पिछले एक साल में शेफाली वर्मा का सफर संघर्ष, कड़ी मेहनत और अंततः भारत की ऐतिहासिक महिला विश्व कप जीत के साथ समाप्त होने वाले मुकाम तक पहुंचने का एक उतार-चढ़ाव भरा सफर रहा है।
21 वर्षीय भारतीय सलामी बल्लेबाज ने पिछले एक साल को बेहद कठिन बताया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि कैसे निरंतर प्रयास और विश्वास ने उनकी किस्मत को बदलने में मदद की।
पिछला साल मेरे लिए मुश्किलों भरा रहा: शेफालीहरियाणा के रोहतक में एक सम्मान समारोह के बाद शैफाली ने पत्रकारों से कहा, “पिछला साल मेरे लिए मुश्किलों भरा रहा। मुझे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन मैं कड़ी मेहनत करती रही और ईश्वर ने मेरी मेहनत का फल मुझे दिया।”
उन्होंने कहा, “जब मैं सेमीफाइनल से पहले टीम में शामिल हुई थी, तो मैंने विश्व कप जीत में योगदान देने की ठान ली थी। फाइनल हमेशा एक बड़ा मंच होता है। शुरुआत में मैं थोड़ी घबराई हुई थी, लेकिन मैंने खुद को शांत किया, अपनी रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया और उसे बखूबी अंजाम दिया। इससे मुझे एक बेहतरीन प्रदर्शन करने में मदद मिली।”
रोहतक लौटने पर, शैफाली का प्रशंसकों और स्थानीय अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उपस्थित युवा लड़कियों से बात करते हुए, उन्होंने उन्हें अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा, “उन्हें जो भी क्षेत्र चुनना हो, उसमें हमेशा कड़ी मेहनत करनी चाहिए और आत्मविश्वास रखना चाहिए, परिणाम अपने आप मिलेंगे।”
उन्हें विश्व कप में खेलने का मौका उस समय मिला जब भारत की नियमित सलामी बल्लेबाज प्रतीका रावल चोटिल हो गईं। सेमीफाइनल से कुछ समय पहले उनकी जगह टीम में शामिल की गईं शेफाली सेमीफाइनल में तो शांत रहीं, लेकिन नवी मुंबई में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल में धमाकेदार प्रदर्शन किया।
उन्होंने 78 गेंदों में 87 रनों की तूफानी पारी खेलकर मैच जिताऊ ऑलराउंड प्रदर्शन किया। इसके अलावा, उन्होंने 2 महत्वपूर्ण विकेट (36 रन देकर 2 विकेट) लेकर गेंदबाजी में भी योगदान दिया। इस प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द फाइनल का पुरस्कार मिला और उन्होंने भारत की 52 रनों की जीत में अहम भूमिका निभाई, जिससे भारत ने अपना पहला महिला विश्व कप खिताब जीता।
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