26 जून 2025 को डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) ने एक प्रेस बयान जारी कर बताया कि दिल्ली और मुंबई समेत देश के कई बड़े हवाई अड्डों का ऑडिट किया गया है.
यह ऑडिट 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के बाद शुरू किया गया था.
बयान में किसी एयरलाइन कंपनी या हवाई अड्डे का नाम तो नहीं लिया गया, लेकिन इसमें भारत के हवाई अड्डों पर कई बड़ी लापरवाहियों और सुरक्षा नियमों के उल्लंघन की बात कही गई है.
अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद एविएशन सेक्टर में निरीक्षण और जाँच का दायरा बढ़ा है.
कुछ दिन पहले डीजीसीए ने एयर इंडिया के ख़िलाफ़ यह कहकर कार्रवाई की थी कि कंपनी उड़ान समय और केबिन क्रू के ड्यूटी के घंटों से जुड़े नियमों का बार-बार उल्लंघन कर रही है.
इसके लिए डीजीसीए ने एयर इंडिया से तीन अधिकारियों को बर्ख़ास्त करने के लिए भी कहा.
इसके बाद एयर इंडिया ने भी एक बयान जारी किया और ये बताया कि अब इस एयरलाइन कंपनी के आईओसीसी की निगरानी सीधे कंपनी के चीफ़ ऑपरेटिंग ऑफ़िसर यानी सीओओ के हाथों में होगी.
आईओसीसी यानी इंटीग्रेटेड ऑपरेशंस कंट्रोल सेंटर किसी भी एयरलाइन कंपनी का वो अहम हिस्सा है, जो सुरक्षित, बिना किसी रुकावट के उड़ानों के संचालन को सुनिश्चित करता है. एयरलाइन कंपनी के इस केंद्र पर संचालन से जुड़े सभी पहलुओं की रियल टाइम प्लानिंग, उसकी निगरानी और प्रबंधन की ज़िम्मेदारी होती है.
यह एयरलाइन के परिचालन विभाग के अंतर्गत आता है जो उड़ानों, पायलटों और केबिन क्रू से जुड़े मामलों की देखरेख करता है. इसमें उनके ड्यूटी रोस्टर भी शामिल हैं.
डीजीसीए की हाल की कार्रवाइयों के बाद आई उसकी रिपोर्ट को समझने के लिए बीबीसी ने कई प्रोफ़ेशनल पायलट और एविएशन एक्सपर्ट से बात की है.
डीजीसीए के बयान में क्या है?
डीजीसीए ने कहा कि ऑडिट में उड़ान से जुड़ी कई ज़रूरी चीज़ों की जाँच की गई.
इनमें फ़्लाइट ऑपरेशन, सुरक्षा, कम्युनिकेशन सिस्टम और उड़ान से पहले पायलट की मेडिकल जाँच जैसे पहलू शामिल थे.
रनवे की धुंधली लाइन से लेकर तीन साल तक डेटा अपडेट न करने जैसी कई गड़बड़ियाँ डीजीसीए को मिलीं.
डीजीसीए ने कहा कि एक बार घिसे हुए टायरों की वजह से एक विमान को उड़ान से पहले ग्राउंड करना पड़ा था.
रिपोर्ट में ऐसे कई मामले दर्ज हैं, जिनमें पहले से बताई गई गड़बड़ियाँ विमान में बार-बार देखी गईं, जो कमज़ोर निगरानी और सुधार की कमी को दिखाता है.
डीजीसीए ने कहा, "रखरखाव के दौरान एएमएम (एयरक्राफ़्ट मेंटेनेंस मैनुअल) के अनुसार एएमई (एयरक्राफ़्ट मेंटेनेंस इंजीनियर) ने ज़रूरी सुरक्षा सावधानियाँ नहीं बरतीं. कुछ जगहों पर एएमई ख़राबी ठीक करने की प्रक्रिया में शामिल नहीं थे. विमान प्रणाली में मिली ख़राबी की रिपोर्ट लॉगबुक में दर्ज नहीं की गई थी."
'मोर, हिरण, गाय रनवे पर टहलते हुए देखे जाते हैं'बीबीसी ने डीजीसीए की रिपोर्ट को तीन पायलटों के साथ साझा किया, जो अलग-अलग कमर्शियल एयरलाइनों के लिए विमान उड़ाते हैं.
सभी पायलट उस एयरलाइन की मीडिया पॉलिसी से बंधे हैं, जहाँ वे काम करते हैं. इसलिए उन्होंने अपनी पहचान ज़ाहिर न करने की शर्त पर बीबीसी से बात की.
एक पायलट ने कहा कि समय पर उड़ान पूरी करने का दबाव और कम टर्नअराउंड टाइम के कारण एएमई से तकनीकी मामलों में सही तरीक़े से निपटना मुश्किल हो जाता है.
उन्होंने कहा, "अगर अंतिम समय में एएमई को कोई गड़बड़ी मिलती है, तो यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि विमान उड़ान के लिए सुरक्षित है या नहीं."
पायलट ने बताया कि टर्नअराउंड टाइम बहुत कम होने से मेंटेनेंस के लिए भी पर्याप्त समय नहीं मिलता. ऐसे में एएमई आख़िरी समय में एएमएम के नियमों को लागू करते हैं.
मैनुअल यह बताता है कि कौन-कौन से उपकरण या पार्ट्स के बिना भी विमान उड़ान भर सकता है, जिससे उड़ान भरने पर असर न पड़े.
बीबीसी से उन्होंने कहा, "अगर कोई कॉम्प्लेक्स सिस्टम ख़राब हो जाता है, तो हमें यह समझना पड़ता है कि इसके क्या नतीजे हो सकते हैं. जैसे अगर बैकअप सिस्टम भी फ़ेल हो जाए, तो क्या होगा? यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि एयरफ़ील्ड और मौसम कैसा है. समय का दबाव हमारे लिए हालात को और मुश्किल बना देता है. हम हर चीज़ पर ध्यान नहीं दे पाते."
एक अन्य पायलट ने रनवे पर धुंधली सेंट्रल लाइन को लेकर रिपोर्ट में जताई गई चिंता को दोहराया. उन्होंने बताया कि अपने 10 साल के अनुभव में उन्होंने रनवे से जुड़ी और भी कई समस्याएँ देखी हैं, ख़ासकर टियर-2 शहरों में.
पायलट ने कहा, "हम इन चीज़ों को सालों से जानते हैं. रनवे की सेंट्रल लाइन की लाइटें ठीक से नहीं जलतीं. जब हम रनवे से बाहर निकलते हैं, तो घास और पेड़ों की वजह से निशान नहीं दिखते. घास समय पर नहीं काटी जाती."
उन्होंने आगे कहा, "मैं ऐसे एयरपोर्ट पर गया हूँ, जहाँ रनवे पर गड्ढे थे. वहाँ जानवर भी घूमते हैं, कभी मोर, कभी हिरण, कभी गाय."
तीसरे पायलट ने इस पर चिंता जताई कि पायलटों और केबिन क्रू को आराम के लिए समय नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि कभी-कभी उन्हें एक ही दिन में पाँच सेक्टर के लिए उड़ान भरने को कहा जाता है. एक सेक्टर का मतलब है एक जगह से दूसरी जगह की उड़ान. वापसी की उड़ान दूसरा सेक्टर कहलाती है.
उन्होंने कहा, "सोचिए आपने शाम 4 बजे उड़ान भरी है, लेकिन हो सकता है कि आपका पायलट और केबिन क्रू सुबह 4 बजे से ड्यूटी पर हों. आप सोचते हैं कि क्रू मुस्कुरा क्यों नहीं रहा, लेकिन हो सकता है वे बहुत थके हुए हों."
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एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि डीजीसीए को जाँच नियमित रूप से करनी चाहिए.
हर एयरपोर्ट के आसपास एक ऑब्स्ट्रक्शन लिमिट (अवरोध सीमा) होती है. इस सीमा में किसी प्रकार के निर्माण और अन्य कार्य के लिए अनुमति लेनी होती है.
यह हवाई अड्डों और नेविगेशनल फैसिलिटीज़ के आसपास का क्षेत्र होता है. विमानों के बिना किसी बाधा संचालन को सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र को साफ़ रखा जाना चाहिए, ताकि विमान सही से टेक ऑफ़ और लैंडर पाएं.
डीजीसीए ने बयान में बताया था कि कुछ हवाई अड्डों में पिछले तीन साल से इस सीमा का डेटा अपडेट नहीं किया गया है. हवाई अड्डों के आसपास कई नई इमारतें बनने के बावजूद कोई सर्वे नहीं किया गया.
एविएशन एक्सपर्ट संजय लाजर कहते हैं, "यह एक दिन में नहीं हो सकता. जाँच नियमित रूप से होनी चाहिए. एक सप्ताह में हवाई अड्डे के बगल में एक इमारत बन गई? तब डीजीसीए कहाँ था?"
पूर्व पायलट और एविएशन एक्सपर्ट कैप्टन एमआर वाडिया का कहना है कि रनवे के आसपास की इमारतों को लेकर पायलट लंबे समय से शिकायत कर रहे हैं.
रनवे के बारे में उन्होंने कहा, "रनवे की सेंट्रल लाइन साफ़ होनी चाहिए ख़ासकर जब जंबो जेट जैसे बड़े विमान उड़ान भर रहे हों. ये रेखाएं मार्गदर्शक रेखाएं हैं जिन्हें कानून के मुताबिक होना चाहिए."
एक और पूर्व पायलट मोहन रंगनाथन ने कहा कि रिपोर्ट में रनवे के धुंधले निशान और घिसे हुए टायरों से कहीं अधिक गंभीर ख़ामियाँ हैं.
डीजीसीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा था की कुछ विमानों के पायलटों को ऐसे सिम्युलेटर में ट्रेनिंग दी जा रही थी, जो उस विमान का है ही नहीं जिसे पायलट आमतौर पर चलाते हैं.
इस बात पर वाडिया कहते हैं, "विमान के प्रकार से मेल न खाने वाले सिम्युलेटर का इस्तेमाल करना सबसे गंभीर चूक है. इसका मतलब है कि उस सिम्युलेटर पर किए गए सभी सेशन अमान्य माने जाएंगे. आप उस सिम्युलेटर पर न तो ट्रेनिंग दे सकते हैं, न ही दक्षता की जाँच कर सकते हैं. इसलिए, हर पायलट जिसने उस सिम्युलेटर पर सेशन किया है, उसका लाइसेंस तकनीकी रूप से अमान्य है."
क्रैश हो गया था एआई-171गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून को एयर इंडिया का लंदन जा रहा एआई-171 विमान क्रैश हो गया था.
इस विमान ने 242 लोगों के साथ अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लंदन के लिए उड़ान भरी थी.
लेकिन टेक-ऑफ़ करने के कुछ ही सेकेंड के भीतर यह विमान क्रैश हो गया. इस हादसे में विमान में सवार केवल एक ही व्यक्ति की जान बची. वहीं, विमान के इमारत से टकराने की वजह से भी कई लोगों की मौत हुई.
यह दुनिया भर में पिछले दशक का सबसे बड़ा विमान हादसा है.
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