अमेरिका भारत पर फिर से टैरिफ़ बढ़ाने की तैयारी में है? पहले 25% का बेस टैरिफ़ और फिर रूस से तेल खरीदने का हवाला देकर 25% का अतिरिक्त तेरे टैरिफ़ लगाया जा चुका है। अब फिर ट्रंप प्रशासन नें टैरिफ़ बढ़ाने के संकेत दिए हैं। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट के द्वारा इसके बारे में जानकारी दी गई। जो देश रूस से तेल खरीदते हैं, उन पर अमेरिका टैरिफ बढ़ाने वाला है! ताकि रूस को कमजोर किया जा सके। बेसेंट का कहना है कि यदि देश ने अभी भी रोज से तेल खरीदना बंद नहीं किया तो उन पर और टैरिफ लगाया जा सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो मास्को की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तबाह भी हो सकती है। जो भी देश रूस से तेल खरीदते हैं, उन पर सबसे अधिक असर होगा जिसमें भारत भी है।
ये है अमेरिका का प्लानमीट द प्रेस नाम के एक कार्यक्रम में स्कॉट बेसेंट ने बताया कि यूरोप और अमेरिका नए कदम उठाने पर विचार कर रहा है। बेसेंट नें यह कहा कि रूस पर दबाव डालने के लिए वहां से तेल खरीदने वालों पर सेकेंडरी लगाना जरूरी है, ताकि रूस की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने से रोका जा सके। उन्होंनें यह भी बताया कि यूरोप और अमेरिका चाहता है कि रूस के राष्ट्रपति वाल्दीमीर पुतिन बातचीत की मेज पर लाया जाए।
अमेरिका के द्वारा सीधे तौर पर यह नहीं कहा गया है कि भारत पर भी सेकेंडरी टैरिफ लगाया जाएगा। लेकिन उनके बयान से यह साफ है कि यदि वे रूस पर दबाव बढ़ाना चाहते हैं तो भारत पर और टैरिफ लग सकता है। क्योंकि पिछले कुछ सालों में रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाले देशों में भारत आगे आया है।
यूरोपीय देशों का मांगा समर्थनबेसेंट नें यह भी कहा कि केवल अमेरिका के द्वारा टैरिफ बढाने से ही समाधान नहीं निकलेगा, उन्हें इसके लिए यूरोपीय देशों से भी समर्थन चाहिए। इस स्ट्रेटजी को सफल होने के लिए जरूरी है कि यूरोप और अमेरिका एक साथ आकर काम करें। इस मामले पर आगे की रणनीति बनाने के लिए बेसेंट सोमवार को यूरोपीय देशों के नेताओं से बातचीत करने वाले हैं। यूरोपीय देशों के और अमेरिका के द्वारा पहले ही रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके बाद भी रूस ने तेल और गैस के लिए भारत और अन्य खरीदार ढूंढ लिए। इसीलिए जैसा अमेरिका और रूस यूरोपीय देश चाहते थे वैसा नहीं हुआ है और रूस की अर्थव्यवस्था अभी भी ढही नहीं है।
ये है अमेरिका का प्लानमीट द प्रेस नाम के एक कार्यक्रम में स्कॉट बेसेंट ने बताया कि यूरोप और अमेरिका नए कदम उठाने पर विचार कर रहा है। बेसेंट नें यह कहा कि रूस पर दबाव डालने के लिए वहां से तेल खरीदने वालों पर सेकेंडरी लगाना जरूरी है, ताकि रूस की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने से रोका जा सके। उन्होंनें यह भी बताया कि यूरोप और अमेरिका चाहता है कि रूस के राष्ट्रपति वाल्दीमीर पुतिन बातचीत की मेज पर लाया जाए।
अमेरिका के द्वारा सीधे तौर पर यह नहीं कहा गया है कि भारत पर भी सेकेंडरी टैरिफ लगाया जाएगा। लेकिन उनके बयान से यह साफ है कि यदि वे रूस पर दबाव बढ़ाना चाहते हैं तो भारत पर और टैरिफ लग सकता है। क्योंकि पिछले कुछ सालों में रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाले देशों में भारत आगे आया है।
यूरोपीय देशों का मांगा समर्थनबेसेंट नें यह भी कहा कि केवल अमेरिका के द्वारा टैरिफ बढाने से ही समाधान नहीं निकलेगा, उन्हें इसके लिए यूरोपीय देशों से भी समर्थन चाहिए। इस स्ट्रेटजी को सफल होने के लिए जरूरी है कि यूरोप और अमेरिका एक साथ आकर काम करें। इस मामले पर आगे की रणनीति बनाने के लिए बेसेंट सोमवार को यूरोपीय देशों के नेताओं से बातचीत करने वाले हैं। यूरोपीय देशों के और अमेरिका के द्वारा पहले ही रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसके बाद भी रूस ने तेल और गैस के लिए भारत और अन्य खरीदार ढूंढ लिए। इसीलिए जैसा अमेरिका और रूस यूरोपीय देश चाहते थे वैसा नहीं हुआ है और रूस की अर्थव्यवस्था अभी भी ढही नहीं है।
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