नमस्कार दोस्तों कभी-कभी छाती में इतना कफ जम जाता है कि साँस लेना भी मुश्किल हो जाता है। छोटे बच्चे, बुज़ुर्ग या जिनकी रोग-प्रतिरोधक शक्ति कमज़ोर होती है, उनके लिए यह समस्या गंभीर साबित हो सकती है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो निमोनिया जैसी बीमारियाँ भी हो सकती हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं? सिर्फ़ 2–3 रुपये की एक साधारण सी औषधि से छाती का कफ मात्र 2 मिनट में साफ़ हो सकता है!
छाती में कफ जमने के लक्षण:
- ज़रा सा काम करने पर थकावट महसूस होना
- मुँह में मीठापन लगना
- साँस लेते समय सीटी जैसी आवाज़ आना
- चिपचिपा पसीना आना
- आलस्य महसूस होना, बार-बार नींद आना
- भूख कम लगना या थोड़ा खाने पर ही पेट भर जाना
अगर ये लक्षण दिखें, तो समझिए शरीर में कफ जमा है।
उपाय क्या है?
यह उपाय है जेष्ठमध (मुलेठी) नामक औषधीय पौधे का।
इसे हिंदी में मुलेठी कहा जाता है।
यह पौधे की मीठे स्वाद वाली जड़ होती है,
और इसमें श्वसन तंत्र से जुड़ी लगभग हर समस्या को दूर करने की शक्ति होती है।
उपयोग करने की विधि:
विधि 1: सीधे चबाकर खाएँ
- मुलेठी की एक छोटी सी काड़ी लें,
- उसे चबाएँ और रस निगलते रहें।
- इसके बाद एक कप गुनगुना पानी पिएँ।
- दिन में 3 बार ऐसा करने से छाती का कफ आसानी से बाहर निकल जाता है।
विधि 2: काढ़ा बनाकर पिएँ
- मुलेठी की 2–3 इंच की कड़ी को तोड़कर कुचल लें।
- इसे 2 कप पानी में डालकर उबालें।
- जब पानी आधा (1 कप) रह जाए तो छान लें।
- इसमें 2–3 बूँद अदरक का रस डालें।
- गुनगुना रहते ही पिएँ। बच्चों को आधा कप देना चाहिए। सुबह और शाम – सिर्फ़ 2 दिन में ही असर दिखेगा।
परिणाम:
- छाती का कफ उल्टी के रूप में बाहर निकलता है या शरीर के अंदर ही जलकर नष्ट होता है।
- ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है (99–100% तक)।
- खाँसी, बुखार, गला बैठना जैसी समस्याएँ कम होती हैं।
- आवाज़ साफ़ होती है, साँस लेना आसान होता है।
महत्वपूर्ण सावधानियाँ:
- पाउडर रूप में मुलेठी न लें, क्योंकि उसमें मिलावट हो सकती है।
- सिर्फ़ असली लकड़ी जैसी जड़ ही इस्तेमाल करें।
- मात्रा सीमित रखें।
- बच्चों और बुज़ुर्गों को आधी मात्रा ना दें।
निष्कर्ष:
मुलेठी की जड़ सचमुच हर घर में रखनी चाहिए।
यह खाँसी, कफ, गले की खराश और साँस से जुड़ी बीमारियों के लिए अमृत समान है।
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