नई दिल्ली: ब्रिटेन की 18 साल की ग्रेसी बटलर की जिंदगी अचानक बदल गई, जब डॉक्टरों ने इलाज के दौरान पहले उसके पैरों के दर्द को मांसपेशियों का दर्द और फिर टेंडोनाइटिस बताया. लेकिन हकीकत कहीं ज्यादा खौफनाक निकली जब कई दिनों के इलाज के बाद पता लगा कि महिला स्पिंडल सेल सार्कोमा, यानी कैंसर से पीड़ित हैं. इसके बाद ग्रेसी को तुरंत कीमोथेरेपी शुरू करनी पड़ी. डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि उनका पैर काटना पड़ सकता है और भविष्य में वे मां नहीं बन पाएंगी. उनके अंडे सुरक्षित रखने का वक्त नहीं था. कीमोथेरेपी, दर्दनाक सर्जरी और बार-बार के संक्रमण ने उन्हें तोड़ दिया.
गलत इलाज से जिंदगी बदली
ग्रेसी को डॉक्टर ने शुरुआत में मांसपेशियों में दर्द और बाद में टेंडोनाइटिस का इलाज किया, लेकिन जब फिजियोथेरेपी और मसल जैल से दर्द कम नहीं हुआ, तो यह स्पष्ट हो गया कि कुछ और गंभीर समस्या है. एक रात स्थिति तब और बिगड़ गई जब ग्रेसी चल नहीं पा रही थी. एक्स-रे और उसके बाद की बायोप्सी से चौंकाने वाला सच सामने आया. उसे स्पिंडल सेल सार्कोमा था, जो एक दुर्लभ और आक्रामक कैंसर ट्यूमर है. उस महिला की जिंदगी रातों रात बदल गई. शेफील्ड की ग्रेसी ने बताया, “मैं और मेरा परिवार सदमे में थे. ” ग्रेसी को जल्द ही इलाज के लिए ले जाया गया, कीमोथेरेपी करवाया गया और उसे चेतावनी दी गई कि वह अपना पैर खो सकती है या भविष्य में बच्चे पैदा करने में असमर्थ हो सकती है.
स्पिंडल सेल सार्कोमा का खुलासा
ग्रेसी के पास अपने अंडे सुरक्षित रखने का समय नहीं था, जिससे वह बहुत डरी और घबराई हुई थी. उन्होंने सबसे कठिन कीमोथेरेपी का इलाज शुरू किया. इस दौरान टीनएज कैंसर ट्रस्ट लगातार उसके साथ रहा. इलाज के चलते उसे कई हफ्ते अस्पताल में रहना पड़ा और वह बार-बार संक्रमण से जूझती रही. इलाज के चार महीने बाद डॉक्टरों को उसकी टिबिया (पिंडली की हड्डी) निकालकर कैंसर वाली कोशिकाएं (cell) हटानी पड़ीं. फिर उसी हड्डी को दोबारा पैर में लगाकर धातु की प्लेटों से जोड़ दिया गया.
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