आईटी सेक्टर में लंबे समय से ये सवाल उठता रहा है कि क्यों महिलाओं की हिस्सेदारी टॉप लेवल तक जाते-जाते कम हो जाती है. शादी, मातृत्व या परिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से कई बार महिलाएं काम से ब्रेक लेती हैं और फिर वापस लौटना मुश्किल हो जाता है. इंफोसिस इस गैप को भरना चाहती है. कंपनी का कहना है कि टैलेंट सिर्फ जेंडर से नहीं, बल्कि स्किल से आना जाना चाहिए.
कौन कर सकता है अप्लाई?इस प्रोग्राम में वही महिलाएं अप्लाई कर सकती हैं जिनके पास कम से कम दो साल का वर्क एक्सपीरियंस हो और जिन्होंने करियर से कम से कम छह महीने का ब्रेक लिया हो.
खासतौर पर टेक्नोलॉजी से जुड़े कई रोल इसमें शामिल हैं, जैसे Java, .Net, SAP, Oracle, Salesforce, React, Python, Angular जैसी प्रोग्रामिंग और सॉफ्टवेयर स्किल्स
Informatica और Selenium Testing जैसी टेस्टिंग टेक्नोलॉजी है.
डेवलपर, टेक लीड से लेकर मैनेजर लेवल तक के पद शामिल है.
इसका मतलब जो भी महिला पहले से इस सेक्टर में काम कर चुकी है, वह इस मौके का फायदा उठा सकती है.
रेफरल और रिवॉर्ड सिस्टमइंफोसिस ने इस पहल को सफल बनाने के लिए अपने कर्मचारियों को भी शामिल किया है. कंपनी ने आंतरिक ईमेल भेजकर कर्मचारियों से कहा है कि वे ऐसी महिलाओं को रेफर करें जो इस प्रोग्राम के लिए योग्य हैं. इसके बदले कर्मचारियों को आकर्षक रिवार्ड भी दिए जाएंगे.
JL3 लेवल की भर्ती पर ₹10,000
JL6 लेवल की भर्ती पर ₹50,000 तक का रिवॉर्ड
इस तरह कंपनी चाहती है कि उसके लोग भी इस चेंज का हिस्सा बनें.
कंपनी का लक्ष्य क्या है?अभी इंफोसिस में कुल 3.23 लाख कर्मचारी हैं, जिनमें 39% महिलाएं हैं. लेकिन कंपनी ने अपना ESG Vision 2030 तय किया है जिसमें साफ लिखा है कि 2030 तक वो अपने वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 45% तक ले जाएगी.
कंपनी के चीफ ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर शाजी मैथ्यू के अनुसार, “हमारे लिए इनक्लूजन यानी सबको बराबर मौका देना बहुत जरूरी है. ये वजह है कि हम ‘रीस्टार्ट विद इंफोसिस’ जैसे प्रोग्राम चला रहे हैं ताकि महिलाएं करियर ब्रेक के बाद भी अपने सपनों को पूरा कर सकें.”
अब तक का असरये पहल सिर्फ कागज पर नहीं है, बल्कि नतीजे भी दिखा रही है. वित्त वर्ष 2025 में इस प्रोग्राम के जरिए करीब 900 महिलाओं को मिड-मैनेजमेंट रोल्स में हायर किया गया. पिछले साल ये संख्या सिर्फ 500 थी.
क्यों जरूरी है ये कदम ?अलग-अलग बैकग्राउंड और सोच वाले लोग जब साथ काम करते हैं तो बेहतर आइडिया निकलते हैं.
लीडरशिप में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी. इससे लंबे समय में महिलाओं की संख्या टॉप मैनेजमेंट तक बढ़ेगी.
बाकी कंपनियों को भी ये संदेश जाता है कि महिलाओं को दूसरा मौका देना न सिर्फ जरूरी है बल्कि फायदेमंद भी है.
“रीस्टार्ट विद इंफोसिस” सिर्फ एक भर्ती प्रोग्राम नहीं है, बल्कि महिलाओं को ये भरोसा देने की कोशिश है कि करियर में ब्रेक लेना कोई कमजोरी नहीं है. सही सपोर्ट और मौके के साथ वे पहले से ज्यादा मजबूती से वापसी कर सकती हैं.
अगर ये पहल सफल होती है, तो न सिर्फ इंफोसिस बल्कि पूरा आईटी सेक्टर महिलाओं के लिए और भी ज्यादा इनक्लूसिव और प्रोग्रेसिव बन जाएगा.
कौन कर सकता है अप्लाई?इस प्रोग्राम में वही महिलाएं अप्लाई कर सकती हैं जिनके पास कम से कम दो साल का वर्क एक्सपीरियंस हो और जिन्होंने करियर से कम से कम छह महीने का ब्रेक लिया हो.
खासतौर पर टेक्नोलॉजी से जुड़े कई रोल इसमें शामिल हैं, जैसे Java, .Net, SAP, Oracle, Salesforce, React, Python, Angular जैसी प्रोग्रामिंग और सॉफ्टवेयर स्किल्स
Informatica और Selenium Testing जैसी टेस्टिंग टेक्नोलॉजी है.
डेवलपर, टेक लीड से लेकर मैनेजर लेवल तक के पद शामिल है.
इसका मतलब जो भी महिला पहले से इस सेक्टर में काम कर चुकी है, वह इस मौके का फायदा उठा सकती है.
रेफरल और रिवॉर्ड सिस्टमइंफोसिस ने इस पहल को सफल बनाने के लिए अपने कर्मचारियों को भी शामिल किया है. कंपनी ने आंतरिक ईमेल भेजकर कर्मचारियों से कहा है कि वे ऐसी महिलाओं को रेफर करें जो इस प्रोग्राम के लिए योग्य हैं. इसके बदले कर्मचारियों को आकर्षक रिवार्ड भी दिए जाएंगे.
JL3 लेवल की भर्ती पर ₹10,000
JL6 लेवल की भर्ती पर ₹50,000 तक का रिवॉर्ड
इस तरह कंपनी चाहती है कि उसके लोग भी इस चेंज का हिस्सा बनें.
कंपनी का लक्ष्य क्या है?अभी इंफोसिस में कुल 3.23 लाख कर्मचारी हैं, जिनमें 39% महिलाएं हैं. लेकिन कंपनी ने अपना ESG Vision 2030 तय किया है जिसमें साफ लिखा है कि 2030 तक वो अपने वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 45% तक ले जाएगी.
कंपनी के चीफ ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर शाजी मैथ्यू के अनुसार, “हमारे लिए इनक्लूजन यानी सबको बराबर मौका देना बहुत जरूरी है. ये वजह है कि हम ‘रीस्टार्ट विद इंफोसिस’ जैसे प्रोग्राम चला रहे हैं ताकि महिलाएं करियर ब्रेक के बाद भी अपने सपनों को पूरा कर सकें.”
अब तक का असरये पहल सिर्फ कागज पर नहीं है, बल्कि नतीजे भी दिखा रही है. वित्त वर्ष 2025 में इस प्रोग्राम के जरिए करीब 900 महिलाओं को मिड-मैनेजमेंट रोल्स में हायर किया गया. पिछले साल ये संख्या सिर्फ 500 थी.
क्यों जरूरी है ये कदम ?अलग-अलग बैकग्राउंड और सोच वाले लोग जब साथ काम करते हैं तो बेहतर आइडिया निकलते हैं.
लीडरशिप में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी. इससे लंबे समय में महिलाओं की संख्या टॉप मैनेजमेंट तक बढ़ेगी.
बाकी कंपनियों को भी ये संदेश जाता है कि महिलाओं को दूसरा मौका देना न सिर्फ जरूरी है बल्कि फायदेमंद भी है.
“रीस्टार्ट विद इंफोसिस” सिर्फ एक भर्ती प्रोग्राम नहीं है, बल्कि महिलाओं को ये भरोसा देने की कोशिश है कि करियर में ब्रेक लेना कोई कमजोरी नहीं है. सही सपोर्ट और मौके के साथ वे पहले से ज्यादा मजबूती से वापसी कर सकती हैं.
अगर ये पहल सफल होती है, तो न सिर्फ इंफोसिस बल्कि पूरा आईटी सेक्टर महिलाओं के लिए और भी ज्यादा इनक्लूसिव और प्रोग्रेसिव बन जाएगा.
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