मार्च 2025 में अमेरिका के टेक्सास राज्य में एक रॉकेट प्रक्षेपण स्थल से दुनिया के सबसे शक्तिशाली रॉकेट स्टारशिप का प्रक्षेपण हुआ.
स्पेस एक्स की स्टारशिप के दो हिस्से थे. एक हिस्सा रॉकेट बूस्टर था जिसे 'सुपर हेवी' नाम दिया गया था.
इसका ऊपरी हिस्सा एक अंतरिक्षयान था और इन दोनों हिस्सों को मिला दिया जाए तो इसकी लंबाई थी 403 फ़ीट थी.
उड़ान के कुछ मिनटों बाद सुपर हेवी से अलग होते ही ऐसा लगने लगा था कि उस मानवरहित अंतरिक्षयान में कोई गड़बड़ी है.
इसके बाद वो अनियंत्रित तरीके से चक्कर खाने लगा. फिर उसमें विस्फोट हो गया.
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स्पेस एक्स ने पुष्टि की कि इस यान का टूटना अपेक्षित नहीं था. यान का जलता हुआ मलबा दक्षिण फ़्लोरिडा में गिरा.
फ़्लोरिडा में सभी विमानों की उड़ान को रोक दिया गया. यह स्पेस एक्स की स्टारशिप का आठवां परीक्षण था. मगर यह दूसरा स्टारशिप अंतरिक्षयान था जो विस्फोट के बाद टूट गया.
पहला हादसा जनवरी में हुआ था.
स्पेस एक्स की विश्वसनीयता का रिकॉर्ड अच्छा ज़रूर है लेकिन चंद हफ़्तों के भीतर उसके दो अंतरिक्षयान दुर्घनाग्रस्त हो जाने से इसको लेकर लोगों के मन में सवाल जरूर उठ सकते हैं.
इसलिए इस हफ़्ते दुनिया जहान में हम यही जानने की कोशिश करेंगे कि क्या स्पेस एक्स की हालत ठीक है?
मिसिसिपी यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर एयर एंड स्पेस लॉ की निदेशक प्रोफ़ेसर मिशेल हैनलन कहती हैं कि अंतरिक्ष में असीमित संभावनाएं हैं. अंतरिक्ष में खोज से धरती पर जीवन काफ़ी अधिक सुविधाजनक हो गया है.
वे कहती हैं, "1960 के दशक में मनुष्य के अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद से ही अंतरिक्ष का व्यावसायिक इस्तेमाल शुरू हो गया था. अब सैटेलाइट्स की मदद से हम मौसम का अंदाज़ा लगा सकते हैं और जलवायु परिवर्तन के परिणामों से निपटने में भी इससे मदद मिल रही है."
"सैटेलाइट्स का इस्तेमाल सूचना संचार ही नहीं बल्कि मनोरंजन के लिए भी हो रहा है. हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हमारा कामकाज एक दिन भी सैटेलाइट के बिना नहीं चल सकता. पिछले दस सालों में अंतरिक्ष के इस्तेमाल में बड़ा उछाल आया है. पहले केवल सरकारें अंतरिक्ष का इस्तेमाल करती थीं लेकिन अब निजी कंपनियां भी आर्थिक कारणों से अंतरिक्ष का रुख़ कर रही हैं."
ये नई कंपनियां अंतरिक्ष को अलग नज़र से देख रही हैं.
प्रोफ़ेसर मिशेल हैनलन का कहना है कि अब अंतरिक्ष को एक नई अर्थव्यवस्था के स्रोत के रूप में देखा जा रहा है. अंतरिक्ष हमारा भविष्य है.
वो कहती हैं, "हम ऊर्जा के लिए तेल और गैस पर निर्भर नहीं रह सकते. धरती पर मनुष्य का अस्तित्व बरकरार रखने के लिए अंतरिक्ष के उन संसाधनों का इस्तेमाल ज़रूरी है जिनका इस्तेमाल हमने पहले नहीं किया था. मिसाल के तौर पर दुर्लभ खनिज या चंद्रमा से हीलियम 3 प्राप्त किया जा सकता है. दूसरा तरीका यह है कि हम मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेज कर वहां बस्तियां बसा सकते हैं. इसके लिए अंतरिक्ष में कैसे जिया जा सकता है, यह जानने की ज़रूरत है."
"यह नई कंपनियां फ़ायदा ज़रूर कमाना चाहती हैं लेकिन अंतरिक्ष के संसाधनों के इस्तेमाल से फ़ायदा कमाने में अभी कई दशक लगेंगे."
अंतरिक्ष के इस्तेमाल और वहां मनुष्यों के व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय संधियां हुई हैं.
अंतरिक्ष में व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए हुई संयुक्त राष्ट्र की संधि पर 115 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं. प्रोफ़ेसर मिशेल हैनलन कहती हैं कि संयुक्त राष्ट्र संधि के अनुसार कोई देश अंतरिक्ष के किसी हिस्से पर दावा नहीं कर सकता क्योंकि यह सभी मनुष्यों के लिए है.
हालांकि, देश जैसा चाहें अंतरिक्ष का इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन यहां कुछ सवाल ज़रूर खड़े हो सकते हैं.
प्रोफ़ेसर मिशेल हैनलन कहती हैं कि अमेरिका में निजी कंपनियों के अंतरिक्ष में खोज करने या उसके इस्तेमाल के लिए लाइसेंस देने के मामले में नियम कड़े हैं.
फिलहाल मनुष्यों को केवल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या चाइनीज़ अंतरिक्ष स्टेशन भेजा जाता है या वहां वैज्ञानिक उपकरण और सामान भेजे जाते हैं.
प्रोफ़ेसर मिशेल हैनलन ने कहा कि अंतरिक्ष की स्थितियां मनुष्य के लिए बहुत मुश्किल हैं और उड़ान बहुत महंगी हैं इसलिए ज्यादा लोगों को अंतरिक्ष में नहीं ले जाया जा रहा.
उन्होंने कहा, "हो सकता है कि अगले दस सालों में अंतरिक्ष में होटल भी बना दिए जाएं, जहां वो लोग जाकर आनंद ले सकेंगे जिनके पास बहुत पैसे होंगे. लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि शुरुआती दिनों में विमान सेवा भी लोगों के लिए बहुत महंगी थी और धनी लोग ही विमान में यात्रा कर सकते थे. लेकिन अब वो पहले के मुकाबले काफ़ी सस्ती हो गयी है. भविष्य में अंतरिक्षयात्रा के साथ भी ऐसा ही कुछ हो सकता है."
स्पेस एक्स कंपनी का एक उद्देश्य अंतरिक्षयात्रा को सस्ता बनाना भी है.
नयी सोचस्पेस एक्स एक निजी कंपनी है जिसकी स्थापना 23 साल पहले हुई थी. इसके वर्तमान सीइओ एलन मस्क शुरू से ही कंपनी का हिस्सा रहे हैं.
कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी में एस्ट्रो फिज़िक्स के प्रोफ़ेसर जैक बर्न्स बताते हैं कि स्पेस एक्स की स्थापना सैटेलाइट या उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए हुई थी और अब भी यह कंपनी की आय का मुख्य ज़रिया है.
वो कहते हैं, "सभी कंपनियों की तरह स्पेस एक्स का मक़सद भी पैसे कमाना है जो कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण है. जब स्पेस एक्स की स्थापना हुई तब इस बाज़ार में प्रतिस्पर्धा कम थी. सिर्फ़ एक और कंपनी थी. वो थी यूनाइटेड लॉन्च अलायंस जो बोइंग और लॉकहीड मार्टिन की कंपनी थी और बाज़ार पर उसी का कब्ज़ा था. तब एलन मस्क ने अंतरिक्ष खोज मे लगने वाले खर्च को कम करने के तरीकों के बारे में सोचा."
"तरीका यह था कि अपने रॉकेट का इस्तेमाल कई बार किया जाए. जैक बर्न्स बताते हैं कि रॉकेट का बूस्टर इंजन बनाने में पैसे और समय लगता है. अगर वो एक ही बार इस्तेमाल हो सके तो यह ऐसा ही है जैसे आप अपनी कार से ऑफ़िस जाएं और लौट कर कार को नष्ट कर के नई कार ख़रीदें. मगर एलन मस्क की स्पेस एक्स कंपनी ने लॉन्च इंजन को दोबारा इस्तेमाल करने की तकनीक ढूंढ निकाली."
यह प्रक्रिया ऐसी थी कि बूस्टर इंजन से रॉकेट अलग होने के बाद इंजन दोबारा धरती पर आ जाता है. मशीनों के ज़रिए उसे हवा में ही पकड़ कर नीचे लाया जाता है. मरम्मत के बाद उसे दोबारा अगले रॉकेट लॉन्च या प्रक्षेपण के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. मगर स्पेस एक्स ने अक्तूबर 2024 में यह कर दिखाया.

जैक बर्न्स कहते हैं कि बहुत से लोगों को विश्वास नहीं था कि ऐसा हो पाएगा.
वो कहते हैं, "मस्क ने रॉकेट को रीयूज़ेबल बना कर प्रक्षेपण का खर्च घटा कर लगभग आधा कर दिया. मस्क यही तकनीक अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने वाले अंतरिक्षयान स्टारशिप में इस्तेमाल करना चाहते हैं. आने वाले दस सालों में इस तकनीक की बदौलत अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर ले जाना संभव हो सकता है."
2012 में स्पेस एक्स के अंतरिक्षयान ड्रैगन ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सामान पहुंचाया था. ऐसा करने वाला वो पहला निजी अंतरिक्षयान था. इस यान के नए मॉडल ने हाल में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे नासा के दो अंतरिक्षयात्रियों को सफलतापूर्वक धरती पर लाया.
जैक बर्न्स कहते हैं कि नासा ने स्पेस एक्स में लाखो डॉलर का निवेश किया है और नासा की मदद के बिना स्पेस एक्स का काम जारी नहीं रह सकता था. मस्क का अगला उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों को पहले चंद्रमा पर और फिर मंगल ग्रह पर ले जाना है. मगर मस्क की स्पेस एक्स ने इतनी सफलता कैसे हासिल की?
जैक बर्न्स का कहना है कि अंतरिक्ष में खोज से जुड़ी कंपनियां एक ख़ास पारंपरिक निर्धारित तरीके से काम करती रही हैं लेकिन स्पेस एक्स के व्यापार और काम करने का अंदाज़ नया है. वो नए सिद्धांतों के आधार पर काम करती है.
मस्क कंपनी में युवाओं को लेकर आए जो नए प्रयोग करने और पुराने सिद्धांतों को तोड़ने से कतराते नहीं है. उन्होंने एक नयी सोच को अपनाया है जिससे उन्हें फ़ायदा हुआ है.
अमेरिका की वर्जीनिया टेक यूनिवर्सिटी के एयरोस्पेस एंड ओशन इंजीनियरिंग विभाग की प्रमुख डॉक्टर एला ऐटकिन्स कहती हैं कि स्पेस एक्स कंपनी परीक्षण के दौरान उसके अंतरिक्षयान के विस्फोट होने को असफल नहीं मानती.
एला ऐटकिन्स कहती हैं, "कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर बनाने वाली कई कंपनियां पहले सॉफ़्टवेयर का बीटा वर्जन बाज़ार में लाती हैं और कुछ देर इस्तेमाल के बाद जब उसकी ख़ामियों का पता चलता है तो उन्हें सुधार कर फ़ाइनल वर्जन पेश करती हैं. यही फ़ॉर्मूला स्पेस एक्स ने भी अपनाया है. वो विफलता से डरे बिना तेजी से परीक्षण करती है और विफलता के बाद उससे सबक ले कर तेजी से सुधार करने की कोशिश करती है."
"उन्होंने अपने रॉकेटों के दुर्घटनाग्रस्त होने से बहुत कुछ सीखा है. अन्य कंपनियां विश्लेषण पर बहुत समय लगाती हैं मगर स्पेस एक्स परीक्षण और उसकी विफलता से तेजी से सीखने पर बल देती है और इसी वजह से उसकी टेक्नोलोजी अन्य कंपनियों की तुलना में तेजी से विकसित हुई है."
स्पेस एक्स अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने से पहले मानवरहित अंतरिक्षयानों की उड़ान के कई परीक्षण करती है. ऐसे में कुछ सप्ताह के भीतर उसके दो अंतरिक्षयानों का दुर्घटनाग्रस्त होना क्या कोई ख़ास चौंकाने वाली बात नहीं है?

डॉक्टर एला ऐटकिन्स ने जवाब दिया, "मेरे ख़्याल से यह उनकी फ़ेल फ़ास्ट सोच के अनुसार ही हुआ है. उन्हें पहली कोशिश के बाद काफ़ी जानकारी मिली और उन्हें लगा कि उन्होंने वो ग़लतियां सुधार ली हैं. लेकिन उसके कई इंजीनियरों को पता होगा कि रॉकेट की उड़ान इतनी लंबी नहीं रही है कि उससे अगले चरण में अंतरिक्षयान के रॉकेट से अलग होने की प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध हो सके."
रॉकेट का प्रक्षेपण एक बेहद पेचीदा प्रक्रिया है जिसमें कई प्रकार की गड़बड़ियां हो सकती हैं.
डॉक्टर एला ऐटकिन्स कहती हैं कि अमेरिका ने जब अंतरिक्षयान को अंतरिक्ष में भेजा था तब भी वह केवल 97 से 98 प्रतिशत ही भरोसेमंद थे. अगर हम सौ प्रतिशत भरोसे का इंतज़ार करें तो शायद कोई अंतरिक्षयान उड़ान नहीं भर पाएगा क्योंकि इसमें दुर्घटना का जोखिम हमेशा रहता है. और यह चुनौती सिर्फ़ स्पेस एक्स के सामने नहीं है.
डॉक्टर एला ऐटकिन्स बताती हैं कि अमेरिका में स्पेस एक्स के अलावा दूसरी कंपनियां भी अंतरिक्ष प्रक्षेपण के लिए रॉकट और अंतरिक्षयान बना रही हैं. इनमें से कुछ कंपनियां ज्यादा भारी सामान ले जाने या तेज रफ़्तार से अंतरिक्ष में जाने के लिए नए अंतरिक्षयान बना रही हैं. जिन असफलताओं का सामना स्पेस एक्स ने किया उसका सामना दूसरी कंपनियों को भी करना पड़ेगा.
दूसरी कंपनियां कौन है और उनसे स्पेस एक्स पर क्या असर पड़ेगा?
प्रतिस्पर्धाएरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के थंडरबर्ड स्कूल ऑफ़ इनीशिएटिव फ़ॉर स्पेस लीडरशिप के निदेशक डेविड थॉमस, स्पेस एक्स की विश्वसनीयता की मिसाल देते हुए बताते हैं कि नासा ने तीस सालों में एक सौ तीस बार अंतरिक्षयान को अंतरिक्ष में भेजा जबकि स्पेस एक्स के फ़ाल्कन-9 ने केवल पिछले साल ही 132 उड़ानें भरीं.
"अंतरिक्ष उद्योग में स्पेस एक्स का दबदबा है मगर उसके कुछ प्रतिस्पर्धी भी हैं जिसमें ब्लू ओरिजिन कंपनी प्रमुख है. उसने अंतरिक्ष पर्यटन के लिए अपना अंतरिक्षयान बनाया है."
स्पेस एक्स के सीईओ एलन मस्क दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति हैं लेकिन वो अकेले अरबपति नहीं है जिन्हें अंतरिक्ष का जुनून है. अमेज़न के संस्थापक जेफ़ बेज़ोस ने ब्लू ओरिजिन कंपनी की स्थापना की. वहीं अंतरिक्ष पर्यटन के लिए रिचर्ड ब्रैनसन ने वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी खोली है.
डेविड थॉमस ने कहा कि इनके अलावा और भी कंपनियां हैं. एक्सियम स्पेस अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को सुविधाएं पहुंचाने का काम करती आ रही है.
"2031 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को बंद कर दिया जाएगा जिसे देखते हुए कई कंपनियां उसका विकल्प कायम करने की योजना बना रही हैं. ज़ीरो टू इनफ़ीनिटी, रेडवायर कार्पोरेशन इस उद्योग में शामिल हैं. फ़ायरफ़्लाई कंपनी ने चांद पर लैंडर उतारने के कई सफल परीक्षण किए हैं."
इनके अलावा जापान की वाहन निर्माण कंपनियां भी इस उद्योग में कदम रख चुकी हैं. मित्सूबिशी ने लॉन्च रॉकेट बना लिया है और टोयोटा की भी यही योजना है.
डेविड थॉमस कहते हैं कि यूरोप की 'एसईएस' सैटलाइट बनाने वाली एक बड़ी कंपनी है. इस समय दुनिया में लगभग 500 कंपनियां अंतरिक्ष उद्योग में हैं और उनकी संख्या बढ़ने वाली है. स्पेस एक्स ने अंतरिक्ष में पहुंचने के खर्च को कम कर के कई नई कंपनियों के लिए इस उद्योग का रास्ता खोल दिया है.
दूसरी बात यह कि कई नयी कंपनियां स्पेसएक्स की विचारधारा अपना चुकी हैं.
डेविड थॉमस की राय है कि स्पेस एक्स को सबसे ज़्यादा टक्कर नई स्टार्टअप कंपनियों से मिलेगी.
वो कहते हैं, "नासा ने चंद्रमा के आर्थिक इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए कई कंपनियों को प्रोत्साहित करने की योजना बनायी है जिसके तहत नयी कंपनियों को नासा ने कॉन्ट्रैक्ट दिए हैं. इन नई कंपनियों का कोई लंबा इतिहास नहीं है. यह पिछले दस-बारह सालों में बनी हैं. यह कंपनियां कामकाज के रचनात्मक, नये और किफ़ायती तरीके अपना रही हैं. ऐसी और भी कंपनियां अंतरिक्ष उद्योग में आएंगी."
तो अब लौटते हैं मुख्य प्रश्न की ओर- क्या स्पेस एक्स की हालत ठीक है?
अपने 23 वर्षों के इतिहास में स्पेस एक्स को बड़ी सफलताएं और बड़ी विफलताएं भी मिली हैं.
हाल में उसके दो अंतरिक्षयान परीक्षण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गए. हालांकि कंपनी को अंदाज़ा था कि ऐसा हो सकता है. स्पेस एक्स ने अंतरिक्ष में उड़ान भरने के खर्च को कम कर के दिखाया है और नयी कंपनियों को प्रेरित किया है. अब भी अंतरिक्ष उद्योग में वो सबसे प्रबल कंपनी है लेकिन उसके लिए इस मकाम पर बने रहना आसान नहीं होगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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