सैनिक के भाई श्रीराम और पिता मोटाराम कस्वां आदि ने रामस्वरूप को शहीद दर्जा दिए बिना पार्थिव देह की अंत्येष्टि नहीं करने की बात कही। लोग बुधवार को मामले को लेकर पत्र जारी करने वाले जिला सैनिक कल्याण अधिकारी को हटाने की मांग भी कर रहे हैं। शहीद स्मारक पर नोखा विधायक सुशीला डूडी पहुंचीं और सरकार से विषम परिस्थिति वाले जमू-कश्मीर क्षेत्र में ड्यूटी पर तैनात सैनिक रामस्वरूप को मृत्युपरांत शहीद का दर्जा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी होने से पहले ही शहादत को आत्महत्या करार देने वाले अधिकारी पर सरकार तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई करे। नोखा के पूर्व विधायक बिहारीलाल बिश्नोई और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी प्रकरण में केन्द्र और राज्य सरकार से कोर्ट ऑफ इंक्वायरी शीघ्र पूरी कर पार्थिव देह की सैन्य समान के साथ अंत्येष्टि कराने की मांग की। धरने पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री गोविन्दराम मेघवाल व श्रीडूंगरगढ़ के पूर्व विधायक गिरधारीलाल महिया, केडली व पांचू क्षेत्र के ग्रामीण जनप्रतिनिधि पहुंचे।
प्रशासन के साथवार्ता टूटी
सीताराम सियाग ने बताया कि जिला प्रशासन के साथ प्रतिनिधिमंडल की कलक्ट्रेट में वार्ता हुई। इसमें जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि और पुलिस अधीक्षक कावेन्द्र सिंह सागर शामिल हुए। इसमें जिला सैनिक कल्याण अधिकारी पर 24 घंटे बीत जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर रोष जताया गया। वार्ता में कोई सहमति नहीं बनने पर सभी वापस स्मारक स्थल लौट आए। वार्ता में विधायक सुशीला डूडी, गोविन्दराम मेघवाल, शिवलाल गोदारा, सैनिक के भाई श्रीराम, पांचू के पप्पूराम आदि शामिल हुए।
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