शशि थरूर की इस दल में नियुक्ति तब हुई है जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से 'ऑपरेशन सिंदूर' का समर्थन किया था। उनकी इस टिप्पणी से पार्टी के भीतर असहमति की स्थिति बनी और कुछ कांग्रेस नेताओं ने उनके रुख पर नाराज़गी जताई।
इस घोषणा को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा करते हुए संसद मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "जो क्षण सबसे अधिक मायने रखते हैं, उनमें भारत एकजुट खड़ा होता है।" उन्होंने आगे लिखा, "सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रमुख सहयोगी देशों का दौरा करेंगे और आतंकवाद के प्रति भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का साझा संदेश देंगे। यह राजनीति से परे जाकर राष्ट्रीय एकता का शक्तिशाली प्रतीक है।"
शशि थरूर के साथ जिन अन्य सांसदों को इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया गया है, उनमें शामिल हैं:
• रविशंकर प्रसाद (भारतीय जनता पार्टी)
• संजय कुमार झा (जनता दल यूनाइटेड)
• बैजयंत पांडा (भारतीय जनता पार्टी)
• कनीमोझी करुणानिधि (डीएमके)
• सुप्रिया सुले (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी)
• श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना)
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर बताया कि 16 मई की सुबह किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में नेता विपक्ष से बात की थी, जिसमें कांग्रेस से चार सांसदों के नाम प्रस्तावित करने को कहा गया था।
इसके बाद कांग्रेस की ओर से औपचारिक रूप से जो नाम सौंपे गए, वे हैं:
• आनंद शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री
• गौरव गोगोई, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता
• डॉ. सैयद नसीर हुसैन, राज्यसभा सांसद
• राजा बराड़, लोकसभा सांसद
सूत्रों के अनुसार, प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में 5 से 6 सांसद होंगे, जो अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, क़तर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों का दौरा करेंगे। यह दौरा 22 मई के बाद शुरू होने की संभावना है और संबंधित देशों को निमंत्रण भेजे जा चुके हैं।
यह कूटनीतिक पहल भारत की उस कोशिश का हिस्सा है जिसमें पाकिस्तान की सीमा-पार आतंकवाद में भूमिका को वैश्विक मंच पर उजागर करने और अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की रणनीति अपनाई जा रही है। पूरे दौरे के समन्वय की ज़िम्मेदारी किरेन रिजिजू संभाल रहे हैं।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले में 26 आम नागरिकों की जान गई थी, जिसके जवाब में भारत ने सीमापार आतंकी ढांचों को निशाना बनाते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया था। पाकिस्तान ने जवाबी ड्रोन हमले की कोशिश की, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। हालांकि, 10 मई को सैन्य स्तर की बातचीत के बाद दोनों पक्ष तनाव कम करने पर सहमत हुए।
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