अगला हफ्ता शेयर बाजार के लिए बेहद खास रहने वाला है क्योंकि चार कंपनियां मेनबोर्ड आईपीओ (Initial Public Offering) के जरिए बाजार से 6,600 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने जा रही हैं। इनमें लीला पैलेस होटल्स एंड रिसॉर्ट्स (Leela Palaces Hotels & Resorts) की संचालक श्लॉस बैंगलोर लिमिटेड (Schloss Bangalore Ltd) और एजिस वोपक टर्मिनल्स (Aegis Vopak Terminals) प्रमुख नाम हैं। इनके अलावा प्रोस्टार्म इंफो सिस्टम्स (Prostarm Info Systems) और स्कोडा ट्यूब्स (Scoda Tubes) भी इस हफ्ते अपना पब्लिक इश्यू लॉन्च करेंगी।इतना ही नहीं, D-Street पर दो कंपनियां, बोराना वीव्स (Borana Weaves) और बेलराइज इंडस्ट्रीज (Belrise Industries), इस हफ्ते लिस्ट होने जा रही हैं। दोनों की लिस्टिंग की तारीख क्रमशः 28 और 29 मई तय की गई है। 2025 में अब तक धीमी रही IPO रफ्तारजहां 2024 में IPO मार्केट में बूम देखने को मिला था और 91 कंपनियों ने 1.6 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे, वहीं 2025 में अब तक महज 12 कंपनियां ही आईपीओ लेकर आई हैं। इसकी बड़ी वजह ग्लोबल और घरेलू अनिश्चितताओं के चलते शेयर बाजार में बनी अस्थिरता है।हालांकि एक्सिस कैपिटल की मई 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल 57 कंपनियों को सेबी की ओर से फाइनल ऑब्जर्वेशन मिल चुकी है और 74 कंपनियां अंतिम मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। इन कंपनियों में सोलर-रिन्यूएबल्स, फार्मा-हेल्थकेयर, केबल-वायर, रियल एस्टेट, मैन्युफैक्चरिंग और एंटरटेनमेंट जैसे विभिन्न सेक्टर्स की भागीदारी है। श्लॉस बैंगलोर आईपीओ: 3,500 करोड़ रुपये का बड़ा दांवब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट से समर्थित श्लॉस बैंगलोर लिमिटेड 3,500 करोड़ रुपये के आईपीओ के साथ मार्केट में उतर रही है। इसमें 2,500 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू और 1,000 करोड़ रुपये का ऑफर फॉर सेल (OFS) शामिल है, जिसे प्रमोटर कंपनी प्रोजेक्ट बैलेट बैंगलोर होल्डिंग्स (DIFC) प्राइवेट लिमिटेड बेचेगी।कंपनी इस फंड का उपयोग अपने और अपनी सब्सिडियरी कंपनियों के कर्ज चुकाने और कॉरपोरेट जरूरतों के लिए करेगी। यह इश्यू 26 मई से 28 मई तक खुलेगा और प्रति शेयर प्राइस बैंड 413 से 435 रुपये तय किया गया है। एजिस वोपैक टर्मिनल्स: 2,800 करोड़ रुपये के इश्यू के साथ बाजार में एंट्रीएजिस लॉजिस्टिक्स लिमिटेड की सब्सिडियरी एजिस वोपैक टर्मिनल्स भी इस हफ्ते आईपीओ लेकर आ रही है। कंपनी पूरी तरह फ्रेश इश्यू के जरिए 2,800 करोड़ रुपये जुटाएगी। इस राशि का उपयोग बिजनेस विस्तार और वर्किंग कैपिटल के लिए किया जाएगा। (अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
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