पटना, 30 सितंबर (हि.स.)। बिहार के कैमूर जिले में स्थित माता मुंडेश्वरी मंदिर अपने अनोखे रीति-रिवाज और प्राचीन इतिहास के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। यह अष्टकोणीय मंदिर है, जिसमें महा मंडलेश्वर शिव परिवार विराजमान हैं। माता मुंडेश्वरी मंदिर की सबसे खास बात यहां की रक्त विहीन बलि की प्रथा है।
कैमूर जिले के भगवानपुर प्रखंड अन्तर्गत पावरा पहाड़ी पर स्थित माता मुंडेश्वरी मंदिर देश का एक अनोखा और प्राचीन मंदिर है। यहां की खास बात रक्त विहीन बलि प्रथा है। यहां मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु बकरे को मंदिर लाते हैं। विधिवत पूजा-अर्चना के बाद बकरे को माता के चरणों में लेटाया जाता है, जिससे वह मूर्छित हो जाता है। मंदिर के पुजारी द्वारा चावल और फूल के अक्षत छिड़कने पर बकरा फिर से जीवित हो जाता है। इसके बाद श्रद्धालु बकरे को अपने घर ले जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह प्रथा भारत में कहीं और नहीं देखी जाती है ।
शारदीय और चैत्र नवरात्र में माता मुंडेश्वरी मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के पुजारी मुन्ना द्विवेदी के अनुसार, सालों भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र में यह संख्या और बढ़ जाती है। मंदिर की महिमा और यहां की अनोखी प्रथा श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। लोग यहां मन्नत मांगने और उसे पूरा होने पर धन्यवाद देने आते हैं।
इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित किया गया है। यह मंदिर अपनी प्राचीन अष्टकोणीय वास्तुकला, देवी मुंडेश्वरी की भव्य मूर्ति और रंग बदलने वाले पंचमुखी शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के पूर्वी हिस्से में देवी मुंडेश्वरी की एक भव्य और जीवंत पत्थर की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के बीच में एक पंचमुखी शिवलिंग है, जिसका रंग सूर्य की स्थिति के साथ बदलता रहता है।
वर्ष 1812 ईश्वी से लेकर 1904 ईश्वी के बीच ब्रिटिश यात्री आरएन मार्टिन, फ्रांसिस बुकानन और ब्लाक ने इस मंदिर का भ्रमण किया था। पुरातत्वविदों के अनुसार यहां से प्राप्त शिलालेख 389 ई के बीच का है जो इसकी पुरानता को दर्शाता है ।
मुण्डेश्वरी भवानी मंदिर की नक्काशी और मूर्तियां उतर गुप्तकालीन हैं I यह पत्थर से बना हुआ अष्टकोणीय मंदिर है I इस मंदिर के पूर्वी खंड में स्थापित देवी मुण्डेश्वरी की भव्य व प्राचीन मूर्ति मुख्य आकर्षण का केंद्र है I मां वाराही रूप में विराजमान है, जिनका वाहन महिष है I मंदिर में प्रवेश के चार द्वार हैं, जिसमे एक को बंद कर दिया गया है और एक अर्ध्द्वर है I इस मंदिर के मध्य भाग में पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है । जिस पत्थर से यह पंचमुखी शिवलिंग निर्मित किया गया है, उसमे सूर्य की स्थिति के साथ साथ पत्थर का रंग भी बदलता रहता है ।
मुख्य मंदिर के पश्चिम में पूर्वाभिमुख विशाल नंदी की मूर्ति है, जो आज भी अक्षुण्ण है I यहां पशु बलि में बकरा तो चढ़ाया जाता है,परंतु उसका वध नहीं किया जाता है। बलि की यह सात्विक परंपरा पुरे भारतवर्ष में अन्यत्र कहीं नहीं है। यह मंदिर देवी दुर्गा का एक रूप, मुंडेश्वरी देवी को समर्पित है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार चंड-मुंड के संहार के लिए जब देवी उद्यत हुई थीं, तब चंड के विनाश के बाद मुंड युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी में छिप गया था और यहीं पर माता ने उसका वध किया था। अतएव यह मुंडेश्वरी माता के नाम से स्थानीय लोगों में प्रसिद्ध है।
—————
हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी
The post बिहार के कैमूर जिले में मां मुडेश्वरी मंदिर में दी जाती है रक्त विहिन बली appeared first on cliQ India Hindi.
You may also like
Reliance Jio Rs 449 Family Postpaid Plan: Unlimited Calling, 75GB Data और Free Subscriptions के साथ किफायती विकल्प
Trump के शांति दूत बनने के जतन के बीच भारत उठा रहा है ये बड़ा कदम, अमेरिकी राष्ट्रपति को लग सकता है झटका
पंजाब: बाढ़ पीड़ितों की फिर से मदद करते नजर आए सोनू सूद, लोगों से सहायता जारी रखने की अपील
IND U19 vs AUS U19: वैभव सूर्यवंशी और वेदांद त्रिवेदी के शतक के सामने कांगारुओं ने टेक दिए घुटने, पहला टेस्ट मैच भारत ने जीता
राजमा खाने से होते है ये` 17` बेहतरीन फायदे जो कैंसर माइग्रेन मोटापा मधुमेह हाइपरटेंशन के रोगियों के लिए वरदान है जरूर अपनाएँ