इस साल का आख़िरी चंद्र ग्रहण 17 और 18 सितंबर के मध्य होने वाला है. इस चंद्र ग्रहण की ख़ास बात ये है कि ये पूर्णिमा के दिन होगा.
इसे सुपरमून भी कहते हैं. सुपरमून वह खगोलीय घटना है जिसके दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे क़रीब होता है और 14 फ़ीसदी अधिक चमकीला भी. इसे पेरिगी मून भी कहते हैं. सितंबर की पूर्णिमा को उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु की फ़सलों के साथ जुड़े होने के कारण हार्वेस्ट मून भी कहा जाता है.
इस बार का चंद्र ग्रहण पेनुमब्रल (उपछाया) चंद्र ग्रहण होगा. वास्तव में चंद्र ग्रहण तीन तरह के होते हैं. पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण और पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण. पूर्ण चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की प्रच्छाया से ढक जाता है.
सूर्य की विपरीत दिशा में कोण के रूप में पड़ने वाली किसी ग्रह या उपग्रह की छाया को प्रच्छाया कहते हैं. आंशिक चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का एक हिस्सा ही पृथ्वी की प्रच्छाया से ढक पाता है. जबकि पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है तो इसे (अंग्रेज़ी में) पेनुमब्रा कहते हैं.
यह पूर्ण चंद्र ग्रहण नहीं होता इसलिए पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया न पड़कर, उपछाया मात्र पड़ती है. यानी एक धुंधली-सी छाया ही नज़र आती है. पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण में चांद के आकार में कोई परिवर्तन नज़र नहीं आता.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें भारत में कब होगा चंद्र ग्रहण? Getty Images चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है.भारत के लोग इस चंद्र ग्रहण को नहीं देख पाएंगे.
सुबह सूर्य की बढ़ती रोशनी के कारण यह चंद्र ग्रहण नज़र नहीं आएगा. हालांकि, अमेरिकी अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक़ भारत में इसका समय 18 सितंबर की सुबह 6.11 से 10.17 बजे तक है.
अमेरिका में यह चंद्र ग्रहण मंगलवार, 17 सितंबर की शाम को पड़ेगा.
कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण ?भारत के अलावा अन्य देशों की बात करें तो यह चंद्र ग्रहण दुनिया के कई देशों में देखा जाएगा, जिनमें उत्तरी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका के कुछ हिस्से शामिल हैं.
चंद्र ग्रहण कैसे होता है? Getty Images चंद्र ग्रहण के विभिन्न चरण (2010 में आइसलैंड में ली गई तस्वीर)सूर्य की परिक्रमा के दौरान जब पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच में आ जाती है, इसकी वजह से पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है और चांद छिप जाता है या चांद का हिस्सा अंधकारमय हो जाता है.
इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं.
चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण के मुकाबले ज़्यादा व्यापक स्तर पर दिखाई देता है.
चंद्र ग्रहण की ख़ास बात यह है कि कोई भी व्यक्ति इसे नग्न आंखों से देख सकता है, जबकि सूर्यग्रहण में ऐसा नहीं होता है.
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सुपरमूनः सुपरमून एक खगोलीय घटना है. इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और 14 फ़ीसदी अधिक चमकीला दिखाई देता है. इसे पेरिगी मून भी कहते हैं. धरती से सबसे करीब वाली स्थिति को पेरिगी (3,56,500 किलोमीटर) और दूर वाली स्थिति को अपोगी (4,06,700 किलोमीटर) कहते हैं.
ब्लूमूनः जब फुलमून महीने में दो बार होता है तो दूसरे वाले फुलमून को ब्लूमून कहते हैं.
ब्लडमूनः चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी की छाया की वजह से धरती से चांद काला दिखाई देता है. कई बार चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ सेकेंड के लिए चांद पूरी तरह लाल भी दिखाई देता है. इसे ब्लड मून कहते हैं.
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