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भारतीय कंपनियों के क्रेडिट प्रोफाइल पर रुपए में उतार-चढ़ाव का कम असर होगा : रिपोर्ट

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मुंबई, 8 अप्रैल . अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए में हाल ही में आए उतार-चढ़ाव के बावजूद, भारतीय कंपनियों के समग्र क्रेडिट प्रोफाइल के स्थिर रहने की उम्मीद है. यह जानकारी मंगलवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई.

क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि कुछ क्षेत्रों में आय पर अस्थायी दबाव देखने को मिल सकता है, लेकिन इसका असर व्यवसायों की मध्यम अवधि की वित्तीय मजबूती पर पड़ने की संभावना नहीं है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कमजोर रुपए के कारण कुछ क्षेत्रों में आयात खर्च बढ़ने के कारण इनपुट लागत बढ़ सकती है, लेकिन कंपनियां सब्सिडी, मूल्य निर्धारण रणनीतियों और हेजिंग प्रैक्टिस जैसे अलग-अलग मेकेनिज्म के जरिए इस बदलाव को मैनेज करने की अच्छी स्थिति में हैं.

इसके अतिरिक्त, कई निर्यात क्षेत्रों को रुपए के मूल्यह्रास से लाभ होने की संभावना है, जो निकट भविष्य में उनकी आय को सहारा दे सकता है.

इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी), होम टेक्सटाइल और मरीन-फूड जैसे सेक्टर को लाभ मिलेगा क्योंकि ये सेक्टर अपने राजस्व का एक बड़ा हिस्सा निर्यात से कमाते हैं जबकि उनका आयात जोखिम न्यूनतम है.

इससे उनकी लाभप्रदता में सुधार हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि लाभ का कितना हिस्सा ग्राहकों को दिया जाता है.

क्रिसिल के अनुसार, आयातित इनपुट या विदेशी मुद्रा दायित्वों के लिए महत्वपूर्ण जोखिम वाले सेक्टर जैसे कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर, तेल और गैस, एयरलाइन सेक्टर में ‘सहायक नीतियां’ और ‘हेजिंग रणनीतियां’ प्रभाव को कम करने में मदद करती हैं.

इसके अलावा, मौजूदा वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें अनुकूल बनी हुई हैं, जो तेल और गैस क्षेत्र को अतिरिक्त समर्थन प्रदान करती हैं.

पूंजीगत सामान, फार्मास्युटिकल्स और रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों से भी अच्छी तरह से समायोजित होने की उम्मीद है, कुछ क्षेत्रों को उनके निर्यात की ओर उन्मुख होने के कारण लाभ भी हो सकता है.

इस बीच, रसायन, सिरेमिक, रत्न और आभूषण, सिटी गैस वितरण, खाद्य तेल और स्टील जैसे सेक्टर में न्यूनतम प्रभाव देखने की उम्मीद है क्योंकि वे या तो संतुलित आयात-निर्यात जोखिम के माध्यम से एक नेचुरल हेज बनाए रखते हैं या उनके पास मजबूत मूल्य निर्धारण शक्ति है.

रिपोर्ट ने जोर दिया कि अल्पकालिक आय में उतार-चढ़ाव हो सकता है, कंपनियों से उम्मीद की जाती है कि वे विकसित मुद्रा परिदृश्य के अनुकूल होंगी.

रिपोर्ट में कहा गया है, “कुल मिलाकर ऋण प्रभाव तटस्थ रहने की संभावना है, क्योंकि मध्यम अवधि में यह तटस्थ हो जाएगा, जब व्यवसाय नई मुद्रा के स्तर के अनुकूल हो जाएंगे.”

एसकेटी/एबीएम

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