बलरामपुर, 1 अक्टूबर (हि.स.)। छोटे कस्बे अक्सर बड़े बदलाव की जन्मभूमि बन जाते हैं। जिले का नगर पंचायत कुसमी ऐसी ही एक मिसाल गढ़ रहा है। यहाँ की साधारण महिलाएं जो कभी घर की चारदीवारी और पारिवारिक जिम्मेदारियों तक सीमित थीं, अब अपने श्रम और संकल्प से नई पहचान बना रही हैं। सरई (साल) के हरे पत्तों से दोना-पत्तल तैयार कर वे न केवल अपनी आजीविका संवार रही हैं, बल्कि नगर को प्लास्टिक मुक्त करने की दिशा में भी अगुवाई कर रही हैं। प्लास्टिक प्रदूषण से जूझती दुनिया के बीच कुसमी के महिलाओं की पहल छोटे कस्बे की बड़ी सोच और बड़े इरादों की गवाही देती है।
पत्तों के दोना पत्तल से पर्यावरण और परम्परा की रक्षा
पहले पूजा पंडालों में भोग और भंडारे के लिए आम तौर पर प्लास्टिक के दोने-पत्तल इस्तेमाल होते थे। इससे त्योहारों के दौरान बड़े पैमाने पर प्लास्टिक कचरा जमा होता और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता था। लेकिन इस बार नगर में आयोजित पूजा में महिला समूहों द्वारा बनाए गए हरे पत्तों के दोना-पत्तल का उपयोग किया जा रहा है। जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है, बल्कि पूजा कार्य के लिए शुद्ध और पवित्र भी माना जाता है। आयोजकों से लेकर श्रद्धालुओं तक सभी ने इस पहल की सराहना की। नगर के सभी धार्मिक आयोजनों में प्लास्टिक को पूरी तरह किनारे रखते हुए हरित विकल्प अपनाया गया।
घर की चार दीवारी से रोजगार तक महिलाओं की प्रेरक पहल
कुसमी के चंचल, रोशनी और चांदनी महिला स्वयं सहायता समूह की 25 महिलाओं ने बिना किसी पूंजी निवेश के सरई पत्तों से दोना-पत्तल तैयार कर बाजार में बेचने का कार्य शुरू किया है। धीरे-धीरे नगर के सभी लोग प्लास्टिक की जगह इन दोना-पत्तलों का उपयोग करने लगे। होटल, दुकान और धार्मिक आयोजनों में इन उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। समूह की महिलाएँ बताती हैं पहले हम केवल घर के कामों तक सीमित थीं। लेकिन अब इस काम से होने वाली आमदनी घर के खर्चों में मदद कर रही है। साथ ही हम अपने शहर को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव से मुक्त रखने का कार्य भी कर रहे हैं। महिलाओं के पहल से दोहरा लाभ हो रहा है एक ओर नगर को प्लास्टिक से मुक्ति मिल रही है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण महिलाओं की आय में निरंतर वृद्धि हो रही है। वर्तमान में महिलाएं प्रतिदिन लगभग 200-300 रुपये तक की आमदनी अर्जित कर रही है।
प्रशासन का सहयोग, छोटे प्रयास से बड़ा बदलाव
महिलाओं को नगर प्रशासन का भी सहयोग मिला है। नगर पंचायत कुसमी के मुख्य नगरपालिका अधिकारी अरविंद विश्वकर्मा ने समूहों को प्रेरित किया कि वे वूमन ट्री योजना के तहत पौधारोपण कार्य के साथ-साथ पत्तों से दोना-पत्तल बनाने का कार्य भी करें। इससे महिलाओं की आय दोगुनी होगी और नगर और अधिक स्वच्छ बन सकेगा। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री करूण डहरिया ने शांति समिति की बैठक में नगर के नागरिकों और आयोजकों से विशेष अपील की कि त्यौहारों में केवल महिला समूहों द्वारा बनाए गए दोना-पत्तलों का ही उपयोग किया जाए। परिवर्तन किसी बड़े संसाधन से नहीं, बल्कि छोटे और ठोस प्रयासों से संभव है। सरई पत्तों से बने दोना-पत्तल अब केवल पर्यावरण का विकल्प नहीं रहे, बल्कि आत्मनिर्भरता, स्वच्छता और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बन चुका हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय
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