ढाका, 11 अक्टूबर . स्थानीय मीडिया ने बताया है कि बांग्लादेश सार्वजनिक और निजी संस्थानों से बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीरों को हटाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है.
मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम Government के तहत गठित राष्ट्रीय सहमति आयोग (एनसीसी) ने इसकी घोषणा की है. यह 1971 के मुक्ति संग्राम से जुड़े प्रतीकों को मिटाने के प्रयासों की श्रृंखला में एक और कदम है.
रिपोर्ट्स से पता चलता है कि आयोग के उपाध्यक्ष अली रियाज का हस्ताक्षर किया गया एक पत्र 9 अक्टूबर को Political दलों को भेजा गया था, जिसमें Saturday तक उनकी लिखित राय मांगी गई थी.
बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट ‘बीडीन्यूज24’ की रिपोर्ट के अनुसार, आयोग ने बांग्लादेशी संविधान के खंड 4 (केए) को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा है, जिसके अनुसार सभी Governmentी और गैर-Governmentी कार्यालयों और संस्थानों में बंगबंधु के चित्र प्रदर्शित किए जाने आवश्यक हैं.
इस खंड का हवाला देते हुए, एनसीसी के पत्र में कहा गया है, “जुलाई 2025 के चार्टर की ड्राफ्टिंग और कार्यान्वयन के संबंध में Political दलों और गठबंधनों के साथ बैठकें पूरी हो चुकी हैं. इस समय, आयोग जुलाई चार्टर में मौजूदा संविधान के खंड 4 (केए) को समाप्त करने के प्रस्ताव को शामिल करने पर विचार कर रहा है.”
इस बीच, बांग्लादेश लेबर पार्टी के अध्यक्ष मुस्तफिजुर रहमान ईरान ने पुष्टि की कि पार्टी को Thursday को ‘राष्ट्रीय सहमति आयोग’ से पत्र प्राप्त हुआ है.
इसके अतिरिक्त, अमर बांग्लादेश (एबी) पार्टी के अध्यक्ष ने आयोग के पत्र की प्राप्ति की पुष्टि की और कहा कि पार्टी ने अभी तक अपनी राय प्रस्तुत नहीं की है.
इससे पहले जुलाई में, 1971 के मुक्ति संग्राम के ऐतिहासिक प्रतीकों को निशाना बनाकर की गई तोड़फोड़ की एक घटना में, स्वतंत्रता स्मारक भित्ति चित्र ‘अर्जोन’ में बंगबंधु की छवि पर स्याही फेंक दी गई थी.
बांग्लादेश के प्रमुख बांग्ला दैनिक, प्रोथोम अलो ने बताया था कि यह घटना बांग्लादेश के रंगपुर शहर के मॉडर्न क्रॉसरोड्स पर हुई थी, जब पिछले साल जुलाई में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों से जुड़े छात्रों के एक समूह ने रंगपुर नगर निगम के एक बीम लिफ्टर का उपयोग करके स्प्रे कैन और काले रंग से छवि को मिटा दिया था.
अप्रैल में, कट्टरपंथियों की एक भीड़ ने ढाका के मीरपुर इलाके में शहीद बुद्धिजीवियों के स्मारक को ध्वस्त कर दिया था.
यह स्मारक बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान Pakistanी सेना द्वारा किए गए नरसंहार का प्रतीक था.
जैसे ही विध्वंस का वीडियो वायरल हुआ, कई बांग्लादेशियों ने social media पर इस विचलित करने वाले कृत्य की कड़ी निंदा की.
विशेषज्ञों ने अंतरिम Government के इस कृत्य को शहीदों का अपमान और Pakistan के प्रति उनकी तुष्टिकरण की नीति का एक हिस्सा माना.
इसी तरह की एक घटना में, मार्च में यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम Government के निर्देश पर बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में मुक्ति संग्राम स्मारक मंच के भित्तिचित्र को ध्वस्त कर दिया गया था.
पूर्व Prime Minister शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग Government के पतन और यूनुस Government के सत्ता में आने के बाद से पूरे देश में लगभग 1500 मूर्तियों, भित्तिचित्रों और स्मारकों को तोड़ा गया, आग लगाई गई या फिर उखाड़ कर फेंक दिया गया.
–
केआर/
You may also like
हरिओम कांड: “पीड़ित परिवार के आंसुओं का हिसाब लेगी योगी सरकार, मिलेगा पूरा न्याय!”
काबुल पर एयरस्ट्राइक के बाद तालिबान का भीषण पलटवार, पाकिस्तान पर एक साथ पांच प्रांतों से हमला, मुल्ला उमर के बेटे ने संभाली कमान
टीएमसी ने भाजपा पर दुर्गापुर गैंगरेप की घटना का राजनीतिकरण करने का लगाया आरोप
महिला विश्व कप: इंग्लैंड की सफलता में स्पिनरों का अहम योगदान, 3 मैच में लिए इतने विकेट
त्रिपुरा के दो और जिलों में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़त: कृषि मंत्री