बांसवाड़ा जिले के कुंडल गांव में पानी की कमी ने न सिर्फ ग्रामीणों का जीवन नरक बना दिया है, बल्कि युवाओं के सपनों को भी चकनाचूर कर दिया है। माही नदी में भरपूर पानी होने के बावजूद छोटी सरवन उपखंड का यह गांव गर्मियों में पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसता है। गांव के युवक महेश का दर्द है, 'मैं ग्रेजुएट हूं, लेकिन पानी की कमी के कारण मेरी शादी नहीं हो पा रही है। शादी के लिए रिश्ते आते हैं, लेकिन पानी की हालत देखकर लोग लौट जाते हैं।' यह दुख सिर्फ महेश का ही नहीं, बल्कि गांव के हर अविवाहित युवक का है।
प्यास ने तोड़ दी शादी की उम्मीदें
70 घरों और 300 लोगों वाले इस गांव में ग्रामीणों और सैकड़ों मवेशियों की प्यास बुझाने का एकमात्र साधन एक मात्र हैंडपंप है। गर्मियों में कुएं और जलाशय सूख जाते हैं और ज्यादातर हैंडपंप खराब हो जाते हैं। महिलाएं दो किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाती हैं, यही वजह है कि रिश्तेदार यहां अपनी बेटियों की शादी करने से कतराते हैं। युवा रमेश ने आंसुओं के साथ कहा, 'कई बार मन करता है कि पलायन कर जाऊं, लेकिन मेरे माता-पिता को पानी कौन पिलाएगा?' पानी की यह कमी शारीरिक ही नहीं, भावनात्मक बोझ भी बन गई है, जो युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है।
ड्रम में बंद पानी, ताले में बंद उम्मीदें
गर्मियों में हालात इतने भयावह हो जाते हैं कि गांव वाले पानी को ड्रम में बंद कर देते हैं, ताकि हर बूंद कीमती हो जाए। पीने से लेकर नहाने और मवेशियों के लिए इस पानी का इस्तेमाल होता है। ग्रामीणों ने बताया कि हर घर नल योजना कागजों तक सीमित रह गई है। पीएचईडी विभाग से बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ। एक बुजुर्ग महिला ने रोते हुए कहा, 'हमारा जीवन पानी तक सीमित हो गया है।'
सरकार से अपील, कब निकलेगा समाधान?
कुंडल गांव के लोग सरकार से स्थायी समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। पानी की कमी ने न सिर्फ उनकी रोजमर्रा की जिंदगी बल्कि सामाजिक रिश्तों को भी तोड़कर रख दिया है। अब समय आ गया है कि सरकार इस गांव की प्यास और युवाओं की अधूरी उम्मीदों को गंभीरता से ले, ताकि कुंडल में फिर से खुशियों की बयार बहे।
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