टोक्यो, 24 जून . वैश्विक शैक्षणिक सहयोग के लिए एक ऐतिहासिक क्षण में, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने हाल ही में आयोजित दूसरे भारत-जापान उच्च शिक्षा फोरम के दौरान टोक्यो में अपनी सतत विकास रिपोर्ट (एसडीआर) 2025 का अनावरण किया.
फोरम का आयोजन समयबद्ध थीम, “भविष्य के विश्वविद्यालय: एशिया और उससे आगे लोकतंत्र, संवाद और विकास को बढ़ावा देना” के तहत किया गया था.
इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में जापान सरकार की माननीय शिक्षा, संस्कृति, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एमईएक्सटी) मंत्री तोशिको आबे ने भाग लिया, जिन्होंने आधिकारिक तौर पर एसडीआर 2025 का शुभारंभ किया.
लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की वरिष्ठ सदस्य और 2005 से जापान के प्रतिनिधि सभा में एक सम्मानित विधायक, आबे ने वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में सीमा पार शिक्षा की शक्ति को रेखांकित किया.
2005 से जापान की संसद की सदस्य टोशिको आबे ने कहा, “भारत और जापान के बीच गहरा संबंध है. यह संबंध लोकतांत्रिक मूल्यों, सांस्कृतिक सम्मान और शांति व समृद्धि की साझा सोच पर आधारित है. उन्होंने कहा कि आज की जटिल दुनिया में विश्वविद्यालयों की भूमिका बहुत अहम है. यदि हम छात्रों को नई सोच, नैतिकता और जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार करें, तो हम एक बेहतर दुनिया की नींव रख सकते हैं.”
उन्होंने कहा, “जापान भारतीय छात्रों का स्वागत करता है ताकि वे अपनी जीवंत शैक्षणिक इकोसिस्टम का अनुभव कर सकें, जो परंपरा और नवाचार दोनों से समृद्ध है. संयुक्त अनुसंधान, छात्र आदान-प्रदान और संस्थागत भागीदारी के माध्यम से, भारत और जापान ज्ञान आधारित इकोसिस्टम का सह-निर्माण कर सकते हैं. यह न केवल एशिया के लिए बल्कि वैश्विक समाधानों को भी आकार देने में अहम होगा. शिक्षा हमारे साझा भविष्य का पुल है और यह मंच उस पुल की भावना का प्रतिनिधित्व करता है.”
इस मंच में भारत और जापान के प्रमुख विश्वविद्यालयों के विद्वान, शिक्षाविद और नीति-निर्माता शामिल हुए. सभी ने मिलकर यह बात दोहराई कि भारत-जापान के बीच शैक्षणिक साझेदारी भविष्य की समावेशी शिक्षा के लिए बहुत ज़रूरी है.
जेजीयू के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ) सी. राज कुमार ने इस अवसर के गहन महत्व पर विचार करते हुए कहा, “टोक्यो में जेजीयू की सतत विकास रिपोर्ट 2025 का अनावरण उच्च शिक्षा में भारत और जापान के बीच विकसित साझेदारी में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है. यह सहयोग केवल शैक्षिक आदान-प्रदान के बारे में नहीं है. यह साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, बौद्धिक उत्कृष्टता और स्थिरता के लिए दोनों देशों की संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है. जेजीयू में, हम मानते हैं कि विश्वविद्यालयों को पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़ना चाहिए और वैश्विक चुनौतियों को हल करने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभानी चाहिए. हमारा एसडीआर 2025 इस बात का प्रमाण है कि कैसे संस्थान शिक्षा, अनुसंधान, नीति और सामुदायिक जुड़ाव को सतत विकास लक्ष्यों के साथ जोड़ सकते हैं. जैसा कि हम 21वीं सदी में विश्वविद्यालयों की भूमिका की फिर से कल्पना करते हैं, यह फोरम इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे अंतरराष्ट्रीय अकादमिक कूटनीति लचीले, समावेशी और न्यायपूर्ण समाजों के निर्माण में अपना योगदान दे सकती है.”
जेजीयू ने अपनी सस्टेनेबल डेवलपमेंट रिपोर्ट 2025 जारी की है, जो यह दिखाती है कि विश्वविद्यालय ने शिक्षा, शोध, संचालन और समाज से जुड़ाव के ज़रिए पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी को किस तरह अपनाया है. यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप तैयार की गई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि जेजीयू ने उच्च शिक्षा में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनके ठोस परिणाम भी सामने आए हैं. विश्वविद्यालय की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय मान्यता का असर टाइम्स हायर एजुकेशन इम्पैक्ट रैंकिंग्स 2025 में साफ दिखता है, जहां जेजीयू 2,500 से अधिक संस्थानों में से 2024 में 801-1000 बैंड से बढ़कर वैश्विक स्तर पर 401-600 बैंड पर पहुंच गया.
खास बात यह रही कि एसडीपी 12: जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन श्रेणी में जेजीयू को वैश्विक स्तर पर 88वां स्थान मिला है.
जेजीयू के डीन, अकादमिक गवर्नेंस कार्यालय और रिपोर्ट के प्रमुख लेखक प्रोफेसर पद्मनाभ रामानुजम ने बताया, “यह रिपोर्ट हमारे विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और प्रशासनिक विभागों द्वारा वर्षों की मेहनत का नतीजा है. हमारा लक्ष्य ऐसा विश्वविद्यालय बनाना है जो सिर्फ सतत विकास लक्ष्यों की शिक्षा न दे, बल्कि इन्हें अपने कामकाज, पढ़ाई, शोध और छात्रों के जीवन में भी अपनाए. हमारी रैंकिंग में हुआ सुधार हमारी रणनीतिक सोच और मेहनत का प्रमाण है. लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हमारे विश्वविद्यालय के भीतर एक सांस्कृतिक बदलाव को दर्शाता है, जहां शोध, समानता, और भविष्य की तैयारी को प्राथमिकता दी जा रही है. यह रिपोर्ट बताती है कि आज हम कहां हैं और कल हमें कहां पहुंचना है. कैसे उच्च शिक्षा एक स्थायी पृथ्वी के लिए बड़े परिवर्तन का नेतृत्व कर सकती है. यह दुनिया भर के विश्वविद्यालयों को सभी के लिए एक न्यायसंगत, समान और हरित भविष्य के निर्माण में हाथ मिलाने का हमारा निमंत्रण है.”
इस मौके पर भारत के सांसद और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने मुख्य अतिथि के रूप में विशेष संबोधन दिया. उन्होंने कहा, “आज के जटिल दौर में विश्वविद्यालय सिर्फ ज्ञान देने वाली जगह नहीं रह गए हैं. उन्हें लोकतंत्र के स्तंभ, विचारों की प्रयोगशाला और न्यायसंगत विकास के इंजन के रूप में विकसित होना चाहिए. भारत और जापान जैसे दो सशक्त लोकतंत्रों के बीच शैक्षिक सहयोग से हमारे पास मूल्यों, अखंडता और उद्देश्य पर आधारित अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के एक नए प्रतिमान को आकार देने का एक अनूठा अवसर है. मैं इस क्षेत्र में साहस और स्पष्टता के साथ नेतृत्व करने के लिए जेजीयू की सराहना करता हूं.
उन्होंने कहा कि टोक्यो में इसकी सतत विकास रिपोर्ट 2025 का विमोचन वैश्विक शैक्षणिक एकजुटता का एक कार्य है. यह हमें याद दिलाता है कि भविष्य के विश्वविद्यालयों को न केवल छात्रों को सोचना सिखाना चाहिए बल्कि उन्हें आम अच्छे के लिए कार्य करने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए.
जेजीयू की यह रिपोर्ट दुनिया की बड़ी समस्याओं से निपटने के लिए शिक्षा की भूमिका को एक नई दिशा देती है. टोक्यो में इसका प्रकाशन भविष्य के विश्वविद्यालयों को आकार देने में भारत-जापान की शैक्षिक साझेदारी और वैश्विक सहयोग का एक मजबूत संदेश है.
–
एएस/
You may also like
हेडफोन के दुष्प्रभाव: जानें कैसे बचें नुकसान से
बर्थडे स्पेशल: करिश्मा कपूर और आफताब शिवदासानी का है खून का रिश्ता, ननिहाल वाला है दोनों एक्टर में कनेक्शन
WHO की चेतावनी: कैंसर और लिवर की नकली दवाओं से रहें सावधान
दूध वाली चाय का किशोरों पर तनाव बढ़ाने वाला प्रभाव: नई शोध रिपोर्ट
Indira गांधी की फिल्मी छवि: एक नई पीढ़ी की कहानी