सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए हैं।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने स्पष्ट किया कि हर जिले और तालुका स्तर पर सुरक्षा अधिकारियों (Protection Officers) की नियुक्ति अनिवार्य रूप से की जाए, जो अधिनियम की धारा 9 के तहत पीड़ित महिलाओं की मदद करेंगे।
🏛️ राज्यों को 6 हफ्ते की समयसीमा
कोर्ट ने कहा कि जिन क्षेत्रों में अभी तक सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हुई है, वहां अगले 6 सप्ताह के भीतर यह प्रक्रिया पूरी की जाए।
सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और महिला एवं बाल विकास विभाग/समाज कल्याण विभाग के सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आपसी समन्वय से अधिकारियों की नियुक्ति कराएं और सुनिश्चित करें कि अधिनियम का पालन पूरी तरह से हो।
📢 धारा 11 के तहत प्रचार और जागरूकता का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 11 केंद्र और राज्यों दोनों को यह दायित्व देती है कि वे इस कानून के प्रति जागरूकता फैलाएं। इसके तहत:
मीडिया के माध्यम से प्रचार
सेवाओं का समन्वय
कानूनी प्रावधानों की जानकारी देना
राज्य सरकारें महिला आश्रय गृहों, सहायता समूहों और सेवा प्रदाताओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित करेंगी।
⚖️ निःशुल्क कानूनी सहायता की जानकारी देना अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने NALSA (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण) को निर्देश दिया है कि वह राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को सूचित करे कि वे हर जिला और तालुका स्तर पर महिला पीड़ितों को मुफ्त कानूनी सहायता और सलाह के अधिकार के बारे में जानकारी दें।
कोर्ट ने कहा:
“यदि कोई महिला कानूनी सहायता के लिए संपर्क करती है, तो उसे त्वरित सहायता दी जाए। क्योंकि यह अधिनियम हर महिला को मुफ्त कानूनी सहायता की गारंटी देता है।”
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