UK Graduate Visa Rules For Indians: ब्रिटेन भारतीय छात्रों के लिए हायर एजुकेशन के लिए काफी ज्यादा पॉपुलर रहा है। हर साल हजारों छात्र ब्रिटिश यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लेते हैं। इस बीच ब्रिटेन में पढ़ रहे और यहां पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों के लिए 'गुड न्यूज' आई है। दरअसल, पढ़ाई के बाद नौकरी के लिए मिलने वाले यूके ग्रेजुएट रूट वीजा में कोई बदलाव नहीं होने वाला है। पोस्ट-स्टडी वर्क वीजा के तौर पर जाने वाले इस वीजा के नियम ज्यों का त्यों बने रहने वाले हैं। ब्रिटिश सरकार के इंटरनेशनल एजुकेशन चैंपियन सर स्टीव स्मिथ ने इसकी जानकारी दी है। लंदन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स परिसर में 'इंडिया-यूके अचीवर्स ऑनर्स' के तीसरे संस्करण की शुरुआत हुई। इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षाविद सर स्टीव स्मिथ ने भारत को शिक्षा के लिए 'प्राथमिकता' वाला देश बताया। स्मिथ ने कहा, "भारत के साथ मजबूत रिश्ते बनाना हमारी प्राथमिकता है।" उन्होंने आगे कहा कि ब्रिटेन, भारत के साथ शिक्षा के क्षेत्र में अपने संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। ग्रेजुएट वीजा को लेकर सर स्टीव स्मिथ ने क्या कहा?एक्सटर यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर स्मिथ ने कहा, "मेरा मैसेज बिल्कुल साफ है, अंतराष्ट्रीय छात्रों का स्वागत किया जाएगा। ब्रिटेन आने वाले छात्रों की संख्या की कोई सीमा नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि नई सरकार में ग्रेजुएट रूट में कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है। ये एक बहुत बड़ी लड़ाई रही है, लेकिन अहम बात ये है कि इसमें कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है।" भारतीय छात्रों के बीच ग्रेजुएट रूट वीजा काफी ज्यादा पॉपुलर हैं। उन्हें ही सबसे ज्यादा ये वीजा मिलता है। ग्रेजुएट रूट वीजा क्या है?ब्रिटेन में ग्रेजुएट रूट वीजा की शुरुआत जुलाई 2021 में की गई थी। इसके जरिए विदेशी छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद ब्रिटेन में दो साल तक रहने और काम करने की अनुमति मिलती है। ये वीजा भारतीयों के बीच काफी पॉपुलर है, जो इसे ब्रिटेन में बसने के लिए इस्तेमाल करते हैं। जून 2024 में खत्म हुए साल में ग्रेजुएट रूट वीजा को एक्सटेंड कराने वाले लोगों में आधे भारतीय थे। इस दौरान 67,529 भारतीयों को इसका लाभ मिला है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के लिए भारतीय छात्र इसलिए जाते हैं, क्योंकि उन्हें पढ़ाई के बाद काम का मौका मिलता है। इमिग्रेशन और एजुकेशन को लेकर क्या है सरकार का रुख?जुलाई में हुए चुनाव के बाद ब्रिटेन में लेबर पार्टी की नई सरकार आई है। प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के नेतृत्व में सरकार देश की अंतरराष्ट्रीय शिक्षा नीति की समीक्षा कर रही है। भले ही स्मिथ की तरफ से बदलाव नहीं होने का आश्वासन दिया गया है, लेकिन ग्रेजुएट वीजा को पिछली कंजर्वेटिव पार्टी वाली सरकार के कार्यकाल में भी जांच से गुजरना पड़ा था। माइग्रेशन एडवाइजरी कमेटी (MAC) ने इमिग्रेशन को लेकर चल रही राजनीतिक बहसों के बावजूद वीजा को बरकरार रखने का समर्थन किया था।मई 2024 में ब्रिटिश सरकार ने एक ब्लूप्रिंट जारी किया था, जिसमें कहा गया कि विदेशी छात्रों की संख्या को संतुलित करना होगा। ऐसा कड़े वीजा नियम बनाकर किया जा सकता है। इस दस्तावेज में प्रस्ताव दिया गया था कि ब्रिटिश यूनिवर्सिटीज को एडमिशन क्राइटीरिया कड़ा करना चाहिए, ताकि असल स्टूडेंट्स ही सिर्फ पढ़ने के लिए देश आ पाएं। ब्लूप्रिंट में बताए गए उपायों के जरिए सरकार पढ़ाई को जरिया बनाकर ब्रिटेन में बसने की सोच रहे लोगों को देश में आने से रोकना चाहती है। मौजूदा सरकार की नीति भी बिल्कुल ऐसी ही है। वह विदेशी छात्रों के एडमिशन क्राइटीरिया को कड़ा करना चाहती है। जिन एजेंट्स की मदद से छात्र पढ़ने के लिए ब्रिटेन आ रहे हैं, उनके लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करने की बात की गई है। स्टूडेंट वीजा देने के लिए जरूरी सेविंग्स अमाउंट को भी बढ़ा दिया गया है। इंग्लिश की जानकारी होने के लिए जरूरी स्कोर को भी बढ़ाने की तैयारी है। फिजिकल क्लास पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
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