुमेह के मरीजों, कुपोषित, धूम्रपान करने वाले, शराब सेवन करने वाले, पूर्व टीबी मरीज, संपर्क व्यक्ति और एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को लक्षित किया जा रहा है। लक्षण वाले मरीजों में एनएएटी एवं एक्स-रे जैसी आधुनिक तकनीकों से जांच की जाएगी। भारत को 2030 तक टीबी उन्मूलन किया जाना है।
उन्होंने बताया कि अभियान के माध्यम से टी बी दर में 80% कमी (43 प्रति लाख ) , मृत्यु दर में 90% कमी लाना है एवं टी बी मरीज पर आ रहे आर्थिक बोझ को शून्य करना है। मध्य प्रदेश ने 3000 प्रति लाख प्रति वर्ष की राष्ट्रीय वार्षिक औसत दर के लक्ष्य के मुकाबले 3342 प्रति लाख जनसंख्या प्रति वर्ष की वार्षिक अनुमानित टीबी परीक्षण दर हासिल की है। साथ ही वर्ष 2024 में भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य 1.90 के विरुद्ध 1.81 टी बी के मरीजों को चिह्नांकित कर उचित उपचार प्रदान किया जा चुका है। जिसमे उपचार सफलता दर 87% रही है। सरकार द्वारा डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से सहायता राशि सीधे मरीजों के खातों में भेजी जा रही है। प्रत्येक टीबी मरीज को 1,000 रुपये प्रति माह पोषण आहार हेतु दिए जा रहे हैं। विशेष रूप से आदिवासी विकासखंडों के रोगियों को उपचार समाप्ति के पश्चात 750 रुपये अतिरिक्त सहायता भी प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त, निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को भी आवश्यक भुगतान की व्यवस्था की गई है। टीबी मुक्त भारत अभियान के 100 दिवसीय निक्षय शिविर अभियान के दौरान प्रदेश के कुल 23 जिलों में लगभग 7814791 उच्च जोखिम आबादी की टी बी हेतु स्क्रीनिंग की गई। अभियान में 18710 नवीन निक्षय मित्र बनाए गए, 28664 फूड बास्केट वितरित की गई।
अभियान के अंतर्गत 30410 टी बी मरीजों को राशि DBT के द्वारा प्रदान की गई। इस दिशा में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। जिले में 77 पंचायतें टी बी मुक्त घोषित हो चुकी हैं। "टीबी मुक्त पंचायत" अभियान न केवल पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बना रहा है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य के प्रति जन-जागरूकता एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा दे रहा है। इस महाअभियान में जनप्रतिनिधिगण, कॉर्पोरेट हाउस, जिला कलेक्टर एवं अनेक अधिकारी सक्रिय रूप से सहभागी बन चुके हैं।
अभियान के तहत पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों, स्व-सहायता समूहों, जन आरोग्य समिति, महिला आरोग्य समिति, ग्राम स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता समिति के साथ मिलकर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। नए निक्षय मित्रों और टीबी चैंपियंस/विजेताओं की पहचान की जाएगी ताकि उनकी सहभागिता से अभियान को और गति दी जा सके। त्योहारों और मेलों के दौरान धार्मिक गुरुओं के माध्यम से जागरूकता संदेश प्रसारित किए जाएंगे और स्कूलों और कॉलेजों में कला और सांस्कृतिक गतिविधियाँ, रैलियाँ आयोजित की जाएंगी। इसके अलावा, टीबी शपथ के आयोजन, स्वास्थ्य विभाग के अलावा अन्य सरकारी विभागों में "नि-क्षय सप्ताह" के आयोजन के तहत जागरूकता सत्र, निक्षय शिविर, प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएंगी।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तिवारी ने बताया कि अभियान के तहत विभिन्न शिविरों का आयोजन प्रमुख सार्वजनिक स्थानों जैसे रेलवे और बस स्टेशनों, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों और स्वास्थ्य केंद्रों पर किया जाएगा। नि-क्षय शिविरों का आयोजन कारखानों, उद्योगों, ईंट भट्टों, निर्माण स्थलों, क्रेशरों पर किया जायेगा, ताकि श्रमिक वर्ग और अन्य संवेदनशील वर्गों तक इस अभियान का लाभ पहुँच सके।
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