भारतीय चुनाव आयोग ने सोमवार को 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपने मतदाता सूची (इलेक्टोरल रोल) के गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर की घोषणा की है.
चुनाव आयोग का कहना है कि यह विशेष पुनरीक्षण दोहराए गए नामों को हटाने और मृत मतदाताओं के नाम मिटाने के लिए किया जा रहा है.
मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने बिहार राज्य में हाल ही में हुए सत्यापन अभियान को "वोट चोरी" करार दिया है. उनका आरोप है कि इस दौरान लाखों वैध मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए थे.
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एसआईआर का पहला चरण पूरा हो गया है.
किन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में होगा एसआईआर?- अंडमान और निकोबार
- छत्तीसगढ़
- गोवा
- गुजरात
- केरल
- लक्षद्वीप
- मध्य प्रदेश
- पुडुचेरी
- राजस्थान
- उत्तर प्रदेश
- पश्चिम बंगाल
- तमिलनाडु
Getty Images मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा है कि एसआईआर के दस्तावेज़ में आधार मान्य है मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एसआईआर की आवश्यकता पर पहले बहुत चर्चा हो चुकी है लेकिन हर चुनाव से पहले इलेक्टरोल रोल का रिवीजन आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों से लगभग हर राजनीतिक पार्टी ने मतदाता सूची के शुद्ध न होने को लेकर लगातार शिकायतें दी हैं. पहले 1951 से लेकर 2004 तक लगभग आठ बार एसआईआर चुनाव आयोग ने कराया है. और आख़िरी एसआईआर लगभग 21 साल पहले 2002 से लेकर 2004 में पूरा किया गया था.
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर की घोषणा की गई थी. चुनाव आयोग ने कहा है कि बिहार में एसआईआर सफल रहा है. हालांकि, विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया से बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं के नाम भी मतदाता सूची से हटाए गए हैं.
चुनाव आयोग ने एसआईआर की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कई कारण बताए हैं- जैसे तेज़ी से हो रहा शहरीकरण, लोगों का पलायन, युवा नागरिकों का मतदान के योग्य होना और अवैध विदेशी नागरिकों का मतदाता सूची में शामिल हो जाना.
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार में लोगों ने चुनाव आयोग पर विश्वास भी जताया. उन्होंने कहा कि एसआईआर करते समय बड़ी संख्या में चुनाव कर्मी चुनाव आयोग के साथ काम करते हैं. उन्होंने बताया कि 1000 वोटर के ऊपर एक पोलिंग स्टेशन औसत तौर पर होता है. हर पोलिंग स्टेशन पर एक बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) होता है.
एसआईआर के लिए स्वीकार किए जाने वाले दस्तावेजों की सूची में पहचान पत्र, पेंशन पेमेंट ऑर्डर, पासपोर्ट, बोर्ड/यूनिवर्सिटी डिग्री, आवास प्रमाण पत्र, आधार समेत कई अन्य दस्तावेज शामिल हैं.
वहीं, आधार के बारे में ज्ञानेश कुमार ने कहा है कि आधार नागरिकता, डोमिसाइल या जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है, लेकिन एसआईआर में पहचान पत्र के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
एसआईआर प्रक्रिया: अहम तारीख़प्रिंटिंग/ट्रेनिंग: 28 अक्तूबर से 3 नवंबर, 2025
घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी जुटाना: 4 नवंबर से 4 दिसंबर, 2025
ड्राफ़्ट इलेक्टोरल रोल जारी करने की तारीख: 9 दिसंबर, 2025
आपत्ति दर्ज कराने की अवधि: 9 दिसंबर, 2025 से 8 जनवरी, 2026
सुनवाई और सत्यापन: 9 दिसंबर, 2025 से 31 जनवरी, 2026
अंतिम इलेक्टोरल रोल जारी करने की तारीख: 7 फ़रवरी, 2026
क्या क्या करेंगे बीएलओ?- नए मतदाता को शामिल करने के लिए फॉर्म-6 और घोषणा पत्र इकट्ठा करेंगे और उनके मिलान/लिंकिंग में मदद करेंगे.
- मतदाता को नामांकन फॉर्म (ईएफ़) भरने में मदद करेंगे.
- हर मतदाता के घर पर कम से कम तीन बार जाएंगे मतदाता ऑनलाइन भी ईएफ़ फॉर्म भर सकते हैं, खासकर शहरी मतदाता या अस्थायी रूप से स्थानांतरित लोग.
- ऐसे मतदाताओं की पहचान करेंगे जो मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित हैं या एक से अधिक जगह पंजीकृत हैं.
- गणना चरण के दौरान ईएफ़ फॉर्म के साथ किसी अन्य दस्तावेज़ को इकट्ठा करने की आवश्यकता नहीं होगी.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त से जब ये पूछा गया कि 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की एसआईआर वाली सूची में असम का नाम क्यों नहीं है तो उनका कहना था, "जैसा कि आपको पता होगा कि भारतीय नागरिकता कानून में असम के लिए अलग प्रावधान है. और दूसरा विषय ये है कि सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में वहां पर नागरिकता की जांच का कार्यक्रम लगभग पूरा होने वाला है."
"ऐसी स्थिति में 24 जून को एसआईआर का जो ऑर्डर जारी किया गया था, वो पूरे देश के लिए था. हालांकि, असम पर लागू नहीं होता. इसलिए असम के लिए अलग से रिवीजन के आदेश जारी किए जाएंगे."
एसआईआर पर प्रतिक्रियाकांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एसआईआर की घोषणा पर कहा,"अभी तक बिहार में हुए एसआईआर से जुड़े सवालों के जवाब हमें नहीं मिले हैं. हालात ये थे कि एसआईआर को दुरुस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को आगे आना पड़ा."
उन्होंने कहा, "बिहार के एसआईआर से चुनाव आयोग और बीजेपी की नीयत पूरे देश के सामने आ चुकी है."
पवन खेड़ा ने कहा, "जब भी एसआईआर होता है, चुनाव आयोग के कर्मचारी हर घर जाते हैं, नए वोटरों को जोड़ते हैं और जिन्हें डिलीट करना होता है, उन्हें डिलीट करते हैं."
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने चुनाव आयोग से14 सवाल किए हैं. उन्होंने कहा कि आयोग को यह बताना चाहिए कि बिहार में एसआईआर के अनुभव से उन्हें क्या सीख मिली और इन सीखों को ध्यान में रखते हुए एसआईआर के मूल आदेश में क्या संशोधन किए गए.
उन्होंने सवाल किया, "क्या एसआईआर का उद्देश्य अवैध विदेशी नागरिकों को हटाना है? अगर हां, तो चुनाव आयोग को यह जानकारी देनी चाहिए कि बिहार में कितने विदेशी पाए गए और कितने मतदाता सूची से हटाए गए?"
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के पी मौर्य ने कहा, "मैं इस फ़ैसले का स्वागत करता हूं. बूथ कब्ज़ा करके, गुंडागर्दी के बल पर फर्जी वोट डलवाकर चुनाव जीतने का मंसूबा पाले थे, ये लोकतंत्र का पवित्र यज्ञ है. अगर कोई घुसपैठिया घुस आया है और हमारी मतदाता सूची तक घुस गया है, तो उसे बाहर होना चाहिए."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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