गुमला, 27 जून . केंद्र सरकार की योजनाओं ने देश के करोड़ों लोगों की जिंदगी बदली है. योजनाओं का लाभ उठाते हुए न सिर्फ लोगों की आर्थिक स्थिति बदली है बल्कि उनकी सामाजिक स्थिति में भी बदलाव हुआ है और वे मुख्य धारा में शामिल हुए हैं. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) ने झारखंड के गुमला जिले में कई लोगों की जिंदगी बदली है.
ओमप्रकाश साहू उर्फ पप्पू सोनी ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, “मैं 2014 से मछली पालन कर रहे हूं. मेरे पास तीन तालाब हैं. आठ लोग हमारे साथ जुड़े हुए हैं. स्थानीय बाजार में मछली की सप्लाई की जाती है. सालाना पांच से सात लाख रुपए की आमदनी होती है. हमें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से लाभ मिला है. योजना के माध्यम से ही हमने टैंक बनाए हैं. हम आर्थिक रूप से सबल हैं. यह योजना रोजगार और कमाई के दृष्टिकोण से बेहतरीन हैं और सभी को इसका लाभ उठाना चाहिए.”
गुमला जिले के ही लखन सिंह ने बताया कि पहले वह धान की खेती करते थे, लेकिन उसमें मुनाफा ज्यादा नहीं था. फिर, उन्हें मछली पालन की जानकारी मिली. इसके लिए उन्होंने प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बताया गया कि कैसे मछली उत्पादन से ज्यादा लाभ कमाया जा सकता है. उन्होंने कहा, “आज की तारीख में मैं मछली उत्पादन कर धान की खेती से ज्यादा कमाई कर रहा हूं. मैं इतनी उपयोगी योजना के लिए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री का धन्यवाद करना चाहता हूं.”
ज्योति लाकड़ा पहले एक नक्सली थे, लेकिन 2002 में वह मुख्यधारा में शामिल हुए. अब वह एक मछली चारा मिल चलाते हैं. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत उन्हें पिछले साल आठ लाख रुपए का शुद्ध लाभ हुआ था. अब वह इस योजना के बारे में स्थानीय लोगों को जानकारी देते हैं और उन्हें इससे जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. उनके माध्यम से क्षेत्र में लगभग 150 लोग मछली के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.
गुमला जिला मत्स्य पदाधिकारी कुसुम लता ने को बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना गुमला में वरदान साबित हुई है. इस योजना का लाभ जिले के सैकड़ों लोगों ने, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, उठाया है. योजना का लाभ व्यापक स्तर पर देखने के मिला है. लाभार्थियों की आर्थिक स्थिति में तो बदलाव हुआ ही है, स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन भी हुआ है. कई लोग पहले शराब के व्यापार से जुड़े हुए थे. अब वे मछली पालन से जुड़ गए हैं.
सबसे बड़ी बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में मछली उत्पादन बढ़ने की वजह से कुपोषण की समस्या में कमी आई है. इसलिए, इस योजना ने जिले में आर्थिक, सामाजिक के साथ-साथ स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी बड़ा बदलाव किया गया है.
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पीएके/एकेजे