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पाकिस्तान का एयरस्पेस बंद होने से भारत पर क्या असर होगा?

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Getty Images पहलगाम हमले के बाद तनाव बढ़ने से पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना एयर स्पेस बंद कर दिया है

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कुछ सख़्त क़दम उठाए.

इस पर पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए कुछ फ़ैसले किए.

इनमें से एक है पाकिस्तान का भारतीय विमान कंपनियों के लिए अपना एयरस्पेस बंद करना.

इसका मतलब ये है कि भारतीय विमान अब पाकिस्तान के ऊपर से उड़कर दूसरे देश नहीं जा पाएंगे.

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इस फ़ैसले के मुताबिक़ भारतीय समयानुसार गुरुवार शाम छह बजे के बाद किसी भी भारतीय विमान को पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुज़रने की इजाज़त नहीं थी.

इस घोषणा ने गुरुवार को ही भारतीय विमान कंपनियों को हरकत में ला दिया था.

जब विमानों को डायवर्ट कर भारत लाया गया image Getty Images

ज़ाहिर है, जब पाकिस्तान ने ये घोषणा की होगी, उस समय भी भारतीय कंपनियों के कई विमान हवा में रहे होंगे और उनमें से कई पाकिस्तान के ऊपर से गुज़रने वाले भी होंगे. ऐसे में उन विमानों को लेकर क्या किया गया?

भारत की एक विमान कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी को बताया, "जब पाकिस्तान की तरफ़ से ये एलान हुआ तो सबसे पहले हमारी ज़िम्मेदारी थी कि जो विमान उस समय हवा में थे, उन्हें डायवर्ट कर भारत लाया जाए. इसके बाद आगे की रणनीति पर काम करना था."

इससे पहले पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइन कंपनियों के लिए लंबे समय तक हवाई क्षेत्र तब बंद किया था, जब भारत ने बालाकोट में एयरस्ट्राइक का दावा किया था.

साल 2019 में 27 फ़रवरी से लेकर 16 जुलाई के बीच भारतीय हवाई जहाज़ों को पाकिस्तानी एयरस्पेस से अलग दूसरे रास्तों से गुज़रना पड़ा था.

पाकिस्तान के इस फ़ैसले का क्या असर होगा? image Getty Images थाई एयरलाइंस के लाउंज में बैठे विमान यात्री

पाकिस्तान के इस फ़ैसले का सबसे ज़्यादा असर दिल्ली से उड़ान भरने वाले विमानों पर होगा. हालांकि, उत्तर भारत के कुछ और एयरपोर्ट पर भी इसका असर पड़ना तय है, जिनमें अमृतसर, लखनऊ शामिल हैं.

दिल्ली से जिन भारतीय कंपनियों के विमान मध्य एशिया, पश्चिम एशिया, यूरोप, ब्रिटेन और उत्तर अमेरिका जाते हैं, उन्हें पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने के बाद अब अपने रास्ते बदलने होंगे.

एविएशन कंसल्टेंट और एयर इंडिया के पूर्व एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर जीतेंद्र भार्गव ने बीबीसी को बताया, ''जो विमान मुंबई से यूरोप और अमेरिका जाने हैं, उन पर कोई ख़ास असर नहीं होगा. लेकिन जो विमान दिल्ली से जाएंगे, उन्हें अहमदाबाद से डिटूर लेना होगा, ताकि वो पाकिस्तानी एयरस्पेस के बाहर-बाहर उड़ान भर सकें.''

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ऐसा होने का सीधा मतलब है कि मुसाफ़िरों के लिए जहां उड़ान का समय बढ़ जाएगा, वहीं विमान कंपनियों के लिए इसका अर्थ है उड़ानों के लिए ईंधन का ख़र्च बढ़ना.

जब ये खर्च बढ़ेगा तो मुमकिन है कि आने वाले समय में कंपनियां इसका बोझ ग्राहकों को ट्रांसफर करें और टिकट के दामों में इज़ाफ़ा हो.

रूट बदलने से बढ़ेगा ईंधन का ख़र्च image Getty Images विमानों को रास्ता लंबा होगा तो वो ज़्यादा ईंधन खर्च करेंगे

विमानों में एविएशन टर्बाइन फ़्यूल यानी एटीएफ़ डाला जाता है. के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय रूट पर उड़ने वाली भारतीय विमान कंपनियों के लिए एटीएफ़ के दाम एक अप्रैल, 2025 से दिल्ली के लिए 794.41 डॉलर प्रति किलोलीटर (यानी एक हज़ार लीटर) और मुंबई के लिए 794.40 डॉलर प्रति किलोलीटर हैं.

विमानों को रास्ता लंबा होगा तो वो ज़्यादा ईंधन खर्च करेंगे और कंपनियों को ज़्यादा ईंधन ख़रीदना होगा.

भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मुताबिक़ साल 2019 में जब पाकिस्तान ने इसी तरह का क़दम उठाया था, तो भारतीय विमान कंपनियों को 500 करोड़ रुपए से ज़्यादा का नुकसान हुआ था.

हालांकि, ऐसा नहीं है कि नुक़सान सिर्फ़ भारत का हुआ था. इसका नुक़सान पाकिस्तान को भी पहुंचा.

18 जुलाई 2019 को पाकिस्तान के तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री ग़ुलाम सरवर ख़ान ने बताया था कि भारतीय कंपनियों के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद करने से पाकिस्तान को भी क़रीब पाँच करोड़ डॉलर का नुक़सान हुआ था.

लेकिन क्यों? क्योंकि, दुनिया के कई देश अपना हवाई क्षेत्र इस्तेमाल करने के एवज़ में विमान कंपनियों से पैसा वसूलते हैं. इसे ओवरफ़्लाइट फ़ीस कहा जाता है.

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बाकी देशों की तरह पाकिस्तान को भी विदेशी विमान कंपनियों से फ़ीस मिलती है, जिनमें भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं.

ये फ़ीस इस बात पर निर्भर करती है कि विमान का टेकऑफ वेट कितना है और फ़ासला कितने किलोमीटर का है.

जब पाकिस्तान अपना एयरस्पेस बंद करेगा तो भारतीय कंपनियों से मिलने वाली ये फ़ीस उसे नहीं मिलेगी और उसकी कमाई में कमी आएगी.

लंबे रूट की उड़ानों पर क्या असर होगा? image Getty Images रूट लंबा होने से भारतीय विमान कंपनियों का ऑपरेशनल खर्च बढ़ेगा

भारत से उड़ान भरकर मध्य एशिया, यूरोप, ब्रिटेन और अमेरिका जाने वाले विमान आमतौर पर अरब सागर या मध्य एशिया वाला लंबा रूट लेने के बजाय पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल करते रहे हैं.

ऐसे में रूट लंबा होने से विमान कंपनियों का ऑपरेशनल खर्च बढ़ेगा. विमानों को ज़्यादा समय तक उड़ान भरनी होगी, जिसकी वजह से उन्हें ज़्यादा ईंधन की ज़रूरत होगी.

इसके अलावा पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से दिल्ली या उत्तर भारत के दूसरे बड़े एयरपोर्ट से पश्चिम की तरफ़ जाने वाली लंबी दूरी की डायरेक्ट फ़्लाइट पर भी असर होगा क्योंकि अभी जहां विमान 10-15 घंटे उड़ान भरकर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं, वहीं रूट बदलने की वजह से उन्हें बीच में कहीं लैंड करना होगा.

इससे ख़र्च बढ़ना तय है.

पहला, जब भी विमान कंपनी किसी एयरपोर्ट पर अपने प्लेन को उतारती है, तो विमानों को लैंडिंग चार्ज देना पड़ता है.

दूसरा, विदेशी एयरपोर्ट पर उतरने की सूरत में वहीं से ईंधन भी ख़रीदना पड़ता है, जिसके दाम भारत की तुलना में ज़्यादा भी हो सकते हैं.

और तीसरा ये कि हर पायलट एक तय समय तक ही उड़ान भर सकता है. ऐसे में जब विमान को डायरेक्ट फ़्लाइट के बजाय बीच में उतारना होगा, तो बहुत मुमकिन है कि कंपनियों को अतिरिक्त पायलट की सेवाएं लेनी पड़ीं. इससे भी कॉस्टिंग में फ़र्क पड़ेगा.

लेकिन ये पाबंदी किन विमानों पर लागू होगी?

जीतेंद्र भार्गव इस सवाल के जवाब में बताते हैं कि पहले वो विमान, जो भारत में रजिस्टर्ड हैं.

दूसरा,अगर किसी भारतीय विमान कंपनी ने विदेश में कोई विमान लीज़ पर लिया है तो ये उस पर भी लागू होगी.

हालांकि मुंबई से उड़ने वाले विमानों पर इसका कोई ख़ास असर नहीं होना चाहिए.

भार्गव ने बताया, ''मुंबई से उड़ने वाले विमानों को ज़्यादा दिक्कत पेश नहीं आनी चाहिए. हां, ये ज़रूर है कि उनकी उड़ान का समय आधा घंटा तक बढ़ सकता है. लेकिन दिल्ली से उड़ने वाले विमानों के लिए समय कहीं ज़्यादा बढ़ जाएगा.''

विदेशी कंपनियों को फ़ायदा होगा? image Getty Images पाकिस्तान ने पाबंदी सिर्फ भारतीय एयरलाइंस पर लगाई है, दूसरे देशों की एयरलाइंस पर ये पाबंदी नहीं है

पाकिस्तान के इस फ़ैसले के बाद दिल्ली, लखनऊ और अमृतसर जैसे हवाई अड्डों से उड़ने वाले भारतीय कंपनियों के विमानों को पश्चिम की तरफ़ बढ़ने से पहले अब गुजरात और महाराष्ट्र की तरफ़ जाना होगा और उसके बाद वो मुड़कर पश्चिम एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका की तरफ़ बढ़ेंगे.

एक और मुश्किल ये है कि क्योंकि पाकिस्तान ने ये पाबंदी सिर्फ़ भारतीय कंपनियों पर लगाई है, ऐसे में विदेशी एयरलाइन कंपनियां, जो दिल्ली से ऑपरेट करती हैं, वो आराम से पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल कर सकती हैं.

उनके ख़र्च में इसका कोई असर नहीं होगा. इस वजह से भारतीय कंपनियों की तुलना में उन्हें फ़ायदा मिल सकता है.

ज़ाहिर है, जब उनके खर्च में इज़ाफ़ा नहीं होगा तो टिकट के दाम भी नहीं बढ़ेंगे, लेकिन भारतीय कंपनियों को खर्च बढ़ने के बाद टिकट के दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं.

ऐसे में पाकिस्तान की नई पाबंदी पहले भारतीय कंपनियों की जेब ढीली कर सकती है, फिर इन विमान कंपनियों के टिकट खरीदने वाले ग्राहकों की.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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