सात से लेकर 10 मई के बीच हुए सैन्य संघर्ष के बाद भारत और पाकिस्तान अब अहम रक्षा नीतियों और सैन्य साजो-सामान की ख़रीद की दिशा में तेज़ी से कदम उठा रहे हैं.
भारत पहले ही अपने रक्षा क्षेत्र और आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई से जुड़ी कई नीतियों की घोषणा कर चुका है. साथ ही भारत हथियारों के आधुनिकीकरण के लिए भी कई कदम उठा रहा है.
दूसरी तरफ पाकिस्तान भी अपनी सैन्य क्षमता को और बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
उसने देश का रक्षा बजट बढ़ाने के साथ-साथ चीन से फ़िफ़्थ जेनरेशन फ़ाइटर जेट हासिल करने की प्रक्रिया को भी तेज़ कर दी है.
भारतनीतियों में बदलाव
हालिया सैन्य संघर्ष के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाते हुए उसके ख़िलाफ़ अपना रुख़ और सख्त करने को लेकर कई घोषणाएं की हैं.
19 जून को रक्षा मंत्रालय ने 'डिफेंस एक्विज़िशन प्रोसीजर 2020' (रक्षा क्षेत्र में खरीद के लिए प्रक्रिया) की व्यापक समीक्षा शुरू की. मंत्रालय की कोशिश इसे राष्ट्रीय सुधार के लक्ष्यों के अनुरूप बनाने की है.
नई नीति में देश के भीतर निर्माण, आत्मनिर्भरता और सेना के आधुनिकीकरण पर ज़ोर दिया गया है. इसके साथ ही निजी क्षेत्र में साझा उपक्रमों और तकनीकी के हस्तांतरण को भी बढ़ावा देने की बात कही गई है.
इसी साल 24 जून को भारत ने अपने सशस्त्र बलों के लिए सामान खरीदने की आपातकालीन शक्तियां लागू कर दीं. इस कदम से थल सेना, वायु सेना और नौसेना को आनुमानित लगभग 40 हज़ार करोड़ रुपये (लगभग 4.6 अरब डॉलर) के बजट से तुरंत हथियार और गोला-बारूद खरीदने की अनुमति दी गई.
नई व्यवस्था के तहत सैन्य साजो-सामान से जुड़े डील्स को 40 दिनों के भीतर अंतिम रूप देने और इसके बाद एक साल के भीतर सामान डिलिवर करने का लक्ष्य रखा गया.
रक्षा निर्यात बढ़ाने पर भी भारत सरकार ज़ोर दे रही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य साल 2029-30 तक रक्षा निर्यात को 50 हज़ार करोड़ रुपये (5.85 अरब डॉलर) तक पहुंचाना है. फिलहाल भारत का रक्षा निर्यात 24 हज़ार करोड़ रुपये (2.81 अरब डॉलर) है.
फ़िफ़्थ जेनरेशन फ़ाइटर जेट27 मई को भारत सरकार ने 'एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ़्ट' (एएमसीए) के एक्ज़ीक्यूशन मॉडल को मंज़ूरी देने का अहम फ़ैसला किया. ये भारत का पहला फ़िफ़्थ जेनरेशन फ़ाइटर जेट प्रोग्राम है. इसे स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं को मज़बूत करने की दिशा में एक अहम रणनीतिक कदम माना जा रहा है.
पाकिस्तान के साथ संघर्ष के कुछ दिनों बाद आया ये फ़ैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन की संख्या घटकर 31 हो गई है, जबकि ये संख्या 42 होनी चाहिए.
मौजूदा वक्त में भारत के पास कोई भी फ़िफ़्थ जेनरेशन फ़ाइटर जेट नहीं है. जबकि उसका पड़ोसी चीन फ़ाइटर जेट के प्रोग्राम में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.
अख़बार द हिंदू के अनुसार चीन पहले ही दो फ़िफ़्थ जेनरेशन फ़ाइटर जेट की तैनाती कर चुका है. वो अब पाकिस्तान को 40 जे-35 फाइटर जेट देने की तैयारी में है.
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पाकिस्तान के साथ हालिया सैन्य संघर्ष के बाद भारतीय अधिकारियों ने हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल बनाने की योजना का एलान किया है.
19 जून को डीआरडीओ (डिफ़ेंस रीसर्च एंड डेवेलपमेन्ट ऑर्गेनाइज़ेशन) ने ये जानकारी दी कि वह कम से कम दो हाइपरसोनिक प्लेटफॉर्म पर काम कर रही है, जिन्हें रूस के साथ मिलकर बनाया जाएगा.
इनमें ऐसी हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों का निर्माण शामिल हैं, जो लगातार हाइपरसोनिक गति से आगे बढ़ सकती हैं. साथ ही हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइलें या हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स पर भी काम होगा.
इसके अलावा भारत और रूस में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का एडवांस्ड वर्ज़न बनाने को लेकर भी चर्चा चल रही है. पाकिस्तान के ख़िलाफ़ भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' में ब्रह्मोस की सफलता के बाद इस काम में तेज़ी लाई गई है.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत का स्वदेशी हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल बनाने का प्रोग्राम 'कलाम-6' (के-6) भी आख़िरी चरण में पहुंच चुका है.
के-6 मिसाइल को पनडुब्बी से भी दाग़ा जा सकता है और कहा ये भी जा रहा है कि संभवतः इस मिसाइल को समुद्र में परीक्षण के लिए तैयार किया जा रहा है. साथ ही भविष्य में इसके युद्धपोत से परीक्षण की भी योजना है.
के-6 मिसाइल के बारे में कहा जा रहा है कि ये मैक 7.5 की गति तक पहुंच सकती है और इसके ज़रिए 8,000 किलोमीटर दूर तक के ठिकाने पर हमला किया जा सकता है.
साथ ही डीआरडीओ ने अपनी मिसाइल क्षमता को और बढ़ाने के लिए अस्त्र एयर-टू-एयर मिसाइल के नए संस्करण एमके-2 और एमके-3 के विकास की योजना का भी एलान किया है.

इस बीच रुद्रम सिरीज़ की एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों को भी अपग्रेड कर सेना के ज़खीरे में रुद्रम-2, रुद्रम-3 और रुद्रम-4 को जोड़ने की योजना बनाई है. ये मिसाइलें फिलहाल विकास के अलग-अलग चरणों में हैं.
अपनी रक्षा काबिलियत बढ़ाने की दिशा में भारत 'प्रोजेक्ट कुश' के तहत लंबी दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम बना रहा है. इस प्रोजेक्ट में तेज़ी लाई जा रही है.
सरकार का लक्ष्य है कि इसके तीन संस्करणों को 2030 तक सेना में शामिल करना है.
डीआरडीओ के अनुसार भारत का ये डिफ़ेंस सिस्टम, रूस के एस-500 के बराबर या एस-400 से बेहतर क्षमता वाला होगा.
पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद से सरकार की एक और प्राथमिकता स्पेस आधारित अपनी क्षमताओं को मज़बूत करना है.
हाल के दिनों में सरकार ने स्पेस बेस्ड सर्विलांस (स्पेस तकनीक के इस्तेमाल से नज़र रखने और संपर्क चैनल बनाने की क्षमता) से जुड़े प्रोग्राम में तेज़ी लाने की घोषणा की. इसकी लागत लगभग 26 हज़ार 968 करोड़ रुपये (3.15 अरब डॉलर) आंकी गई है.
इस योजना के तहत 2029 तक 52 डेडिकेटेड डिफ़ेंस सैटेलाइट लॉन्च किए जाने हैं. सरकार की कोशिश है कि इस समयसीामा को और कम किया जा सके.
इस सैटेलाइट सिस्टम से चीन, पाकिस्तान और हिंद महासागर जैसे संवेदनशील इलाकों में "गहरी और लगातार" निगरानी कर पाना संभव हो सकेगा.
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पाकिस्तान के साथ बीते दिनों हुए संघर्ष के बाद भारत ने सैन्य इस्तेमाल के लिए ड्रोन तकनीक की तरफ अपना ध्यान बढ़ा दिया है. मानवरहित युद्ध क्षमता में इज़ाफ़ा करने के लिए सरकार का ध्यान अब जल्द खरीद के साथ-साथ देश के भीतर इस तकनीक के विकास पर भी है.
सरकार ड्रोन और मानवरहित विमान के क्षेत्र में बड़े निवेश की योजना बना रही है और अगले एक-दो साल में लगभग 47 करोड़ डॉलर के निवेश करने वाली है.
23 जून को भारतीय सेना ने मुंबई स्थित एक ड्रोन कंपनी आईडियाफोर्ज टेक्नोलॉजी को हाइब्रिड मिनी ड्रेन के लिए 137 करोड़ रुपये का एक ऑर्डर दिया.
ये फास्ट ट्रैक प्रक्रिया मई में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान दिखी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए की गई थी.
इसके अलावा इसी महीने 26 जून को सरकार ने दो हज़ार करोड़ रुपये की लागत से रिमोटली पायलटेड एरियल व्हीकल्स (ऐसे ड्रोन जिन्हें काफी दूर से कंट्रोल किया जा सकता है) की ख़रीद को मंज़ूरी दी. ये फ़ैसला ड्रोन के बढ़ते संभावित ख़तरों से निपटने के लिए लिया गया.
इसके लिए भारतीय सेना ने निजी क्षेत्री की एक कंपनी के साथ मिलकर कम लागत के एंटी ड्रोन्स बनाने की भी पहल पर काम शुरू किया है. ये ख़ासतौर पर झुंड में आते ड्रोन्स पर कारगर होंगे. इस पहल का उद्देश्य दुश्मन के बड़े ड्रोन्स और आसमान में उड़ रहे अन्य ड्रोन्स (जिन्हें लॉयटरिंग म्यूनिशन भी कहा जाता है) उससे निपटना है.
माना जा रहा है कि इन सस्ते एंटी-ड्रोन्स की क्षमता का परीक्षण जल्द होने वाला है.
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रक्षा बजट में बढ़ोतरी
भारत के साथ बीते दिनों हुए सैन्य संघर्ष के कुछ दिनों बाद पाकिस्तान सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के अपने रक्षा बजट में 20.2 फ़ीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा की.
पाकिस्तान का नया रक्षा बजट अब 2,550 अरब रुपये (8.9 अरब डॉलर) का है. ये पिछले वित्त वर्ष के 2,122 अरब रुपये (7.47 अरब डॉलर) के मुक़ाबले काफ़ी अधिक है.
रक्षा बजट में ये बढ़ोतरी ऐसे वक्त की गई है जब देश के कुल सरकारी खर्च में 7 फ़ीसदी तक की कटौती की गई है.
ये इस बात की तरफ इशारा है कि भारत के साथ सैन्य संघर्ष के बाद पाकिस्तान सरकार ने अपनी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने को अपनी प्राथमिकता बनाया है.
इस रक्षा बजट में लगभग 704 अरब रुपये (2.47 अरब डॉलर) का आवंटन केवल सैन्य साजो-सामान की खरीद के लिए किया गया है.
हथियारों की खरीदभारत के साथ सैन्य संघर्ष के बाद पाकिस्तान ने अब तक हथियारों के किसी सौदे को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन मिल रही रिपोर्टों के अनुसार उसने चीन के दो फ़िफ़्थ जेनेरेशन फ़ाइटर जेट में से एक की खरीद की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है.
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान जल्द ही चीन के शेनयांग एफ़सी-31 'गाइरफ़ैल्कन' फ़ाइटर जेट (जे-35ए का एक्सपोर्ट वर्ज़न) को अपनी सेना में शामिल करने वाला है. ख़बरों के अनुसार इस जेट विमान के लिए पाकिस्तानी वायुसेना के पायलट चीन में ट्रेनिंग ले रहे हैं.
6 जून को पाकिस्तान सरकार ने यह ऐलान किया कि चीन ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण देने की पेशकश की है, इनमें फ़िफ़्थ जेनेरेशन जे-35 स्टेल्थ फ़ाइटर जेट शामिल है.
पाकिस्तान सरकार ने सोशल मीाडिया एक्स पर किए एक पोस्ट में लिखा, "प्रधानमंत्री मोहम्मद शहबाज़ शरीफ़ के नेतृत्व में पाकिस्तान ने कई कूटनीतिक उपलब्धियां हासिल की हैं. इनमें चीन से 40 जे-35 स्टेल्थ फ़ाइटर जेट, केजे-500 एडब्ल्यूएसीएस, एचक्यू-19 डिफेंस सिस्टम खरीदने की पेशकश और 3.7 अरब डॉलर के कर्ज़ को स्थगित करना शामिल है."
एडब्ल्यूएसीएस, एक ख़ास तरह का विमान होता है जिसमें रडार और सेन्सर्स के साथ-साथ सर्विलांस उपकरण लगे होते हैं. ये दुश्मन की टोह लेने और चेतावनी देने के काम आता है.
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