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सुनिधि चौहान: जुनून, जज्बे और महिला सशक्तिकरण की मिसाल

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Mumbai , 13 अगस्त . सुनिधि चौहान भारत की बेहतरीन गायिकाओं में से एक हैं, जिन्होंने कई भारतीय भाषाओं में गाने गाए हैं. पार्टी नंबर हो या रोमांटिक ट्रैक, उनकी आवाज हर जॉनर में बेमिसाल है.

उनके कुछ यादगार गाने हैं ‘कमली’, ‘मेरे हाथ में तेरा हाथ हो’, ‘बुमरो’, ‘ए वतन’, ‘इश्क सूफियाना’, आदि.

14 अगस्त 1983 को जन्मी सुनिधि गायकी के क्षेत्र में अपने शानदार योगदान के लिए 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड और एक साउथ फिल्मफेयर अवॉर्ड सहित कई सम्मान हासिल कर चुकी हैं. कम उम्र से ही संगीत की दुनिया में कदम रखने वाली सुनिधि, आज प्लेबैक से लेकर लाइव शो तक अपनी अनूठी पहचान बना चुकी हैं. मंच पर उनका आत्मविश्वास और ऊर्जा वर्ल्ड फेमस पॉप सिंगर्स को टक्कर देता है.

वो बहुत ही सशक्त महिला हैं और चाहती हैं कि दूसरी महिलाएं भी उतनी ही सशक्त बनें. उनके अब तक के सफर पर नजर डालें तो ये साफ दिखता है.

कॉस्मोपॉलिटन को दिए एक इंटरव्यू में सुनिधि ने अपने जीवन के बारे में खुलकर बात की थी.

इतनी उम्र में भी लाइव परफॉर्मेंस करने पर सुनिधि चौहान ने कहा था कि ”अब वो इसकी आदी हो गई हैं. ये चैलेंज उन्होंने खुद ही विदेशी कलाकारों को देखकर लिया था.”

सुनिधि कहती हैं, ”लाइव शो में अब मैं ‘कैप्टन ऑफ द शिप’ हूं, सब मेरे कंट्रोल में है. यह जिम्मेदारी भी है और रोमांच भी.”

सुनिधि को महिलाओं की क्षमता पर विश्वास है. इस पर उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा था कि महिलाएं सब कुछ कर सकती हैं.

सुनिधि ने कहा था कि अगर महिलाएं तय कर लें कि वो क्या चाहती हैं तो कुछ भी असंभव नहीं. बस समय के साथ चलें, सब आसान हो जाएगा.

सुनिधि एक बच्चे की मां भी हैं. उन्होंने अपने मातृत्व के अनुभव के बारे में भी फैंस को बताया था. उन्होंने कहा था, “मातृत्व सिखाता है कि आप में कितना प्यार है और आप जीवन से कैसे निपट सकते हैं. यह धैर्य, जिम्मेदारी और अच्छे पलों का आनंद लेना सिखाता है.”

इस अनुभव को उन्होंने जीवन का सबसे अच्छा अनुभव बताया था.

सुनिधि का कहना है कि वो वर्तमान में जीती हैं और हर पल को महसूस करने में विश्वास करती हैं. गाना उनके लिए कभी काम नहीं रहा, ये उनके लिए एक जुनून है. उनकी लाइव परफॉर्मेंस को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है.

जेपी/जीकेटी

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