राजस्थान में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बीच एक बार फिर जुबानी जंग छिड़ गई है। हाल ही में झालावाड़ जिले में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई थी, जिसके बाद से दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर आक्रामक हमले शुरू कर दिए हैं। यह विवाद शिक्षा व्यवस्था की स्थिति और सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत को लेकर है, जिसे लेकर दोनों नेताओं के बयान सामने आए हैं।
मदन दिलावर का आरोप - कांग्रेस सरकार पर जिम्मेदारी
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने झालावाड़ हादसे के बाद राज्य में स्कूलों की जर्जर स्थिति के लिए अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली पूर्व कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने स्कूलों के पुनर्निर्माण और सुधार की दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए, जिसके कारण स्कूलों की हालत ऐसी हुई। दिलावर ने इस हादसे को पूर्व कांग्रेस सरकार की लापरवाही का परिणाम बताया और कहा कि उनकी सरकार अब इस स्थिति को सुधारने के लिए तेजी से काम कर रही है।
गोविंद सिंह डोटासरा का पलटवार - शिक्षा मंत्री की प्राथमिकताएं सवालों के घेरे में
वहीं, गोविंद सिंह डोटासरा ने मदन दिलावर पर जमकर हमला किया। डोटासरा ने आरोप लगाया कि शिक्षा मंत्री की प्राथमिकता शिक्षा में सुधार नहीं, बल्कि केवल पेड़ लगाने जैसी फिजूल गतिविधियों पर है। उन्होंने कहा, “मदन दिलावर ने पिछले डेढ़ साल से पेड़ लगाने में ज्यादा ध्यान दिया है, जबकि राज्य के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा साफ तौर पर दिख रही है। अगर दिलावर को शिक्षा व्यवस्था की गंभीरता का एहसास होता, तो स्कूलों की यह हालत नहीं होती।” डोटासरा ने शिक्षा मंत्री के कार्यों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को शिक्षा व्यवस्था के सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए थे।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह जुबानी जंग अब शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे को लेकर गहरा विवाद बन गया है। एक ओर जहां शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पूर्व कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं गोविंद सिंह डोटासरा ने मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। दोनों नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप से यह साफ होता है कि राजस्थान में शिक्षा सुधार के लिए दोनों पार्टियों के बीच ठनी हुई है।
राज्य के सरकारी स्कूलों में खराब इन्फ्रास्ट्रक्चर, जर्जर भवन और सुविधाओं की कमी एक लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है। पिछले महीने झालावाड़ में हुई इस दुखद घटना ने इस समस्या को और ज्यादा उजागर किया है। इसके बावजूद, राज्य सरकार और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते हुए अपनी-अपनी भूमिका से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
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