पुतलीबाई का जन्म एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था। जब वह केवल पांच साल की थी, तब उसकी सुंदरता की चर्चा आसपास के गांवों में होने लगी। 18 साल की उम्र में उसके पैरों में घुंघरू बंध गए।
उसके भाई द्वारा तबला बजाने पर वह नृत्य करती थी, जिससे लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। उसकी नृत्य की आवाज चंबल तक पहुंची, और डाकू सुल्ताना गैंग उसके नृत्य को देखने आया। सुल्ताना ने उसे 500 रुपये देकर वापस भेज दिया, लेकिन वह उसके प्रति आकर्षित हो गया।
जब पुतली ने सुल्ताना के प्यार को ठुकराया, तो उसने उसे बंदूक के बल पर उठा लिया और शादी कर ली। जब वह गर्भवती हुई, तो सुल्ताना ने उसे छोड़ दिया। इस घटना के बाद भारत की पहली मुस्लिम डकैत का जन्म हुआ।
पुतलीबाई का उदय
पुतलीबाई, जिसका असली नाम गौहर बानो था, का जन्म 1926 में मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के बरबई गांव में हुआ। उसके माता-पिता नाच-गाकर अपना जीवन यापन करते थे। जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, उसने भी नृत्य और गायन में रुचि दिखाई।
गौहर की महफिलें धीरे-धीरे आगरा, लखनऊ और कानपुर तक प्रसिद्ध हो गईं। उसकी सुंदरता के कारण लोग दूर-दूर से उसे देखने आते थे।
हालांकि, उसकी लोकप्रियता के साथ-साथ दुश्मनों की संख्या भी बढ़ने लगी, जिसमें पुलिस भी शामिल थी। कई बार उसकी महफिल में आग लगाई गई और गोलियां चलाई गईं। अंततः, उसे अपने गांव लौटना पड़ा।
सुल्ताना से मिलन
एक दिन, सुल्ताना ने पुतली की सुंदरता के बारे में सुना और उसकी महफिल में शामिल होने का निर्णय लिया। उसने पुतली के नृत्य को देखकर 500 रुपये का इनाम दिया।
सुल्ताना ने एक रात पुतली को धौलपुर में एक शादी में देखा और बंदूक के बल पर उसे चंबल ले गया। वहां, दोनों के बीच प्यार हो गया। जब पुतली गर्भवती हुई, तो सुल्ताना ने उसे छोड़ दिया।
पुलिस ने पुतली को पकड़ लिया और उसके साथ दुष्कर्म किया। इस दौरान, पुतली ने एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम तन्नो रखा।
डकैत बनने की यात्रा
पुतली ने सुल्ताना से हथियार चलाना सीखा और डाकुओं के साथ मिलकर लूट और हत्या की वारदातें करने लगी। एक मुठभेड़ में, वह पुलिस की पकड़ में आ गई, लेकिन जमानत मिलने पर वह फिर से बीहड़ लौट गई।
पुतली ने उन पुलिस वालों का बदला लिया जिन्होंने उसके साथ दुष्कर्म किया था। उसने उन्हें पकड़कर उनकी उंगलियां काट दीं और उनकी अंगूठियां छीन लीं।
उसकी दहशत पूरे चंबल में फैल गई। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए कई टीमें बनाई, लेकिन पुतली हमेशा बच निकलती थी।
अंतिम मुठभेड़
1955 में, सुल्ताना और पुतली की गैंग की एक बैठक के दौरान पुलिस ने उन पर हमला किया। इस मुठभेड़ में सुल्ताना मारा गया। पुतली ने एक पत्र लिखा जिसमें उसने कहा कि सुल्ताना की हत्या पुलिस ने नहीं, बल्कि उसके दुश्मनों ने की थी।
बाद में, पुतली को बाबू लोहार ने पकड़ लिया और उसके साथ दुष्कर्म किया। पुतली ने अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए बाबू लोहार और उसके साथियों को मार डाला।
पुलिस ने 1958 में पुतली को घेर लिया और मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई। उसकी मौत के बाद, उसके समर्थकों ने प्रदर्शन किया।
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