सिंधु जल संधि पर भारत का सख्त रवैया पाकिस्तान के लिए साफ संदेश है कि अब सीमा पार आतंकवाद पर गोलमोल बातें नहीं चलेंगी। इस्लामाबाद को अगर पानी चाहिए तो उसे आतंकियों को समर्थन देने की अपनी नीति छोड़नी होगी। पानी और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। भ्रम टूटा: भारत ने पहली बार सिंधु जल समझौता स्थगित किया है। यहां तक कि 1965, 1971 और करगिल युद्ध के दौरान भी समझौता जारी रहा। इसी वजह से पाकिस्तान को भ्रम हो गया था कि उसकी तरफ से उकसावे की चाहे जितनी भी कार्रवाई हों, पानी तो मिलता ही रहेगा। लेकिन, पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने नई दिल्ली के सब्र का बांध तोड़ दिया। बॉर्डर पर समझौते के बाद पाकिस्तान चाहता है कि सिंधु जल संधि भी बहाल हो जाए, लेकिन विदेश मंत्री जयशंकर ने बिल्कुल सही कहा है कि पहले सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद करना होगा। रिव्यू की जरूरत: वैसे भी बात इस संधि को निलंबित रखने या बहाल करने भर की नहीं है, वक्त है इसे पूरी तरह रिव्यू करने का। दोनों देशों के बीच 1960 में यह समझौता हुआ था। भारत ने मानवता दिखाते हुए पाकिस्तान के पक्ष में ज्यादा पानी की बात मान ली थी। इस संधि की वजह से सिंधु का 70% पानी पाकिस्तान को मिलता है और उसकी 80% खेती व करीब एक तिहाई हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट इसी पर निर्भर हैं। हालात बदल चुके: 1960 से लेकर अब तक हालात काफी बदल चुके हैं। जब समझौता हुआ, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि नई सदी में दुनिया के सामने क्लाइमेट चेंज की चुनौती होगी। इसके अलावा, भारत की इकॉनमी तेजी से बढ़ रही है। उसकी पानी और एनर्जी की अपनी जरूरतें हैं। पुराने समझौतों के आधार पर सिंधु जल संधि जारी रखना न तो संभव होगा और न सही। हकीकत से भाग रहा पाक: ट्रीटी में कोई भी बदलाव आपसी रजामंदी से ही किया जा सकता है। इसी वजह से भारत ने पहले भी प्रस्ताव रखा था कि संधि पर नए सिरे से बात की जाए, पर पाकिस्तान ने इसे स्वीकार नहीं किया। उल्टे वह जम्मू-कश्मीर की किशनगंगा और रतले जल विद्युत परियोजनाओं पर एतराज करता आया है। वह इस मामले को कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में ले जा चुका है। अड़ियल रवैया: पाकिस्तान की मांग एकतरफा है। वह चाहता है कि सिंधु में पानी बहता रहे, लेकिन न तो जल के उचित बंटवारे पर बात हो और न आतंकवाद पर उसे कोई एक्शन लेना पड़े। उसने शिमला एग्रीमेंट समेत दूसरे द्विपक्षीय समझौतों को न मानने की भी धमकी दी है। उसके इस अड़ियल रवैये से तनाव बढ़ेगा ही और नुकसान भी उसे ही ज्यादा होगा।
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