पहली बार टेस्ट क्रिकेट फ़ॉर्मेट में कप्तानी कर रहे 25 साल के शुभमन गिल युवा खिलाड़ियों से भरी टीम के साथ इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेलने उतरे.
टॉस हारने के बावजूद उन्होंने हेडिंग्ले में पांच मैचों की टेस्ट सिरीज़ के पहले टेस्ट में शुरुआती दिन का खेल जीत लिया. दिन का खेल ख़त्म होने तक भारत का स्कोर 359 रन पर 3 विकेट रहा.
पहले दिन इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने दो नई गेंदों का इस्तेमाल किया लेकिन 85 ओवर में सिर्फ़ तीन विकेट ही ले पाए. इस दौरान भारत की तरफ़ से दो शतकीय साझेदारियां और शायद मैच का रुख़ तय कर देने वाली 91 रन की ओपनिंग साझेदारी देखने को मिली. इस तरह युवाओं की इस नई टीम इंडिया ने अपना दबदबा दिखाया.
इंग्लैंड में इन दिनों गर्मियां हैं और इस मौसम में टेस्ट क्रिकेट तब और अच्छा लगता है जब सूरज चमक रहा हो. लेकिन भारत की बल्लेबाज़ी ने इसे और भी ख़ास बना दिया.
एक सच्चे लीडर की तरह गिल ने मोर्चा संभाला और शानदार नाबाद 129 रन बनाए.
मैच से पहले प्रेस कॉन्फ़्रेंस में गिल ने खुलकर कहा था कि वह इस सिरीज़ को 'सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़' के तौर पर ख़त्म करना चाहते हैं. उन्होंने अपनी मंशा दिखाते हुए टेस्ट कप्तान के रूप में डेब्यू पर शतक बनाने वाले चौथे भारतीय कप्तान का गौरव हासिल किया.

इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने टॉस जीतकर भारत को बल्लेबाज़ी के लिए बुलाया था.
युवा, अनुभवहीन और बदलाव के दौर से गुज़र रही इस टीम के लिए हालात ख़राब हो सकते थे क्योंकि भारत के तीन बड़े मैच विजेता - रविचंद्रन अश्विन, रोहित शर्मा और विराट कोहली संन्यास ले चुके हैं.
सूरज चमकने के बावजूद गेंद में हरकत थी और स्टोक्स को लगा था कि मैच का अंजाम हेडिंग्ले के पिछले छह मैचों जैसा ही होगा, जिनमें पहले गेंदबाज़ी करने वाली टीम जीती थी.
लेकिन भारतीय ओपनिंग जोड़ी - यशस्वी जायसवाल (101) और केएल राहुल (42) ने बेहद समझदारी से खेला. चौथे स्टंप और उससे बाहर की गेंदों को छोड़ दिया और जो उनकी रेंज में आईं, उन पर रन बटोरे.
एक गर्म दिन में जो बात सबसे ख़ास रही वो थी दोनों ओपनरों का आत्मविश्वास. रन भी तेज़ गति से आए - 15 ओवर में बिना विकेट खोए 52 रन बन गए.
इंग्लिश गेंदबाज़ी में अनुभव की कमी ने भी भारत की मदद की. दोनों ओपनिंग गेंदबाज़ - क्रिस वोक्स और ब्रायडन कार्स को ऑफ़ स्टंप की लाइन पर गेंदबाज़ी करनी चाहिए थी लेकिन वे बार-बार चौथे या पांचवें स्टंप पर गेंद डालते रहे.
हेडिंग्ले पर लेंथ सबसे अहम होती है और यह इंग्लैंड के अधिकतर मैदानों की तुलना में ज़्यादा फ़ुलर होनी चाहिए, लेकिन ज़्यादातर मौकों पर यह भी नदारद रही.
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23 साल के यशस्वी जायसवाल ने एकाग्रता दिखाई, वहीं केएल राहुल का खेल सही तकनीक का अच्छा उदाहरण था.
वोक्स के लगातार दो ओवरों में राहुल ने घुटना मोड़कर दो शानदार कवर ड्राइव खेले. बाद में 16वें ओवर में जब स्टोक्स ख़ुद गेंदबाज़ी करने आए, तो राहुल ने वैसा ही एक और बेहतरीन शॉट खेला.
बाएं हाथ के युवा बल्लेबाज़ जायसवाल ने जोश टंग (जो अपना चौथा टेस्ट खेल रहे थे) को निशाना बनाया. उनके पहले ही ओवर में जायसवाल ने स्ट्रेट ड्राइव शॉट खेलते हुए चौका जड़ा. अगले ओवर में फिर जायसवाल ने ज़ोरदार सीधा शॉट खेलकर चौका लगाया.
भारत की इस बेहतरीन ओपनिंग साझेदारी का अंत कार्स ने किया. उन्होंने राहुल को 42 रन पर आउट कर दिया. पहले एक बाउंसर डाला, फिर लगातार दो फुल गेंदें बाहर की ओर स्विंग कराईं. दूसरी गेंद छठे स्टंप की ओर ज़्यादा फुल थी जिस पर राहुल का बल्ला घूम गया और गेंद किनारा लेकर स्लिप में जो रूट के हाथों में चली गई. भारत का स्कोर 24.5 ओवर में 91 रन पर एक विकेट हो गया.
एक ओवर बाद, लंच से ठीक पहले भारत को दूसरा झटका लगा. डेब्यू कर रहे साई सुदर्शन बिना खाता खोले आउट हो गए. स्टोक्स ने लेग साइड पर दो लेग स्लिप लगाकर जाल बिछाया था. साई ने गेंद को लेग साइड में खेला लेकिन विकेटकीपर जेमी स्मिथ ने दाईं ओर डाइव लगाकर शानदार कैच पकड़ लिया. भारत की पारी में यह एकमात्र ग़लती साबित हुई.
लंच से ठीक पहले 10 मिनट में दो विकेट गिरने से मैच का रुख इंग्लैंड की तरफ़ जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और भारत के दो नए दौर के बल्लेबाज़ों की हिम्मत ने टीम को संभाल लिया.
कप्तान गिल ने शांति से खेला और एक-एक रन लेकर अपनी पारी को आगे बढ़ाया. फिर 32वें ओवर में उन्होंने वोक्स की लगातार दो गेंदों पर चौके मारे - एक सीधा ज़ोरदार शॉट और दूसरा मिडविकेट की ओर फ़्लिक शॉट.
दूसरी ओर, जायसवाल ने निडर होकर खेल दिखाया. उन्होंने ऑफ़ साइड की तरफ़ बैकफ़ुट और फ्रंटफ़ुट पर खेलते हुए चौके मारे. 41वें ओवर में उन्होंने जोश टंग की गेंद पर पॉइंट के ऊपर से छक्का मारा. वोक्स की गेंदों पर भी उन्होंने सुंदर कवर ड्राइव खेलकर चौके लगाए.
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आठ ओवर बाद, जायसवाल ने कार्स की गेंदों पर जमकर रन बटोरे. उन्होंने ऑफ़ साइड में तीन चौके मारे और फिर गली की ओर खेलकर एक रन लिया, जिससे उनका पांचवां टेस्ट शतक पूरा हुआ. यह उनका किसी टेस्ट सिरीज़ के पहले मैच में तीसरा शतक था — पहला वेस्टइंडीज में, दूसरा ऑस्ट्रेलिया में और अब तीसरा इंग्लैंड में.
आख़िरकार वह 101 रन पर आउट हो गए. स्टोक्स की इनस्विंग गेंद पर उनके स्टंप उड़ गए. इंग्लैंड के ख़िलाफ़ यह उनका तीसरा शतक था. कप्तान गिल के साथ मिलकर जायसवाल ने 129 रन की अहम साझेदारी की और भारत को 221 रन पर 3 विकेट के मज़बूत स्कोर तक पहुंचा दिया.
इसके बाद ऋषभ पंत क्रीज़ पर आए. शुरुआत में पंत का खेल उनके अंदाज़ से बिल्कुल अलग था. उन्होंने कोई जल्दबाज़ी नहीं की और न ही कोई ऊंचा शॉट खेला. वो पिछली ऑस्ट्रेलिया सिरीज़ की नाकामी को नहीं दोहराना चाहते थे और काफ़ी संयम से खेले.
इस बीच गिल 90 रन के पार पहुंच चुके थे और उन पर दबाव साफ दिख रहा था. 92 पर उन्होंने शोएब बशीर की गेंद पर स्वीप खेला, गेंद पैड पर लगी लेकिन वो एलबीडब्ल्यू से बच गए. फिर उन्होंने टंग की ढीली गेंद को थर्ड मैन बाउंड्री तक पहुंचाकर 97 रन पूरे किए. कुछ गेंद बाद गिल रनआउट होने से भी बाल-बाल बचे.
गिल ने ख़ुद को संभाला और जोश टंग की गेंद पर शानदार कवर ड्राइव मारकर शतक पूरा किया. ये एक सच्चे कप्तान की प्रेरणादायक पारी थी.
80वें ओवर के बाद इंग्लैंड ने नई गेंद ली. वोक्स और कार्स से विकेट की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.
दिन के आख़िरी ओवर में इंग्लैंड की गेंदबाज़ी पूरी तरह बिखर चुकी थी. पंत ने वोक्स की गेंद पर स्क्वायर लेग की ओर ज़ोरदार छक्का मारा.
दिन का खेल ख़त्म होने तक 85 ओवर में भारत का स्कोर 359 रन पर 3 विकेट था.
स्टोक्स को ज़रूर अफ़सोस हुआ होगा कि उन्होंने पहले गेंदबाज़ी का फ़ैसला किया, क्योंकि हेडिंग्ले की पिच और हालात उनकी मदद नहीं कर पाए.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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