टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने हाल ही में हुए एयर क्रैश के बाद एयर इंडिया के दिन-प्रतिदिन के ऑपरेशन्स (संचालन) को संभाल लिया है, जो टाटा ग्रुप के सामने अब तक का सबसे बड़ा संकट बनकर उभरा है. वह इस समय महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे कि सेंसिटिव गवर्नमेंट इंटरऐक्शन्स, सिक्योरिटी रिव्यू, फ्लाइट मेंटनेंस और कर्मचारियों का मनोबल संभाल रहे हैं, जबकि इसके साथ ही मैसिव पब्लिक सर्विलांस का भी सामना कर रहे हैं.
एयर इंडिया के सीईओ कैम्पबेल विल्सन, चंद्रशेखरन के साथ मिलकर कंपनी के भविष्य के लिए लॉन्ग टर्म प्लान्स पर काम कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल, इस मुश्किल घड़ी में तुरंत फैसले और एक सूझबूझ भरी स्ट्रेटजी की जरूरत है और इस काम के लिए चंद्रशेखरन जैसे अनुभवी लीडर से बेहतर कोई नहीं हो सकता.
क्रैश में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए एक ट्रस्ट बनाने की योजना बना रहे चंद्रशेखरन
सीईओ कैम्पबेल विल्सन एयर इंडिया के डिपार्टमेंट हैड्स से मिलकर एयरलाइन की सुरक्षा से जुड़ी सभी एक्टिविटी की पूरी जांच कर रहे हैं. एक करीबी सूत्र ने बताया- 'सीईओ ही अब सरकार के अधिकारियों, जैसे- DGCA और AAIB के साथ सभी बातचीत की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.' इसके साथ ही, वह एयरलाइन के नेटवर्क में आए बदलावों को देख रहे हैं. अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के समय विल्सन पेरिस जा रहे थे, लेकिन वह तुरंत अहमदाबाद पहुंचे और क्रैश में मारे गए क्रू मेंबर्स के परिवार से मिले. हालांकि, टाटा ग्रुप की ओर से ऑफिशियल तौर पर इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है.
एक अधिकारी ने बताया- 'इस वक्त एयर इंडिया सबसे बड़ी प्राथमिकता है. चेयरमैन अब ज्यादातर समय एयर इंडिया के मुख्यालय से ही काम कर रहे हैं. यह वक्त है जब एयरलाइन को पूरी तरह से ध्यान और तेज फैसलों की जरूरत है, और यह केवल चेयरमैन ही दे सकते हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि सभी को मिलकर एयर इंडिया का विश्वास फिर से बनाना है और उसकी प्रतिष्ठा को वापस लाना है. इसके अलावा चंद्रशेखरन क्रैश में मारे गए लोगों के परिवारों की मदद के लिए एक ट्रस्ट बनाने की योजना बना रहे हैं. हालांकि, यह अभी तक साफ नहीं है कि दूसरे देशों के पीड़ितों के लिए भी अलग ट्रस्ट बनेगा या नहीं.
हमेशा संकट के समय में खुद स्थिति संभालते हैं टाटा ग्रुप के चेयरमैन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि टाटा ग्रुप के चेयरमैन हमेशा संकट के समय में खुद ही स्थिति संभालते हैं. उदाहरण के लिए, 1989 में जब टाटा स्टील में बड़ी आग लगी थी, तब जे.आर.डी. टाटा ने खुद ही संकट से निपटने का नेतृत्व किया. इसी तरह रतन टाटा ने टाटा फाइनेंस में हुए घोटाले और 26/11 के आतंकी हमले के बाद ताज होटल्स की स्थिति को संभाला था, जैसा कि एक पूर्व टाटा समूह के निदेशक ने बताया. चंद्रशेखरन को भी संकट के समय सही फैसले लेने के लिए जाना जाता है, खासकर जब वह TCS में थे.
अब टाटा समूह के सामने एक बड़ी चुनौती है. उन्हें यात्रियों का विश्वास फिर से जीतना है और कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाना है, क्योंकि अभी लोग एयर इंडिया को लेकर बहुत आलोचना कर रहे हैं. अहमदाबाद में 12 जून को हुई एयर इंडिया की बोइंग 787 दुर्घटना में 241 लोगों की जान गई थी. एयर इंडिया ने मृतकों के परिवारों को ₹1 करोड़ का मुआवजा देने का ऐलान किया है.
एयर इंडिया के सीईओ कैम्पबेल विल्सन, चंद्रशेखरन के साथ मिलकर कंपनी के भविष्य के लिए लॉन्ग टर्म प्लान्स पर काम कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल, इस मुश्किल घड़ी में तुरंत फैसले और एक सूझबूझ भरी स्ट्रेटजी की जरूरत है और इस काम के लिए चंद्रशेखरन जैसे अनुभवी लीडर से बेहतर कोई नहीं हो सकता.
क्रैश में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए एक ट्रस्ट बनाने की योजना बना रहे चंद्रशेखरन
सीईओ कैम्पबेल विल्सन एयर इंडिया के डिपार्टमेंट हैड्स से मिलकर एयरलाइन की सुरक्षा से जुड़ी सभी एक्टिविटी की पूरी जांच कर रहे हैं. एक करीबी सूत्र ने बताया- 'सीईओ ही अब सरकार के अधिकारियों, जैसे- DGCA और AAIB के साथ सभी बातचीत की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.' इसके साथ ही, वह एयरलाइन के नेटवर्क में आए बदलावों को देख रहे हैं. अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के समय विल्सन पेरिस जा रहे थे, लेकिन वह तुरंत अहमदाबाद पहुंचे और क्रैश में मारे गए क्रू मेंबर्स के परिवार से मिले. हालांकि, टाटा ग्रुप की ओर से ऑफिशियल तौर पर इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है.
एक अधिकारी ने बताया- 'इस वक्त एयर इंडिया सबसे बड़ी प्राथमिकता है. चेयरमैन अब ज्यादातर समय एयर इंडिया के मुख्यालय से ही काम कर रहे हैं. यह वक्त है जब एयरलाइन को पूरी तरह से ध्यान और तेज फैसलों की जरूरत है, और यह केवल चेयरमैन ही दे सकते हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि सभी को मिलकर एयर इंडिया का विश्वास फिर से बनाना है और उसकी प्रतिष्ठा को वापस लाना है. इसके अलावा चंद्रशेखरन क्रैश में मारे गए लोगों के परिवारों की मदद के लिए एक ट्रस्ट बनाने की योजना बना रहे हैं. हालांकि, यह अभी तक साफ नहीं है कि दूसरे देशों के पीड़ितों के लिए भी अलग ट्रस्ट बनेगा या नहीं.
हमेशा संकट के समय में खुद स्थिति संभालते हैं टाटा ग्रुप के चेयरमैन
एक्सपर्ट्स का कहना है कि टाटा ग्रुप के चेयरमैन हमेशा संकट के समय में खुद ही स्थिति संभालते हैं. उदाहरण के लिए, 1989 में जब टाटा स्टील में बड़ी आग लगी थी, तब जे.आर.डी. टाटा ने खुद ही संकट से निपटने का नेतृत्व किया. इसी तरह रतन टाटा ने टाटा फाइनेंस में हुए घोटाले और 26/11 के आतंकी हमले के बाद ताज होटल्स की स्थिति को संभाला था, जैसा कि एक पूर्व टाटा समूह के निदेशक ने बताया. चंद्रशेखरन को भी संकट के समय सही फैसले लेने के लिए जाना जाता है, खासकर जब वह TCS में थे.
अब टाटा समूह के सामने एक बड़ी चुनौती है. उन्हें यात्रियों का विश्वास फिर से जीतना है और कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाना है, क्योंकि अभी लोग एयर इंडिया को लेकर बहुत आलोचना कर रहे हैं. अहमदाबाद में 12 जून को हुई एयर इंडिया की बोइंग 787 दुर्घटना में 241 लोगों की जान गई थी. एयर इंडिया ने मृतकों के परिवारों को ₹1 करोड़ का मुआवजा देने का ऐलान किया है.
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