धौलपुर जिला स्थापना 15 अप्रैल के अवसर पर विशेष
धौलपुर, 14 अप्रैल (हि.स.)। अपने आगोश में अथाह जल राशि समेटे जीवनदायिनी चंबल नदी का किनारा। डांग क्षेत्र की खदानों में विश्व विख्यात लाल बलुआ पत्थर। सभी तीर्थों के भांजे के रूप में मान्यता रखने वाला तीर्थराज मचकुंड सरोवर। कौमी एकता की मिसाल के रूप में चर्चित शाह अब्दाल शाह बाबा की दरगाह एवं गुरुद्वारा शेर शिकार दाताबंदी छोड़। देश की राजधानी दिल्ली में बना धौलपुर हाउस। और मरुधरा कहे जाने वाले राजस्थान के 27 वें जिले के रूप में मान्यता। रियासत काल के धवलपुर से आधुनिक जिले के रूप में विख्यात होने तक के सफर में धौलपुर जिले की यही दास्तान है। आज हमारा धौलपुर 44 साल का हो गया है। इन बीते सालों के सफर में धौलपुर ने राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक तथा प्रशासनिक दृष्टि से कई मील के पत्थर पार किए हैं। लेकिन एक विकसित महानगर और स्मार्ट सिटी बनने का सफर अभी बाकी है।
पूर्वी राजस्थान के धौलपुर जिले के अतीत पर गौर करें, तो पता चलता है कि धौलपुर की स्थापना 700 ईस्वी पूर्व एक राजपूत शासक राजा धवलदेव ने की। इसी राजा के नाम पर इस प्राचीन रियासत का नाम धवलपुर रखा गया जो बाद में अपभ्रंश होकर धौलपुर कहलाने लगा। इसके बाद यहा 846 ईस्वी में चौहान वंश का अधिकार हो गया। तब कई वर्षो तक चौहानों ने यहां शासन किया गया बाद में चौहान ग्वालियर की ओर चले गए। तत्कालीन राजतांत्रिक व्यवस्था में धौलपुर रियासत को 1801 ईस्वी में भरतपुर के जाट शासकों को सुपुर्द कर दिया गया । धौलपुर के इतिहास के मुताबिक धौलपुर के प्रथम जाट शासक कीरत सिंह थे। वर्ष 1947 में भारत की आज़ादी तक जाट शासकों ने धौलपुर रियासत पर शासन किया। आज़ादी के बाद में देसी रियासतों की एकीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई।
इसके साथ ही शुरू हुए राजस्थान के एकीकरण के प्रथम चरण में 18 मार्च 1948 को धौलपुर,भरतपुर,करौली एवं अलवर को मिलाकर मत्स्य संघ का निर्माण किया गया। देश के साथ साथ राजस्थान की देशी रियासतों में धौलपुर रियासत की अपनी अलग धाकही नतीजा था कि तब धौलपुर रियासत के नरेश राणा उदयभान सिंह मत्स्य संघ के राज प्रमुख बनाए गए। इसके बाद में में धौलपुर रियासत को राजस्थान के साथ ही भारत संघ में मिला दिया गया। तब धौलपुर रियासत के अंतिम शासक राणा उदयभान सिंह ने 7 अप्रैल 1949 को भारतीय संघ में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। देश मे देशी रियासतों के विलीनीकरण के बाद जब बृहत राजस्थान बना,तो धौलपुर मरुधरा का एक हिस्सा बन कर भरतपुर जिले के अधीन धौलपुर उपखंड के रूप में ही स्थापित हुआ।
इसके बाद धौलपुर के लोगों के मन धौलपुर को अलग जिला बनाने की इच्छा जागी। इसी इच्छा को अमलीजामा पहनाने के लिए कई सालों तक धौलपुर को स्वतंत्र रूप से जिला बनाए जाने को लेकर अनशन, धरना, प्रदर्शन एवं चिट्ठी पत्री से लेकर अन्य सभी जतन किए गए। धौलपुर को स्वतंत्र जिला बनाने की मांग ने 60 और 70 के दशक में अधिक जोर पकड़ा और इसके लिए जिले के विभिन्न दलों के राजनेता और समाजवादी लोग एक जाजम पर बैठे और धौलपुर को जिला बनाने की मांग को बुलंद किया। धौलपुर शहर के पुराना डाकखाना चौराहे पर कई दिनों तक क्रमिक अनशन और धरना चलता रहा। इसके बाद सूबे की सरकार को झुकना पड़ा और धौलपुर को स्वतंत्र जिला बनाने का मानस सरकार आखिरकार बना ही लिया। फिर बारी आई धौलपुर की जिले के रूप में स्वतंत्र अस्तित्व की।
राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर धौलपुर आये एवं उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री प्रद्युम्न सिंह के साथ धौलपुर जिले के गठन संबंधी घोषणा पर हस्ताक्षर किए। और इस तरह से काफी संघर्षों के बाद में 15 अप्रैल सन 1982 को धौलपुर राजस्थान का 27 वां जिला बन गया। धौलपुर की जिला अदालत परिसर में इस संबंध में एक शिलालेख लगा है, जिसमें धौलपुर जिले को 15 अप्रैल 1982 को स्वतंत्र जिला बनाए जाने संबंधी घोषणा अंकित है। स्वतंत्र जिले के रूप में स्थापित होने के बाद धौलपुर जिले में कई बदलाव आए हैं। धौलपुर के वर्तमान प्रशासनिक ढांचे पर गौर करें तो, धौलपुर जिले में धौलपुर, बाड़ी,बसेड़ी,राजाखेड़ा सेपयु एवं सर मथुरा पंचायत समितियां में कल 188 ग्राम पंचायत हैं। वही,धौलपुर जिले में धौलपुर नगर परिषद है तो वहीं, बाड़ी, बसेड़ी, राजाखेड़ा और सरमथुरा नगर पालिका के रूप में मौजूद है।
वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक धौलपुर जिले की कुल जनसंख्या 12 लाख 6 हजार 516 है। जिसमें पुरुषों की संख्या 6 लाख 53 हजार 647 और स्त्रियों की भागीदारी 5 लाख 52 हजार 869 है। धौलपुर जिले का जनसंख्या का घनत्व 398 प्रति वर्ग मीटर है और लिंगानुपात प्रति स्त्री और पुरुष पर 840 :1000 है। वहीं,कुल 3 लाख 913 हेक्टेयर में फैले धौलपुर जिले की साक्षरता का प्रतिशत 69.08 है। धौलपुर जिला बनने के बाद बीते कई सालों में विभिन्न क्षेत्रों में धौलपुर में काफी विकास हुआ है और जिले ने बहुआयामी मुकाम हासिल किए हैं। पर्यटन के क्षेत्र की बात करें तो, धौलपुर में पूर्वांचल के उपेक्षित पुष्कर के नाम से देश और दुनिया में चर्चित तीर्थराज मचकुंड सरोवर है। जहां प्रतिवर्ष लक्खी मेला लगता है।
इसके साथ ही चंबल की कोख में दुर्लभ घड़ियाल और डॉल्फिन की मौजूदगी है। इसके साथ ही मुगलकालीन कमल बाग, ऐतिहासिक तालाब-ए-शाही, दमोह का झरना, वन विहार,चंबल सफारी तथा कई प्राचीन बावड़िया भी पर्यटकों को आमंत्रण देती दिखाई पड़ती है। राजनीतिक क्षेत्र की बात करें तो धौलपुर रियासत की बहू वसुंधरा राजे राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। इसके साथ ही धौलपुर से कांग्रेसी दिग्गज प्रद्युम्न सिंह एवं बनवारी लाल शर्मा ने भी वरिष्ठ मंत्री के रूप में सूबे की सरकार में अपनी भागीदारी निभाई है। आज शिक्षा, चिकित्सा, सड़क एवं परिवहन के क्षेत्र में भी धौलपुर प्रगति की राह पर चल पड़ा है। धौलपुर में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज एवं लॉ कॉलेज में धौलपुर के युवा अपने भविष्य को गढ़ रहे हैं। परिवहन के क्षेत्र में धौलपुर जिला दिल्ली-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ धौलपुर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है। धौलपुर से कश्मीर से कन्याकुमारी जाने वाली मुख्य रेल लाइन पर मौजूद है।
कभी धौलपुर के डांग क्षेत्र की शान कहीं जाने वाली धौलपुर नेरोगेज ट्रेन अब बदल रही है और इसका अमान परिवर्तन जारी है। रेलवे की प्रस्तावित कार्य योजना में धौलपुर से सरमथुरा तक पुरानी नैरोगेज के स्थान पर ब्रॉड गेज तथा दूसरे चरण में सरमथुरा से लोकतीर्थ करौली होते हुए गंगापुर तक नई ब्रॉड गेज लाइन पर काम चल रहा है। कभी चंबल के बीहड़ में डकैतों की गतिविधियों के लिए बदनाम धौलपुर अब शांति का धाम बनता जा रहा है। बीते साल में ही धौलपुर जिला पुलिस ने डेढ़ सौ से अधिक डकैतों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है। इसके साथ ही धौलपुर केंद्र सरकार के नीति आयोग के आशान्वित जिला कार्यक्रम में भी शामिल है। जिसके चलते धौलपुर जिले में राष्ट्रीय स्तर पर कई बार विभिन्न मानकों में प्रथम स्थान प्राप्त किया है और धौलपुर को बतौर इनाम करोड़ों रुपए मिले हैं, जिससे विकास कार्यों को गति मिली है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रदीप
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