प्रशासन को फिर से पहल करनी होगी
पूर्व कलक्टर जितेंद्र सोनी ने यहां साइकिल ट्रैक की संभावनाएं तलाशी थी। सर्वे भी कराया था, लेकिन वह धरातल पर नहीं आ पाया। सर्वे में क्या निकलकर आया, यह बातें भी सार्वजनिक नहीं की गई। अब इस ओर प्रशासन को फिर से पहल करनी चाहिए।
यहां साइकिल ट्रैक की संभावनाएं
हसन खां मेवात नगर से लेकर कटी घाटी तक की लंबाई करीब 8 किमी है। इस मार्ग पर दोनों ओर फुटपाथ बने हैं। इसी के साथ या इसी को साइकिल ट्रैक में परिवर्तित किया जा सकता है। इस रास्ते में जेल चौराहा, अंबेडकर चौक, बिजलीघर, नंगली सर्किल, एसएमडी, मोती डूंगरी, भवानी तोप, मालवीय नगर आदि एरिया आते हैं। यही मार्ग सबसे व्यस्ततम हैं।
इसी के साथ हनुमान सर्किल, सामोला, ईटाराणा, काली मोरी, एसएमडी चौक, ज्योतिबा फुले चौक, परशुराम चौक से भूरा सिद्ध मंदिर ।
काली मोरी से लेकर रेलवे स्टेशन, कला कॉलेज होते हुए जेल सर्किल तक।
मनु मार्ग, नयाबास चौक, कालाकुआं, विवेकानंद नगर को जोड़ा जा सकता है।
वैशाली नगर, सूर्य नगर को हनुमान चौक से जोड़ा जा सकता है।
अग्रसेन चौक से 60 फीट व 200 फीट मार्ग पर भी संभावनाएं
ये फार्मूला भी अपना सकते हैं
यूआईटी से सेवानिवृत्त एक्सईएन प्रमोद शर्मा का कहना है कि साइकिल ट्रैक की शहर में काफी संभावनाएं हैं। प्रमुख रास्तों के अलावा आरआर कॉलेज, कला कॉलेज व बड़े अस्पतालों के पास भी बैरिकेड करके साइकिल ट्रैक बनाए जा सकते हैं। यूआईटी अपनी कॉलोनियों में इसे सफल बना सकती हैं, जिसमें अंबेडकर नगर, विज्ञान नगर, शालीमार नगर, बुद्ध विहार आदि शामिल हैं। स्कीम नंबर 2 से लेकर अन्य कॉलोनियों के पार्कों के चारों ओर भी छोटे-छोटे साइकिल ट्रैक शारीरिक अभ्यास के लिए बनाए जा सकते हैं। जिम का प्रावधान पार्कों में है, लेकिन उपकरण 6 माह भी नहीं चल पाते। साइकिल ट्रैक बाहर होगा तो खूब चलेगा।
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