नई दिल्ली, 3 मई . जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रेसिडेंट सआदतुल्लाह हुसैनी और वाइस प्रेसिडेंट प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में गत 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की निंदा की और इसे इंसानियत का कत्ल बताया.
सआदतुल्लाह हुसैनी ने समाचार एजेंसी को बताया, “पहलगाम में किसी खास धर्म की हत्या नहीं बल्कि पूरी इंसानियत का कत्ल हुआ है. हमें हर चीज से ऊपर उठकर इसकी निंदा करनी चाहिए. जिन्होंने ऐसी हरकत की है, उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए. आगे ऐसा वाकया दोबारा न हो, इसके रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए.”
पहलगाम हमले के बाद हिंदू-मुस्लिम को लेकर उठ रहे सवाल पर उन्होंने कहा, “हमारा मुल्क इतना कमजोर नहीं है कि इस तरह के वाकये से बंटवारे की बात उठे. जो लोग इस तरह का काम कर रहे हैं, वे निश्चित रूप से देश विरोधी हैं. वे ऐसे संवेदनशील मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक मुद्दे के लिए कर रहे हैं. पूरे मुल्क में अभी एकता की जरूरत है. ऐसे समय पर ध्रुवीकरण करना गलत है. जो ऐसी हरकत कर रहे हैं, वे भी मुल्क के दुश्मन हैं और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.”
केंद्र सरकार के जाति जनगणना कराने के फैसले पर सलीम इंजीनियर ने कहा, “जाति जनगणना कराने के फैसले की टाइमिंग पर लोग अपनी अलग-अलग राय देंगे. बहरहाल जाति जनगणना यहां के लोगों की लंबे समय से मांग है, हमने भी इसका समर्थन किया है. अगर सरकार इसको कराने का इरादा रखती है तो हम इसकी तारीफ करते हैं और चाहते हैं कि पूरी पारदर्शिता के साथ इसे कराया जाए. सर्वे के मुताबिक जो लोग पीछे रह गए हैं, उनके लिए ठोस प्रोग्राम बनाएं.”
प्रो. सलीम इंजीनियर ने आतंकवादियों पर नफरत फैलाने के एजेंडे के तहत हमला करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “पहलगाम में आतंकवादियों ने जिन मासूमों की जान ली है, पहले उनसे उनका मजहब पूछा है. इससे एक बात साफ है कि आतंकवादियों का एजेंडा मजहब की बुनियाद पर नफरत फैलाना था. जो इस घटना के आड़ में नफरत फैला रहे हैं, वे भी आतंकवाद के इस एजेंडे को सपोर्ट कर रहे हैं. वे देश को कमजोर कर रहे हैं और नुकसान पहुंचा रहे हैं.”
सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, “देश की जनता ने देश की सत्ता को उनके हाथों में दी है. सीमाओं की रक्षा करना, लोगों की जान-माल की रक्षा करना सरकार और सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी है. अगर उसमें हम नाकाम होते हैं तो उसके लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. आतंकियों को सजा देने की कोशिश करनी चाहिए.”
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एससीएच/एकेजे
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