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दिल्ली धमाका: जान गंवाने वाले आठ लोग कौन

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image AFP via Getty Images दिल्ली में 10 नवंबर को हुए कार धमाके में कई लोग घायल हुए हैं

(पाठकों के लिए कुछ विवरण विचलित करने वाले हो सकते हैं.)

दिल्ली के लाल क़िला मेट्रो स्टेशन के नज़दीक एक कार में हुए धमाके की घटना को अब कई घंटों से ज़्यादा का वक़्त हो गया है.

हादसे के बाद दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया था कि हादसे में कम से कम आठ लोगों की मौत हुई है.

आठ मृतकों की इस लिस्ट में मोहम्मद जुम्मन, मोहसिन मलिक, दिनेश मिश्रा, लोकेश अग्रवाल, अशोक कुमार, नोमान, पंकज साहनी और अमन कटारिया शामिल हैं.

इनमें ज़्यादातर पेशे से ई-रिक्शा और कैब चालक थे. कुछ का व्यवसाय लाल क़िले के इलाक़े में था तो कुछ बस किसी के इंतज़ार में खड़े थे.

image Getty Images 10 नवंबर, एलएनजेपी अस्पताल के बाहर की तस्वीर. मोहसिन मलिक, उम्र - 28 साल image BBC मोहसिन मलिक़ लाल क़िले के इलाक़े में ई-रिक्शा चलाते थे.

मोहसिन मूल रूप से मेरठ के रहने वाले थे लेकिन पिछले कुछ सालों से दिल्ली के सिविल लाइन्स में रह रहे थे. परिजनों ने बताया कि वह लाल क़िले के नज़दीकी इलाक़ों में ई-रिक्शा चलाया करते थे.

सोमवार शाम वह घटना वाली जगह से महज़ कुछ मीटर की दूरी पर खड़े थे. धमाके के बाद मौके पर पहुंची स्थानीय पुलिस को उनका फ़ोन सड़क पर गिरा हुआ मिला. तलाश में पहुँचे परिजनों को पुलिस ने एलएनजेपी अस्पताल जाने की सलाह दी.

रात तक़रीबन साढ़े बारह के करीब अस्पताल के डॉक्टर ने परिजनों से मोहसिन की मौत की पुष्टि कर दी. हम उस वक़्त इमरजेंसी वार्ड के बाहर ही मौजूद थे. मोहसिन की बहन रोते हुए वार्ड के बाहर निकली थीं.

वह चीख-चीखकर कह रही थीं, ''मेरा भाई चला गया, अब उसके बच्चों को कौन देखेगा. भाभी को कैसे बताऊंगी."

रोते हुए वह बेहोश होकर गिर जाती हैं. उनके साथ के रिश्तेदार उन्हें संभालते हुए बाहर की तरफ़ ले जाते हैं.

image BBC मोहसिन की बहन को संभालते उनके रिश्तेदार.

मोहसिन शादीशुदा थे और उनके दो बच्चे भी हैं.

समाचार एजेंसीएएनआई से बात करते हुए उनकी मां साजिदा ने कहा, ''हमें जब न्यूज़ चैनलों पर घटना के बारे में पता चला तो मेरी छोटी बहू यानी मोहसिन की पत्नी ने उसे फ़ोन करना शुरू किया. कुछ पता नहीं चल पाया तो मेरी बेटी और दूसरे कुछ लोग एलएनजेपी अस्पताल गए. वहां जाने पर बताया गया कि उसकी मौत हो गई है. उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं.''

दिनेश मिश्रा, उम्र - 35 साल image BBC दिनेश मिश्रा की उम्र तक़रीबन 35 साल थी और वह उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के रहने वाले थे.

दिनेश मिश्रा दिल्ली के चावड़ी बाज़ार में शादी के कार्ड की दुकान पर काम करते थे. उम्र तक़रीबन 35 साल थी और वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के रहने वाले थे.

लेकिन बीते 15 सालों से दिल्ली में ही गुज़र-बसर कर रहे थे. उनकी पत्नी और तीन छोटे बच्चे हैं.

दिनेश मिश्रा के भाई गुड्डू मिश्रा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए कहा, ''मैं फ़ोन के ज़रिए उनसे संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहा था. रात आठ बजे कॉल की और फिर सवा ग्यारह बजे. दूसरी बार में किसी ने फ़ोन उठाया और कहा कि मैं लोक नायक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड आ जाऊं. मैं वहां रात 12 बजे के क़रीब पहुंचा लेकिन मुझे अंदर जाने की इजाज़त नहीं दी गई.''

वह बताते हैं कि काफ़ी हंगामा करने के बाद प्रवेश करने की मंज़ूरी मिली लेकिन उन्हें उनके भाई के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. सुबह तीन-साढ़े तीन बजे के क़रीब मॉर्चरी हाउस जाने के लिए कहा गया.

वहां आख़िर में उन्हें अपने भाई की बॉडी मिली.

मोहम्मद जुम्मन, उम्र - 39 साल image BBC मोहम्मद जुम्मन दिल्ली के लाल क़िले इलाक़े में ई-रिक्शा चलाते थे.

जुम्मन का परिवार मूल रूप से बिहार का है मगर बीते कई सालों से दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाक़े में रह रहा था. घर चलाने के लिए वह दिल्ली के लाल क़िले इलाक़े में ई-रिक्शा चलाया करते थे.

घटना वाले दिन वह धमाके वाली जगह से थोड़ी ही दूरी पर मौजूद थे. उनके छोटे भाई की पत्नी ने हमें बताया, ''पूरी रात हम उन्हें ढूंढते रहे, आज यानी 11 नवंबर को दोपहर में हमें मॉर्चरी ले जाया गया. यहां हमसे शवों की पहचान करने के लिए कहा गया लेकिन किसी भी शव की ऐसी स्थिति नहीं थी कि उसे देखकर साफ़ तौर पर कुछ पता चल सके. हमने कपड़े से जुम्मन को पहचाना. उनका शरीर क्षत-विक्षत स्थिति में था. न सिर है, न पैर है...''

जुम्मन की पत्नी और पांच बच्चे गहरे सदमे में थे. कोई भी बात करने की हालत में नहीं था.

नोमान, उम्र - 22 साल image BBC पहली तस्वीर 22 वर्षीय नोमान की है, वहीं दूसरी (दायीं ओर) उनके भाई अमन की. नोमान दिल्ली धमाके के शिकार हो गए जबकि अमन अभी आईसीयू में हैं,

शामली के झिंझाना कस्बे के रहने वाले नोमान मात्र 22 साल के थे. वह यहां कॉस्मेटिक की एक दुकान चलाते थे.

दस नवंबर यानी घटना वाली शाम अपनी दुकान के लिए ही कुछ सामान खरीदने वह दिल्ली पहुंचे थे. साथ में उनके भाई अमन भी मौजूद थे.

उनके परिजनों ने बीबीसी हिन्दी को बताया, ''पार्किंग में कार खड़ी करने के बाद वह सड़क पार कर रहे थे, तभी धमाका हुआ और वह इसकी चपेट में आ गए. नोमान की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि घायल अमन को दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल ले जाया गया. अमन अभी आईसीयू में हैं.''

नोमान के परिवार ने सरकार से आर्थिक मदद और घटना में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने की मांग की है.

लोकेश अग्रवाल, 55 साल image BBC लोकेश अग्रवाल अमरोहा के हसनपुर में खाद की एक छोटी दुकान चलाते थे.

दिल्ली धमाके में जान गंवाने वालों में लोकेश अग्रवाल का नाम भी शामिल है. लोकेश 55 साल के थे. उनके रिश्तेदार संदीप अग्रवाल बीते 24-48 घंटों में बराबर हमारे संपर्क में रहे हैं. उनसे हमारी मुलाक़ात घटना वाली रात दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में तक़रीबन दस बजे हुई थी. तब तक उन्हें लोकेश की मौत की पुष्टि नहीं हुई थी.

रात करीबन ढाई बजे अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें मॉर्चरी में जाकर लोकेश के शव की शिनाख़्त करने का निर्देश दिया.

रात के अपने अनुभव के बारे में बताते हुए वह बीबीसी हिन्दी से कहते हैं, ''पहले जब मैं मॉर्चरी में पहुंचा तो वहां मौजूद लोगों ने मुझे अंदर प्रवेश करने नहीं दिया. लेकिन फिर दो पुलिस कॉन्सटेबल ने मेरी मदद की. अंदर कई शव थे. एक-एक कर के मैंने सभी शवों के ऊपर से चादर हटा कर पहचान करनी शुरू की. ज़्यादातर शवों की स्थिति ऐसी थी कि उन्हें चेहरे से पहचानना मुश्किल था. मैंने लोकेश को उनके कपड़ों से पहचाना. आज हम उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं. हमारे लिए ये बहुत ही मुश्किल समय है और हमें नहीं पता हम इस दुख से कभी उबर पाएंगे या नहीं.''

image BBC संदीप अग्रवाल रिश्ते में लोकेश अग्रवाल के समधी हैं.

लोकेश अग्रवाल उत्तर प्रदेश के अमरोहा के हसनपुर के रहने वाले थे.

घटना वाले दिन लोकेश अपने एक रिश्तेदार को देखने दिल्ली के गंगा राम अस्पताल गए थे. अस्पताल से लौटते वक़्त उनकी बात अपने ही परिवार के एक ड्राइवर अशोक कुमार से हुई.

सड़क पर भीषण जाम होने के कारण ड्राइवर अशोक ने लोकेश से चांदनी चौक के पास मिलने की बात कही. दोनों की यहां मुलाक़ात तो हुई पर हादसे ने दोनों की जान भी ले ली.

अशोक कुमार, उम्र - 35 साल

अशोक एक बस कंडक्टर के रूप में दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (डीटीसी) के लिए काम करते थे. उनकी उम्र 35 साल थी और उनके तीन बच्चे हैं.

उनके भाई देवेंद्र कुमार ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बताया, ''अशोक अपनी ड्यूटी पूरी करके घर लौट रहे थे. वह दिल्ली में ही एक किराये के कमरे में रहते थे. मगर मूल रूप से उनका परिवार अमरोहा का है.''

अमरोहा में मौजूद बीबीसी के सहयोगी तारिक़ अज़ीम ने बताया कि लोकेश अग्रवाल और अशोक दोनों दोस्त थे. लोकेश खाद की दुकान चलाते थे. वहीं अशोक एक बस कंडक्टर थे.

दोनों का परिवार इस हादसे के बाद गहरे सदमे में है.

पंकज सहनी, उम्र - 22 साल image BBC 22 साल के पंकज सहनी एक प्राइवेट कैब ड्राइवर थे और मूलत: बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले थे.

पंकज एक प्राइवेट कैब चालक थे और उम्र महज़ 22 साल थी.

मूलत: उनका परिवार बिहार के समस्तीपुर का है लेकिन बीते पंद्रह सालों से वह अपने पिता के साथ दिल्ली में ही रह रहे थे.

दस नवंबर को पंकज कैब से पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही हादसे का शिकार हो गए.

समस्तीपुर के एक स्थानीय संवाददाता ने हमें बताया कि पंकज की अभी शादी नहीं हुई थी.

समस्तीपुर स्थित उनके घर में शोक का माहौल है, लेकिन पिता की मौजूदगी में अंतिम संस्कार दिल्ली में ही कर दिया गया है.

अमर कटारिया, उम्र - 34 साल image BBC तस्वीर दिल्ली धमाके में जान गंवाने वालों में से एक 34 वर्षीय अमर कटारिया की है

अमर कटारिया अपने परिवार के साथ दिल्ली के श्रीनिवासपुरी में रहते थे. लाल क़िले के इलाक़े में उनका अपना फ़ार्मा का बिज़नेस था.

बीबीसी संवाददाता इशाद्रिता लाहिरी अमर कटारिया के परिजनों से बात करने उनके घर पहुंची.

अमर के पिता जगदीश कटारिया ने उन्हें बताया, ''अमर घर के लिए ही निकले था, बाद में क्या हुआ, कैसे हुआ रब जाने. दस मिनट पहले ही वह फ़ोन पर मुझसे बात कर रहा था. लेकिन फिर कुछ समय बाद जब हमने उससे संपर्क किया तो फ़ोन के दूसरी तरफ़ एक महिला की आवाज़ सुनाई दी. वह एक पुलिसकर्मी थीं, उन्होंने ही हमें घटना की सूचना दी और कहा कि अमर का फ़ोन उन्हें सड़क पर गिरा हुआ मिला था. महिला पुलिसकर्मी ने हमें एलएनजेपी अस्पताल जाने की सलाह दी.''

अमर कटारिया के पिता ने बीबीसी संवाददाता इशाद्रिता को बताया कि एलएनजेपी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर वह घंटों खड़े रहे लेकिन उन्हें अपने बेटे के बारे में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी गई.

उन्होंने के रवैये पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उनके लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और देश के गृह मंत्री अमित शाह का ध्यान रखना ज़्यादा ज़रूरी था.

image Getty Images लाल क़िला मेट्रो स्टेशन के नज़दीक एक कार में धमाके की ख़बर सामने आने के बाद गृह मंत्री अमित शाह प्रभावित लोगों से मिलने एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे थे

दरअसल, कार में धमाके की ख़बर सामने आने के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और देश के गृहमंत्री अमित शाह प्रभावितों से मिलने एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे थे. ये तक़रीबन रात नौ बजे के आसपास की बात रही होगी.

अस्पताल के बाहर हमारी मुलाक़ात ऐसे कई लोगों से हुई, जिनका दावा था कि अस्पताल प्रबंधन उन्हें उनके प्रभावित परिजनों से मिलने नहीं दे रहा. एक ने हमें बताया कि अंदर इमरजेंसी वार्ड के बाहर तीस-चालीस लोग ऐसे हैं जो किसी अपने की सुध लेने के लिए संघर्ष कर रहे थे.

वहीं अस्पताल प्रबंधन का पक्ष है कि ऐसी गंभीर स्थिति में उनकी प्राथमिकता मरीज़ों का जल्द से जल्द और बेहतर इलाज करना होता है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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