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राजस्थान के सरकारी स्कूलों में भी अब दिखेगा प्राइवेट स्कूल जैसा माहौल, डिजिटल प्रवेशोत्सव से मिलेगा नया अनुभव

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सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग ने नया सत्र शुरू होने से पहले ही कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिक्षित राजस्थान अभियान शुरू किया गया है, जिसमें डिजिटल प्रवेशोत्सव के जरिए सरकारी स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन और बच्चों के उपस्थित रहने पर जोर दिया जा रहा है। पहला चरण 15 अप्रैल से 16 मई तक चलाया जाएगा। इसके बाद दूसरा चरण 1 जुलाई से 18 अगस्त तक चलेगा। संबंधित स्कूल के क्षेत्र में उस स्कूल के शिक्षक घर-घर जाकर हाउसहोल्ड सर्वे करेंगे। शिक्षक एप के जरिए 3 से 18 साल तक के बच्चों को प्रवेश मिलेगा। बताया जा रहा है कि नागौर जिले में फिलहाल 2998 प्राथमिक और उच्च माध्यमिक स्कूल हैं, जिनमें यह डिजिटल प्रवेशोत्सव चल रहा है। इन स्कूलों में 3 लाख से ज्यादा बालक-बालिकाएं अध्ययनरत हैं।

प्रवेशोत्सव में देरी का पड़ता है असर
निजी स्कूलों में प्रवेशोत्सव अप्रैल में ही शुरू हो जाता है और पढ़ाई भी जल्दी शुरू हो जाती है। जबकि सरकारी स्कूलों में वार्षिक परीक्षाएं मई तक होती हैं। जुलाई में नया सत्र शुरू होता है। वहां बच्चों को अधिक सुविधाएं मिलती हैं। यही कारण है कि लोगों का सरकारी स्कूलों से मोहभंग हो रहा है। जबकि सरकार प्रत्येक बच्चे पर कई हजार रुपये खर्च करती है और उन्हें सरकारी स्कूलों से जोड़े रखने के लिए योजनाएं चलाती है।

सर्वे में इन पर रहेगा विशेष ध्यान
विभाग ने सरकारी स्कूलों के दायरे में आने वाले सभी बच्चों को स्कूल से जोड़ने पर जोर दिया है। इसमें अनामांकित व ड्रॉपआउट बच्चे, प्रवासी मजदूरों के बच्चे व बाल श्रम से मुक्त हुए बच्चों के साथ ही आंगनबाड़ी के बच्चों को जोड़ा जाएगा। सर्वे के दौरान शिक्षक अपने साथ स्कूल की विभिन्न उपलब्धियां जैसे बोर्ड परीक्षा परिणाम, स्कूल में सुविधाएं व पूर्व छात्रों की उपलब्धियों के पंपलेट आदि लेकर जाएंगे। प्रवेशोत्सव व हाउसहोल्ड सर्वे की साप्ताहिक मॉनिटरिंग होगी। गौरतलब है कि वर्तमान में जिले में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 3.13 लाख है।

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