Next Story
Newszop

अमेरिकी दिग्गज कंपनी के कारण भारतीय IT सेक्टर में देखी जा रही गिरावट, सभी दिग्गज कंपनियों के शेयर लुढ़के

Send Push
नई दिल्ली: सोमवार को भारतीय आईटी कंपनियों के शेयर में गिरावट देखने को मिल रही है. Infosys, Wipro और TCS जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयर में 3 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल रही है. यह गिरावट अमेरिकी दिग्गज कंपनी Accenture के तिमाही के नतीजों के बाद देखी जा रही है. भले ही कंपनी ने तिमाही के लिए उम्मीद से ज़्यादा रेवेन्यू रिपोर्ट किया हो, इससे भविष्य की मांग और बिजनेस के पूरे दृष्टिकोण के बारे में चिंताएँ बढ़ गईं है.



इन शेयरों में देखी जा रही गिरावटभारतीय आईटी कंपनियों में सबसे ज़्यादा नुकसान इंफोसिस के शेयरों में मिल रही है, जो ख़बर लिखे जाने तक 2.45 प्रतिशत की गिरावट के साथ ट्रेड कर रहा है. इसके बाद एचसीएल टेक में 1.73 प्रतिशत की गिरावट, ओरेकल में 1.54 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल रही है.



वहीं टीसीएस का स्टॉक भी 1.41 प्रतिशत तक गिरकर 3,388 रुपये के लेवल पर ट्रेड कर रहा था. विप्रो में भी 1.29 प्रतिशत की गिरावट, टेक महिंद्रा में 0.84 प्रतिशत की गिरावट, एलटीआई माइंडट्री में 0.64 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल रही है.



वही सेक्टरोल इंडेक्स में सबसे ज़्यादा नुकसान भी निफ्टी आईटी इंडेक्स को हो रहा है. ख़बर लिखे जाने तक निफ्टी आईटी का इंडेक्स 1.35 प्रतिशत की गिरावट के साथ 38,469 के लेवल पर ट्रेड कर रहा था.



अमेरिकन कंपनी के तिमाही के नतीजे

एलएसईजी डेटा के मुताबिक, एक्सेंचर ने 31 मई को समाप्त तिमाही के लिए 17.7 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू दर्ज किया, जो विश्लेषकों द्वारा अपेक्षित 17.3 बिलियन डॉलर से ज़्यादा था. यह वृद्धि मुख्य रूप से एआई-संबंधित सेवाओं के लिए बिजनेस की मजबूत मांग के कारण हुई. हालांकि, कंपनी के अच्छे रेवेन्यू के बावजूद, शेयर की कीमत में तेजी से गिरावट आई. इससे पता चलता है कि निवेशक कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में घटते लाभ मार्जिन और कमजोर व्यावसायिक दृष्टिकोण को लेकर चिंतित हैं.



एक्सेंचर की तीसरी तिमाही की रिपोर्ट ने दुनिया भर के आईटी शेयरों में व्यापक प्रतिक्रिया पैदा की. अमेरिका में कारोबार करने वाले इंफोसिस के शेयरों (एडीआर) में 4 प्रतिशत की गिरावट आई, और विप्रो के अमेरिकी शेयरों में 0.34 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई. यह आईटी सेक्टर पर दबाव के शुरुआती संकेत दिखाता है, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ सकता है.



कंपनी ने अमेरिकी सरकार के कॉन्ट्रैक्ट से होने वाले धीमे कारोबार के कारण चुनौतियों की ओर भी इशारा किया. यह मंदी ट्रम्प प्रशासन के तहत नीतिगत बदलावों से जुड़ी है, जो आईटी कॉन्ट्रैक्ट में कटौती या देरी करके सरकारी खर्च को कम करने पर केंद्रित हैं. हालांकि एक्सेंचर ने कहा कि इन बदलावों का अब तक उसके कारोबार पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है, फिर भी इस खबर ने निवेशकों को कम आश्वस्त महसूस कराया.

Loving Newspoint? Download the app now