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आषाढ़ माह की षष्ठी और राम भक्त हनुमान का दिन, विशेष पूजा से मिलेगा लाभ

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नई दिल्ली, 16 जून . आषाढ़ माह की षष्ठी तिथि को मंगलवार पड़ रहा है. इस दिन सूर्य देव मिथुन राशि में और चंद्र देव कुंभ राशि में रहेंगे. इस दिन विष्कंभ, त्रिपुष्कर और रवि योग बन रहा है.

पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:54 से 12:50 तक रहेगा और राहुकाल दोपहर के 03:52 से 05:36 तक रहेगा. 17-18 जून को त्रिपुष्कर योग रहेगा. यह 17 की सुबह 01:01 से लेकर 18 जून की सुबह 05:23 तक रहेगा. त्रिपुष्कर योग को अत्यंत शुभ और फलदायक योग माना जाता है, क्योंकि इसमें किए गए कार्य तीन गुना वृद्धि के साथ सफल होते हैं. यह योग विशेष रूप से व्यापार, संपत्ति क्रय, विवाह, शिक्षा, वाहन खरीद या नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत उत्तम होता है.

इस दिन कोई भी शुभ कार्य आरंभ करने से उसका प्रभाव स्थायी, त्रिगुणित और दीर्घकालिक होता है. त्रिपुष्कर योग में सफलता पाने के लिए इस दिन सुबह उठकर स्नान करके भगवान विष्णु या अपने इष्टदेव का पूजन करें, फिर संकल्प लेकर कार्य की शुरुआत करें. यदि संभव हो तो दान-पुण्य भी करें, जिससे कार्य में स्थिरता और समृद्धि बनी रहे.

षष्ठी तिथि पर मंगलवार पड़ रहा है. ऐसा दिवस जो श्री राम भक्त हनुमान को समर्पित है. स्कंद पुराण के अनुसार मंगलवार के दिन ही हनुमानजी का जन्म हुआ था. अंजनी पुत्र को प्रसन्न करने के लिए किए गए कुछ उपाय अपनाकर भक्त उनकी कृपा का पात्र बन सकते हैं. इसके लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लाल रंग का वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लेना होता है.

इसके बाद, हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ कर सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल, और प्रसाद चढ़ाएं. शाम को भी हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें और हनुमान जी की आरती करें. व्रत में केवल एक बार भोजन करें और नमक का सेवन न करें. मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शक्ति और साहस में वृद्धि होती है. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है. मान्यता है कि नियमपूर्वक बजरंगबली की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

विष्कंभ फलित ज्योतिष के अनुसार सत्ताईस योगों में से पहला योग है. ‘त्रिपुष्कर योग’ तब बनता है जब रविवार, मंगलवार व शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी व द्वादशी में से कोई तिथि हो एवं इन 2 योगों के साथ उस दिन विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, पुनर्वसु व कृत्तिका नक्षत्र हो. इसके साथ ही रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से 4 , 6 , 9 , 10 , 13 और 20 वें स्थान पर हो.

एनएस/केआर

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