साल 2019 में भारत सरकार द्वारा लॉन्च की गई प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) योजना की डेडलाइन को एक बार फिर से बढ़ा सकती है। एक अधिकारिक सूत्र ने बताया है कि इस योजना के अंतर्गत आने वाले दो मुख्य घटक अपने लक्ष्यों का 50% भी हासिल नहीं कर पाए हैं। ऐसे में PM-KUSUM योजना की डेडलाइन को सरकार एक बार फिर से बढ़ा सकती है।
दरअसल, साल 2019 में शुरू की गई PM-KUSUM योजना का लक्ष्य साल 2022 तक 30,800 मेगावाट सौर क्षमता जोड़ना था।
इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से कुल 34,422 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता तय की गई थी, जिसमें जिसमें इंप्लीमेंटेशन एजेंसियों के सर्विस चार्ज भी शामिल थे।
डेडलाइन बढ़ाने पर विचार कर रही सरकारआधिकारिक सूत्रों के अनुसार, योजना के निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार अब इसकी समयसीमा को एक बार फिर आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। ऐसे में अगर डेडलाइन को बढ़ाया जाता है तो यह दूसरा मौका होगा जब योजना की समयसीमा दूसरी बार बढ़ाई जाएगी।
इससे पहले भी बढ़ाई गई थी डेडलाइनइससे पहले भी कोविड-19 महामारी की वजह से इस योजना की धीमी प्रगति के चलते इसकी डेडलाइन को बढ़ाकर मार्च 2026 कर दिया था। हालांकि डेडलाइन बढ़ाने के साथ ही सरकार ने लक्ष्य को भी बढ़ाकर 34,800 मेगावाट कर दिया था।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, PM-KUSUSM योजना के किसी भी घटक ने अब 100 फीसदी लक्ष्य हासिल नहीं किया है। कंपोनेंट-B ने 9 सितंबर 2025 तक अपने लक्ष्य का 71 फीसदी पूरा कर लिया है, जबकि कंपोनेंट-A की प्रगति सिर्फ 6.5 फीसदी रही। वहीं कंपोनेंट-C (IPS) और कंपोनेंट-C (FLS) की उपलब्धि क्रमशः 16.5 फीसदी और 25.5 फीसदी है।
मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (MNRE) के अनुसार-कंपोनेंट-A के तहत 10,000 मेगावाट सोलर कैपिसिटी के छोटे सोलर पावर प्लांट लगाने का लक्ष्य है।
कंपोनेंट-B में 14 लाख ऑफ-ग्रिड सोलर एग्रीकल्चर पंप्स लगाने का लक्ष्य है।
कंपोनेंट-C में 35 लाख ग्रिड से जुड़े एग्रीकल्चर पंप्स को सोलर एनर्जी से जोड़ने की योजना है।
गुजरात ने एक भी नहीं, उत्तर प्रदेश में एक मेगावाट का इंस्टॉलेशनकंपोनेंट-A के तहत अब तक सिर्फ 650.49 मेगावाट क्षमता ही हासिल की जा सकी है। तेलंगाना, त्रिपुरा, ओडिशा, गुजरात और असम जैसे राज्यों ने अब तक एक भी इंस्टॉलेशन की रिपोर्ट नहीं की है।
वहीं उत्तर प्रदेश ने एक मेगावाट, तमिलनाडु ने 3 मेगावाट, महाराष्ट्र और गोवा 4 मेगावाट और छत्तीसगढ़ ने 7 मेगावाट का इंस्टॉलेशन किया है और सिर्फ ईकाई अंकों तर सिमट कर रहे गए हैं।
पुडुचेरी और तेलंगाना नहीं लगाए जा सके एक भी सोलर पंपकंपोनेंट-B के तहत 12.72 लाख ऑफ-ग्रिड सोलर पंप्स को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 9.03 लाख पंप अब तक लगाए जा चुके हैं। वहीं अंडमान-निकोबार, पुडुचेरी और तेलंगाना में सितंबर 2025 तक कोई इंस्टॉलेशन नहीं हुआ है।
क्या है PM-KUSUM योजना?PM-KUSUM योजना किसानों को सस्ती और स्वच्छ सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इसमें तीन मुख्य काम किए जाने थे। पहला, किसानों को अपनी जमीन पर छोटे सोलर प्लांट लगाने की अनुमति देकर अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचने और आमदनी बढ़ाने का मौका देना, दूसरा डीजल या बिजली से चलने वाले कृषि पंपों की जगह सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप लगाना और तीसरा, मौजूदा ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों को सौर ऊर्जा पर चलने योग्य बनाना।
इससे किसानों को क्या फायदा हो सकता है?PM-KUSUM योजना के तहत किसानों का बिजली या डीजल पर होने वाला खर्च कम हो जाता है। सोलर प्लांट से वे न सिर्फ अपनी सिंचाई की जरूरत पूरी कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचकर अतिरिक्त कमाई भी कर सकते हैं। इससे खेती की लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है। साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।
इस योजना का लाभ कैसै उठाया जा सकता है?योजना का फायदा उठाने के लिए किसान अपने राज्य के रिन्यूएबल एनर्जी डिपार्टमेंट या बिजली वितरण कंपनी (DISCOM) की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। कई राज्यों में इसके लिए डिस्ट्रिक्ट या ब्लॉक स्तर पर नोडल एजेंसियां भी बनाई गई हैं, जहां जाकर किसान जानकारी और मदद ले सकते हैं।
दरअसल, साल 2019 में शुरू की गई PM-KUSUM योजना का लक्ष्य साल 2022 तक 30,800 मेगावाट सौर क्षमता जोड़ना था।
इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से कुल 34,422 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता तय की गई थी, जिसमें जिसमें इंप्लीमेंटेशन एजेंसियों के सर्विस चार्ज भी शामिल थे।
डेडलाइन बढ़ाने पर विचार कर रही सरकारआधिकारिक सूत्रों के अनुसार, योजना के निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार अब इसकी समयसीमा को एक बार फिर आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। ऐसे में अगर डेडलाइन को बढ़ाया जाता है तो यह दूसरा मौका होगा जब योजना की समयसीमा दूसरी बार बढ़ाई जाएगी।
इससे पहले भी बढ़ाई गई थी डेडलाइनइससे पहले भी कोविड-19 महामारी की वजह से इस योजना की धीमी प्रगति के चलते इसकी डेडलाइन को बढ़ाकर मार्च 2026 कर दिया था। हालांकि डेडलाइन बढ़ाने के साथ ही सरकार ने लक्ष्य को भी बढ़ाकर 34,800 मेगावाट कर दिया था।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, PM-KUSUSM योजना के किसी भी घटक ने अब 100 फीसदी लक्ष्य हासिल नहीं किया है। कंपोनेंट-B ने 9 सितंबर 2025 तक अपने लक्ष्य का 71 फीसदी पूरा कर लिया है, जबकि कंपोनेंट-A की प्रगति सिर्फ 6.5 फीसदी रही। वहीं कंपोनेंट-C (IPS) और कंपोनेंट-C (FLS) की उपलब्धि क्रमशः 16.5 फीसदी और 25.5 फीसदी है।
मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (MNRE) के अनुसार-कंपोनेंट-A के तहत 10,000 मेगावाट सोलर कैपिसिटी के छोटे सोलर पावर प्लांट लगाने का लक्ष्य है।
कंपोनेंट-B में 14 लाख ऑफ-ग्रिड सोलर एग्रीकल्चर पंप्स लगाने का लक्ष्य है।
कंपोनेंट-C में 35 लाख ग्रिड से जुड़े एग्रीकल्चर पंप्स को सोलर एनर्जी से जोड़ने की योजना है।
गुजरात ने एक भी नहीं, उत्तर प्रदेश में एक मेगावाट का इंस्टॉलेशनकंपोनेंट-A के तहत अब तक सिर्फ 650.49 मेगावाट क्षमता ही हासिल की जा सकी है। तेलंगाना, त्रिपुरा, ओडिशा, गुजरात और असम जैसे राज्यों ने अब तक एक भी इंस्टॉलेशन की रिपोर्ट नहीं की है।
वहीं उत्तर प्रदेश ने एक मेगावाट, तमिलनाडु ने 3 मेगावाट, महाराष्ट्र और गोवा 4 मेगावाट और छत्तीसगढ़ ने 7 मेगावाट का इंस्टॉलेशन किया है और सिर्फ ईकाई अंकों तर सिमट कर रहे गए हैं।
पुडुचेरी और तेलंगाना नहीं लगाए जा सके एक भी सोलर पंपकंपोनेंट-B के तहत 12.72 लाख ऑफ-ग्रिड सोलर पंप्स को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 9.03 लाख पंप अब तक लगाए जा चुके हैं। वहीं अंडमान-निकोबार, पुडुचेरी और तेलंगाना में सितंबर 2025 तक कोई इंस्टॉलेशन नहीं हुआ है।
क्या है PM-KUSUM योजना?PM-KUSUM योजना किसानों को सस्ती और स्वच्छ सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इसमें तीन मुख्य काम किए जाने थे। पहला, किसानों को अपनी जमीन पर छोटे सोलर प्लांट लगाने की अनुमति देकर अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचने और आमदनी बढ़ाने का मौका देना, दूसरा डीजल या बिजली से चलने वाले कृषि पंपों की जगह सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप लगाना और तीसरा, मौजूदा ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों को सौर ऊर्जा पर चलने योग्य बनाना।
इससे किसानों को क्या फायदा हो सकता है?PM-KUSUM योजना के तहत किसानों का बिजली या डीजल पर होने वाला खर्च कम हो जाता है। सोलर प्लांट से वे न सिर्फ अपनी सिंचाई की जरूरत पूरी कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचकर अतिरिक्त कमाई भी कर सकते हैं। इससे खेती की लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है। साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।
इस योजना का लाभ कैसै उठाया जा सकता है?योजना का फायदा उठाने के लिए किसान अपने राज्य के रिन्यूएबल एनर्जी डिपार्टमेंट या बिजली वितरण कंपनी (DISCOM) की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। कई राज्यों में इसके लिए डिस्ट्रिक्ट या ब्लॉक स्तर पर नोडल एजेंसियां भी बनाई गई हैं, जहां जाकर किसान जानकारी और मदद ले सकते हैं।
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