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स्कूल बसों का पीला रंग: जानें इसके पीछे का विज्ञान

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स्कूल बसों के पीले रंग का रहस्य

रंगों की दुनिया में हर रंग का अपना एक खास महत्व होता है। क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ रंग हमें क्यों पसंद आते हैं? यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन रंगों से हमारी क्या भावनाएं जुड़ी हैं। उदाहरण के लिए, हरा रंग खुशहाली का प्रतीक है, जबकि लाल रंग खतरे का संकेत देता है। लाल रंग की तरंगदैर्ध्य (Wave Length) सबसे अधिक होती है, जिससे इसे दूर से देखना आसान होता है। वहीं, पीले रंग की तरंगदैर्ध्य लाल से कम और नीले से अधिक होती है।



क्या आपने कभी सोचा है कि स्कूल बसों को पीले रंग में क्यों रंगा जाता है? क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है? हर स्कूल बस पर स्कूल का नाम लिखा होता है और ये बसें हमेशा पीले रंग में होती हैं। रंगों का महत्व ट्रैफिक लाइट में भी देखा जा सकता है, जहां विभिन्न रंगों का उपयोग ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसी तरह, स्कूल बसों को भी पीला रंग दिया गया है।


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स्कूल बसों को पीले रंग में रंगने के कई कारण हैं। इनमें से एक सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2012 में जारी की गई गाइडलाइन्स हैं, जिनमें कहा गया था कि बसों पर स्कूल का नाम और प्रधानाचार्य का मोबाइल नंबर होना चाहिए। इसके अलावा, बसों में फर्स्ट एड की सुविधा और स्पीड गवर्नर भी होना चाहिए। इसी आदेश में बसों को पीले रंग में रंगने का निर्देश भी शामिल था।


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पीले रंग का एक और महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह रंग दूर से आसानी से देखा जा सकता है, चाहे बारिश हो, कोहरा हो या ओस। जब हम कई रंगों को एक साथ देखते हैं, तो पीला रंग सबसे पहले ध्यान आकर्षित करता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, पीले रंग का Lateral Peripheral Vision लाल रंग की तुलना में 1.24 गुना अधिक होता है, जिसका अर्थ है कि यह अन्य रंगों की तुलना में अधिक आकर्षक है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि स्कूल बसें सड़क पर सुरक्षित रहें और बच्चे सुरक्षित घर पहुंच सकें।


आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अमेरिका में 1930 में यह पुष्टि की गई थी कि पीला रंग अन्य रंगों की तुलना में अधिक आकर्षक होता है। यह केवल भारत में नहीं, बल्कि विदेशों में भी स्कूल बसों का रंग पीला होता है।


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