राजस्थान के डूंगरपुर जिले से शुक्रवार सुबह एक बेहद दर्दनाक खबर सामने आई, जहां एक मामूली सी लापरवाही ने एक मासूम बच्ची की जान ले ली। डूंगरपुर के कोतवाली थाना क्षेत्र स्थित बलवाड़ा लाल फला में रेलवे फाटक के पास पानी से भरे गड्ढे में तीन बालिकाएं अचानक गिर पड़ीं। इस हादसे में एक सात वर्षीय बच्ची प्रियंका की मौत हो गई, जबकि उसकी बड़ी बहन मोनिका और एक अन्य बालिका आरती गंभीर रूप से घायल हैं। दोनों का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।
खेलते समय हुआ हादसा, राहगीरों ने बचाई जान
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, तीनों बालिकाएं – मोनिका (9), प्रियंका (7) और आरती (12) – रेलवे फाटक के पास खेल रही थीं। इसी दौरान वे पानी से भरे एक गहरे गड्ढे में गिर गईं। यह गड्ढा सड़क किनारे बना हुआ था, जिसमें बारिश का पानी जमा था। बालिकाएं गहराई का अंदाज़ा नहीं लगा सकीं और डूबने लगीं। मौके पर से गुजर रहे एक ऑटोचालक प्रकाश डेंडोर और एक अन्य युवक ने तत्काल स्थिति को समझते हुए गड्ढे में छलांग लगा दी और बच्चियों को बाहर निकाला।
अस्पताल में डॉक्टर ने प्रियंका को मृत घोषित किया
तीनों बच्चियों को ऑटो से फौरन जिला अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने प्रियंका को मृत घोषित कर दिया। वहीं उसकी बड़ी बहन मोनिका की हालत गंभीर बताई जा रही है। आरती की हालत स्थिर बनी हुई है और दोनों को पीआईसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है। घटना की जानकारी मिलते ही परिजन व अन्य ग्रामीण भी अस्पताल पहुंचे। कोतवाली थाने के हॉस्पिटल चौकी प्रभारी ने भी अस्पताल पहुंचकर हालात का जायजा लिया और जरूरी जानकारी एकत्र की।
शव को मोर्चरी में रखा गया, प्रशासन पर बरसा आक्रोश
मृत बच्ची प्रियंका के शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखा गया है। इस हृदयविदारक हादसे के बाद इलाके में शोक और आक्रोश दोनों का माहौल देखने को मिला। स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन की गंभीर लापरवाही पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि अगर सड़क किनारे बने गड्ढे को मिट्टी से भर दिया गया होता, या वहां कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया होता, तो यह हादसा रोका जा सकता था। ग्रामीणों ने मांग की कि इस तरह के गड्ढों को तुरंत भरवाया जाए ताकि भविष्य में ऐसी किसी और जानलेवा घटना से बचा जा सके।
डॉक्टरों की टीम कर रही निगरानी, मोनिका की हालत चिंताजनक
जिला अस्पताल की पीआईसीयू वार्ड में डॉक्टरों की टीम घायल मोनिका और आरती की लगातार निगरानी कर रही है। डॉक्टरों के अनुसार, मोनिका को फेफड़ों में पानी भर जाने के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही है। आरती की हालत स्थिर है लेकिन वह मानसिक रूप से सदमे में है। अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों ने कहा कि समय पर उपचार मिलने से दोनों की जान बचाई जा सकी, हालांकि प्रियंका को बचाना संभव नहीं हो पाया।
स्थानीय प्रशासन पर उठे सवाल, जांच की मांग तेज
घटना के बाद क्षेत्रीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि डूंगरपुर जैसे जनसंख्या वाले क्षेत्र में सड़क किनारे पानी भरे गड्ढे कई स्थानों पर हैं और इन पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ग्रामीणों का आरोप है कि बार-बार शिकायत के बावजूद संबंधित विभागों ने जलभराव और गड्ढों की सफाई नहीं करवाई, जिससे ऐसे हादसे होते हैं। अब परिजन और ग्रामीण जिला प्रशासन से इस हादसे की विस्तृत जांच और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
पीड़ित परिवार सदमे में, गांव में पसरा मातम
प्रियंका की मौत से पीड़ित परिवार गहरे सदमे में है। घटना के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है। प्रियंका की मां बेसुध हालत में अस्पताल परिसर में बैठी रही, जबकि अन्य रिश्तेदारों ने मोनिका और आरती की स्थिति की जानकारी लेने के लिए डॉक्टरों से गुहार लगाई। पुलिस ने प्राथमिक जांच में हादसे को दुखद दुर्घटना करार दिया है लेकिन ग्रामीणों के दबाव के बाद अब प्रशासन पर सवालिया निगाहें हैं।
सरकारी कार्रवाई की प्रतीक्षा में ग्रामीण
फिलहाल, हादसे की सूचना उच्च प्रशासनिक अधिकारियों तक भी पहुंचा दी गई है। अब ग्रामीणों को उम्मीद है कि जिला प्रशासन न केवल मृतक बच्ची के परिवार को उचित मुआवजा देगा बल्कि आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम भी उठाएगा। इस हादसे ने एक बार फिर से सड़क सुरक्षा और प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल दी है।
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