रूस के साथ व्यापार को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर चल रही बातचीत में अड़चन पैदा कर सकती है। यूक्रेन युद्ध रुकवाने में नाकाम रहे ट्रंप अब दूसरे जरियों से मॉस्को पर दबाव बनाना चाहते हैं। हालांकि इसमें सफलता की गारंटी नहीं और इससे दुनिया में नया तनाव पैदा हो सकता है।
50 दिनों की डेडलाइन: ट्रंप ने युद्ध खत्म करने के लिए रूस को 50 दिनों की मोहलत दी है, और यही डेडलाइन उन्होंने उन देशों के लिए रखी है, जो रूस से तेल समेत दूसरे सामान खरीदते हैं। अमेरिका की धमकी है कि इसके बाद इन देशों पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। यही बात नैटो महासचिव मार्क रूट भी दोहरा रहे हैं, बल्कि उन्होंने तो सीधे-सीधे भारत, चीन और ब्राजील का नाम लिया कि इन देशों को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन से शांति के लिए बात करनी चाहिए।
बदली रणनीति: कुछ वक्त पहले तक ट्रंप इस बात पर डटे थे कि किसी भी सूरत में यूक्रेन युद्ध रुकना चाहिए। लेकिन, जब उनका दबाव रूस पर कारगर नहीं हुआ, तो उन्होंने रणनीति बदल दी। अब वह यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने के लिए तैयार हैं और पूछ भी रहे हैं कि क्या रूस पर हमला कर लोगे?
पुरानी कोशिश: अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश चाहते हैं कि रूस को झुकाने में बाकी दुनिया भी उसका साथ दे - खासकर भारत और चीन। साल 2022 में, जब से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, अमेरिका की यही कोशिश है। पहले भी उसने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर सवाल उठाए थे और यहां से उसे इसका माकूल जवाब भी मिला था कि दुनिया के हर हिस्से के अपने-अपने हित होते हैं।
तेल का व्यापार: साल 2024-25 में भारत और रूस के बीच 68.7 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। इसमें सबसे ज्यादा फोकस में रहा तेल। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के पहले तक देश की ज्यादातर तेल जरूरत मिडल ईस्ट से पूरी होती थी और तब रूस से केवल एक फीसदी क्रूड ऑयल ही आता था। आज यह हिस्सा एक तिहाई से ज्यादा है। मई में भारत ने रूस से हर दिन करीब 20 लाख बैरल तेल मंगाया था। इस व्यापार के पीछे साधारण-सा लॉजिक है, बचत।
मजबूती से रखी जाए बात: हर रिश्ते को मुनाफे में तौलने वाले ट्रंप भारत-रूस संबंधों को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। उनके दबाव बनाने के पीछे एक वजह BRICS भी है, जिसकी सक्रियता उन्हें पसंद नहीं आ रही। भारत को इस मामले में अमेरिका के सामने अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए, जिसे पिछली बाइडन सरकार ने समझा भी था।
50 दिनों की डेडलाइन: ट्रंप ने युद्ध खत्म करने के लिए रूस को 50 दिनों की मोहलत दी है, और यही डेडलाइन उन्होंने उन देशों के लिए रखी है, जो रूस से तेल समेत दूसरे सामान खरीदते हैं। अमेरिका की धमकी है कि इसके बाद इन देशों पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। यही बात नैटो महासचिव मार्क रूट भी दोहरा रहे हैं, बल्कि उन्होंने तो सीधे-सीधे भारत, चीन और ब्राजील का नाम लिया कि इन देशों को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन से शांति के लिए बात करनी चाहिए।
बदली रणनीति: कुछ वक्त पहले तक ट्रंप इस बात पर डटे थे कि किसी भी सूरत में यूक्रेन युद्ध रुकना चाहिए। लेकिन, जब उनका दबाव रूस पर कारगर नहीं हुआ, तो उन्होंने रणनीति बदल दी। अब वह यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने के लिए तैयार हैं और पूछ भी रहे हैं कि क्या रूस पर हमला कर लोगे?
पुरानी कोशिश: अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश चाहते हैं कि रूस को झुकाने में बाकी दुनिया भी उसका साथ दे - खासकर भारत और चीन। साल 2022 में, जब से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, अमेरिका की यही कोशिश है। पहले भी उसने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर सवाल उठाए थे और यहां से उसे इसका माकूल जवाब भी मिला था कि दुनिया के हर हिस्से के अपने-अपने हित होते हैं।
तेल का व्यापार: साल 2024-25 में भारत और रूस के बीच 68.7 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। इसमें सबसे ज्यादा फोकस में रहा तेल। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के पहले तक देश की ज्यादातर तेल जरूरत मिडल ईस्ट से पूरी होती थी और तब रूस से केवल एक फीसदी क्रूड ऑयल ही आता था। आज यह हिस्सा एक तिहाई से ज्यादा है। मई में भारत ने रूस से हर दिन करीब 20 लाख बैरल तेल मंगाया था। इस व्यापार के पीछे साधारण-सा लॉजिक है, बचत।
मजबूती से रखी जाए बात: हर रिश्ते को मुनाफे में तौलने वाले ट्रंप भारत-रूस संबंधों को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। उनके दबाव बनाने के पीछे एक वजह BRICS भी है, जिसकी सक्रियता उन्हें पसंद नहीं आ रही। भारत को इस मामले में अमेरिका के सामने अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए, जिसे पिछली बाइडन सरकार ने समझा भी था।
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