अगर डॉलर और रुपया हो जाएं बराबर, यानी 1 डॉलर = 1 रुपया हो जाए, तो यह केवल एक विनिमय दर का परिवर्तन नहीं होगा, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर को पूरी तरह बदल सकता है। वर्तमान में एक अमेरिकी डॉलर लगभग ₹83 के बराबर है, और यही वजह है कि भारत को किसी भी विदेशी वस्तु को आयात करने में अधिक खर्च आता है। लेकिन यदि दोनों मुद्राएं बराबर हो जाएं, तो विदेशी वस्तुएं और सेवाएं इतनी सस्ती हो जाएंगी कि आम उपभोक्ता भी अंतरराष्ट्रीय जीवनशैली का अनुभव ले सकेंगे।
विदेशी वस्तुएं बन जाएंगी सस्ती और सुलभडॉलर और रुपया बराबर होने से सबसे बड़ा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा, क्योंकि लगभग हर विदेशी प्रोडक्ट भारत में सस्ता हो जाएगा। जैसे iPhone, जो अभी $999 यानी ₹83,000 तक का आता है, उसकी कीमत ₹999 हो सकती है। यही नहीं, ब्रांडेड कपड़े, विदेशी चॉकलेट्स, गाड़ियां, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रोडक्ट आम भारतीयों की पहुंच में आ जाएंगे। पेट्रोल और डीज़ल, जिनकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के आधार पर तय होती हैं, वो भी बहुत सस्ते हो सकते हैं। इससे परिवहन, सामान की ढुलाई और उत्पादन की लागत भी कम हो जाएगी।
विदेश यात्रा और उच्च शिक्षा का सपना होगा साकारडॉलर और रुपया बराबर हो जाने पर विदेश जाना, पढ़ाई करना या मेडिकल ट्रीटमेंट कराना बेहद किफायती हो जाएगा। आज भारतीय स्टूडेंट्स अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पढ़ाई करने के लिए लाखों रुपये खर्च करते हैं, लेकिन विनिमय दर समान होने पर वही खर्च कुछ हजार में सीमित रह जाएगा। टूरिज्म सेक्टर में भी भारी उछाल देखा जा सकता है क्योंकि आम भारतीय नागरिक अब आराम से यूरोप या अमेरिका जैसे देशों की यात्रा कर सकेंगे।
निर्यात, निवेश और रोजगार पर पड़ेगा असरहालांकि इस स्थिति के कुछ गंभीर नुकसान भी हैं। जब डॉलर और रुपया बराबर होंगे, तो भारतीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगे हो जाएंगे। इसका सीधा असर निर्यात पर पड़ेगा, जिससे भारत का विदेशी व्यापार घाटा बढ़ सकता है। भारत एक निर्यात प्रधान देश है, और ऐसी स्थिति में निर्यात घटने से उत्पादन कम होगा, जिससे फैक्ट्रियों और उद्योगों में नौकरियां प्रभावित होंगी। साथ ही, विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार महंगा लगने लगेगा, जिससे इन्वेस्टमेंट फ्लो भी धीमा हो सकता है।
आईटी और आउटसोर्सिंग सेक्टर पर संकटआईटी-IT और बीपीओ-BPO इंडस्ट्री भारत की बड़ी ताकत हैं, लेकिन डॉलर और रुपया बराबर होने पर इनका लाभ भी घट सकता है। आज इन कंपनियों को डॉलर में पेमेंट मिलता है, जिससे वे मुनाफा कमाते हैं। अगर एक डॉलर की वैल्यू ₹1 हो गई, तो उनका मुनाफा 80% तक गिर सकता है। इससे हजारों युवाओं की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं, और भारत की सेवाएं सस्ती होने का लाभ जो अब तक दुनिया उठा रही थी, वो खत्म हो सकता है।
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