जैसलमेर में भारतीय सेना ने नहर पर 15 मिनट में पुल बना दिया। इतना ही नहीं दुर्गम इलाकों में बारूदी सुरंगों को हटाकर रास्ता भी बना दिया। सटीकता, गति और दृढ़ संकल्प इन 3 बातों पर ध्यान देते हुए सेना ने 'ऑपरेशन ड्रिल' के नाम से अभ्यास किया। इस अभ्यास में 100 से अधिक सैनिकों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। भारत-पाकिस्तान में संघर्ष विराम के बाद भी भारतीय सेना का 'ऑपरेशन सिंदूर' जारी है। इसके तहत भारतीय सेना मजबूत इरादों और बुलंद हौसलों के साथ मैदान में तैनात है। खुद को अपग्रेड करने के साथ ही सेना अपनी ताकत को और भी मजबूत करने के लिए लगातार अभ्यास भी कर रही है।
ब्लैक मेस ब्रिगेड ने किया प्रदर्शन
भारतीय सेना की ब्लैक मेस ब्रिगेड ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर अपनी इंजीनियरिंग क्षमता का प्रदर्शन किया। इस अभ्यास में सेना ने इंजीनियरिंग कार्यों के लिए सटीकता और गति के साथ अपने संकल्प का प्रदर्शन किया, जो भारतीय सेना की ऑपरेशनल तत्परता को दर्शाता है। इस अभ्यास का नारा था 'मेजर, प्रिसाइस और परसिस्टेंट'। रेगिस्तान की तपती रेत पर भारतीय सेना की ब्लैक मेस ब्रिगेड ने युद्ध जैसी तैयारी का परिचय देते हुए ऑपरेशनल ड्रिल में पुल निर्माण, हेलीपैड निर्माण, पथ निर्माण, मूवमेंट और फील्ड डिप्लॉयमेंट का बेजोड़ प्रदर्शन किया। यह महज एक ब्रिगेड नहीं, सेना की तकनीकी रीढ़ है, जिसने दिखा दिया कि भारत हर परिस्थिति में पूरी तरह तैयार है।
बेहतरीन इंजीनियरिंग का किया प्रदर्शन
रेगिस्तान की तपती रेत, तपती दोपहर और चारों तरफ सिर्फ सैन्य शोर। दरअसल यह कोई युद्ध नहीं, लेकिन किसी युद्ध से कम भी नहीं है। राजस्थान के सीमावर्ती इलाके में भारतीय सेना की ब्लैक मेस ब्रिगेड ने ऐसा युद्ध अभ्यास किया, जिसे देखकर देश का हर नागरिक गर्व से फूला नहीं समाया। इस ड्रिल में सिर्फ बंदूकें ही नहीं गरजीं, यहां रणनीति, तकनीक, गति और सटीकता का असली प्रदर्शन हुआ। यह महज रिहर्सल नहीं, बल्कि साफ संदेश था कि भारतीय सेना हर परिस्थिति में कार्रवाई के लिए तैयार है इस अभ्यास का मुख्य आधार इंजीनियरिंग कार्यो को बनाया गया।
नहर पर पुल बनाया, हेलीपैड तैयार किए
सेना ने चुटकियों में पुल बनाए, रेतीले मैदानों में भारी वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित की और सीमित संसाधनों के बावजूद हेलीपैड निर्माण और फील्ड डिप्लॉयमेंट की ऐसी मिसाल कायम की जो पूरी दुनिया के लिए सबक है। ब्लैक मेस ब्रिगेड ने दिखा दिया कि परिस्थिति कैसी भी हो, भारतीय सेना न सिर्फ मोर्चा संभाल सकती है बल्कि उसे नियंत्रित भी कर सकती है। इस अभ्यास का फोकस 3 शब्दों पर था- सटीकता, गति और दृढ़ता।
बारूदी सुरंगों का पता लगाया और उनका निपटान किया
सेना ने इस अभ्यास में अपनी तकनीकी दक्षता का जोरदार प्रदर्शन किया। आधुनिक मशीनरी, संचार साधनों और सामरिक इकाइयों के बेहतरीन समन्वय ने साबित कर दिया कि युद्ध सिर्फ ताकत से नहीं बल्कि सूझबूझ और व्यवस्था से भी जीता जाता है। रेगिस्तान की चुनौतियों के बीच फील्ड मैनेजमेंट और रिस्पॉन्स टाइम ने दिखा दिया कि भारतीय सेना सिर्फ सीमा पर ही नहीं, बल्कि तकनीक और इंजीनियरिंग में भी सबसे आगे है। सेना के जवानों ने अपनी बेहतरीन इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन किया, चाहे रेगिस्तान में सेना के वाहनों के लिए रास्ता बनाना हो या फिर जमीन में दबी बारूदी सुरंगों को ढूंढकर उनका निपटान करना हो। ब्लैक मेस ब्रिगेड ने यह सब सटीक तरीके से करके जो किया, वह महज सैन्य अभ्यास नहीं था, बल्कि भारत की सामरिक क्षमता, मनोबल और प्रतिबद्धता का जीवंत प्रदर्शन था।
दुर्गम इलाकों में सेना के लिए मददगार
इस अभ्यास के जरिए भारतीय सेना ने साबित कर दिया कि वह किसी भी आपातकालीन स्थिति में महज कुछ घंटों में दुर्गम इलाकों में तैनात हो सकती है और जरूरी बुनियादी ढांचे का निर्माण करके दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता रखती है। हर जवान का जोश, हर अफसर की रणनीति और हर साजो-सामान की तैयारी ने साबित कर दिया कि देश की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। भारतीय सेना आज की ही नहीं, बल्कि भविष्य की लड़ाइयों के लिए भी तैयार है। ये तैयारियां महज दिखावे के लिए नहीं, बल्कि कार्रवाई में तब्दील होने के लिए हैं। ब्लैक मेस ब्रिगेड ने दिखा दिया है कि भारतीय सेना अडिग, अजेय और राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित है। यह अभ्यास इस बात का ऐलान है कि भारतीय सेना भारत की रेत जितनी शक्तिशाली है। ये सिर्फ एक अभ्यास नहीं है, ये भारत की निर्णायक शक्ति का परिचय है और जब बात देश की आती है तो भारतीय सेना का हर कदम दुश्मन के लिए चेतावनी है।
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