कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर से देश में उत्साह का माहौल है। हर कोई भारतीय सेना के जरिए पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कर रहा है। दोनों देशों के बीच उपजे हालात के चलते कपड़ा व्यापारियों ने दुबई से आने वाले 100 करोड़ के कपड़े के ऑर्डर को स्थगित कर दिया है। दुबई के कपड़ा व्यापारियों ने यात्रा स्थगित कर भारत आने से मना कर दिया है। पाकिस्तान को तुर्की का समर्थन मिलने से तुर्की से होने वाले 600 करोड़ से ज्यादा के कपड़ा कारोबार पर भी असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि भीलवाड़ा से हर साल दुबई में 600 करोड़ का कपड़ा और तुर्की में 600 करोड़ का धागा कारोबार होता है।
दुबई से एक दर्जन देशों में जाता है हमारा कपड़ा
भीलवाड़ा के कपड़ा व्यापारी दुबई के जरिए एक दर्जन से ज्यादा अफ्रीकी देशों में कारोबार करते हैं। बढ़ते तनाव के चलते फिलहाल दुबई से रिश्ते कमजोर हो गए हैं। वहां के कपड़ा व्यापारी नहीं आ रहे हैं। भीलवाड़ा से कपड़ा निर्यात भी बंद हो गया है। दुबई के जरिए पाकिस्तान, युगांडा, केन्या, सूडान, इथियोपिया, लीबिया, तंजानिया, यमन, सोमालिया, अफगानिस्तान समेत अन्य देशों को कपड़ा निर्यात किया जाता है, लेकिन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई घटना के बाद दुबई से व्यापार ठप हो गया है। बड़े व्यापारी पहले ही हाथ खींच चुके हैं। ऐसे में मानसून से पहले इन देशों से मिलने वाले सभी ऑर्डर फिलहाल टाल दिए गए हैं।
भीलवाड़ा से तुर्की को धागा निर्यात होता है
तुर्की अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान को हथियार मुहैया करा रहा है। अगर तुर्की सीधे तौर पर आगे आता है तो भीलवाड़ा का कपड़ा प्रभावित होगा। भीलवाड़ा में बनने वाले धागे की तुर्की में काफी मांग है। भीलवाड़ा की स्पिनिंग इकाइयों में रोजाना 1100 टन से ज्यादा धागा तैयार होता है। यहां से करीब 600 करोड़ का धागा तुर्की को निर्यात किया जाता है। तुर्की बहुत बड़ा कपड़ा केंद्र है। तुर्की में तैयार कपड़ा यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता है। ऐसे में भीलवाड़ा के कपड़ा उद्यमी तुर्की से नाता तोड़ सकते हैं।\
पहले अपना देश, फिर व्यापार
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण भीलवाड़ा का कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ है। पाकिस्तान बार-बार आतंकी हमले करता रहता है। उसे सबक सिखाने का यह मौका है। पूरा देश सरकार के साथ है। भीलवाड़ा के कपड़ा उद्यमी भी केंद्र सरकार के साथ एकजुट होकर खड़े हैं। पहले अपना देश, फिर व्यापार।
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