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बीजेपी के शासन में दलितों के खिलाफ अन्याय: केसी वेणुगोपाल का आरोप

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दलित आईपीएस अधिकारी की आत्महत्या पर गंभीर आरोप

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल. (फाइल फोटो)

कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में बीजेपी और आरएसएस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी-आरएसएस का शासन दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के लिए एक शत्रुतापूर्ण वातावरण को बढ़ावा दे रहा है।

वेणुगोपाल ने अपने पोस्ट में लिखा कि तीन घटनाएं एक पैटर्न को दर्शाती हैं: रायबरेली में एक दलित व्यक्ति की हत्या, आरएसएस समर्थक द्वारा मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकना, और हरियाणा में दलित आईपीएस अधिकारी की आत्महत्या। ये सभी घटनाएं पिछले हफ्ते की हैं।

अमानवीय व्यवहार का सामना

उन्होंने कहा कि बीजेपी के शासन में दलितों को अमानवीय और हिंसक व्यवहार का सामना करना पड़ता है। वेणुगोपाल ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का लक्ष्य संविधान को नष्ट करना है।

उन्होंने यह भी कहा कि मोदी का 400 पार का सपना अब एक वास्तविकता बन गया है, और बीजेपी एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था तैयार कर रही है जो डॉ. अंबेडकर के संवैधानिक मूल्यों को नष्ट कर देगी।

मनुवादी तंत्र का आरोप

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी पूरन कुमार की आत्महत्या पर टिप्पणी की, यह कहते हुए कि बीजेपी का मनुवादी तंत्र अनुसूचित जातियों और अन्य कमजोर वर्गों के लिए एक अभिशाप बन चुका है। पूरन कुमार, जो 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे, मंगलवार को चंडीगढ़ में अपने आवास पर मृत पाए गए। उनके शरीर पर गोली लगने के निशान थे।

सामाजिक अन्याय का उदाहरण

खरगे ने कहा कि पूरन कुमार की आत्महत्या न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह सामाजिक अन्याय और संवेदनहीनता का एक भयावह उदाहरण है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में बीजेपी ने मनुवादी मानसिकता को इतना गहरा कर दिया है कि दलित अधिकारियों को भी न्याय नहीं मिल रहा है।

प्रधान न्यायाधीश पर हमले का संदर्भ

उन्होंने यह भी कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश पर हमले का प्रयास हो सकता है और बीजेपी का तंत्र जातिवाद का बचाव कर सकता है, तो यह स्पष्ट है कि सबका साथ का नारा एक मजाक है। खरगे ने कहा कि यह केवल कुछ व्यक्तियों की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह उस अन्यायपूर्ण व्यवस्था का प्रतिबिंब है जो दलितों और अल्पसंख्यकों के आत्मसम्मान को कुचलती है।


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