हैदराबाद: नक्सलमुक्त भारत के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 की डेडलाइन तय कर रखी है। नक्सल प्रभावित राज्यों में चलाए जा रहे ऑपरेशन का असर दिखने लगा है। गुरुवार को तेलंगाना के नक्सल मूवमेंट में चर्चित दंपति ने सरेंडर कर दिया। तेलंगाना पुलिस के सामने सरेंडर करने वाले माला संजीव उर्फ लेंगु दादा और उनकी पत्नी पेरुगुला पार्वती उर्फ दीना 70 के दशक से नक्सल अभियानों में शामिल रहे थे। दोनों माओवादियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के मेंबर भी हैं।
45 साल से थे अंडरग्रांउड
पुलिस कमिश्नर सुधीर बाबू ने बताया कि संजीव जन नाट्य मंडली के संस्थापक सदस्य थे। वह क्रांतिकारी बल्लाडियर गदर के साथ भी काम कर चुके हैं। गदर ने 1970 के दशक में सीपीआई के कल्चरल विंग के रूप में नाट्य मंडली की स्थापना की थी। पुलिस ने कहा कि संजीव और उनकी पत्नी जो 45 साल से अंडरग्रांउड थे। उनका मुख्यधारा में लौटना तेलंगाना पुलिस की माओवादी आंदोलन के प्रति व्यापक रणनीति की जीत है। पुलिस ने बताया कि उन्होंने तेलंगाना सरकार की वेलफेयर योजनाओं और पुलिस विभाग के समर्थन से प्रेरित होकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। पुलिस कमिश्नर ने सभी अंडरग्रांउड माओवादियों से अपने गांवों में लौटने की अपील की है। पुलिस ने 'पोरु वड्डु - ऊरु मुड्डु’ नारा दिया है। इस नारे का मतलब कोई लड़ाई नहीं, गांव-समाज में शांति।
माओवादियों को पुनर्वास योजना के तहत मिलेगा लाभ
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि तेलंगाना सरकार नक्सली हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने वाले सभी माओवादी को पुनर्वास योजना के तहत लाभ पहुंचाएगी। सुधीर बाबू ने बताया कि लोगों के संगठनों के नाम पर, कुछ लोग शांति को खतरे में डालने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ऐसे लोगों पर नजर रखेगी और कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे ऐसे तत्वों के बहकावे में न आएं। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि युवाओं में जागरूकता के कारण माओवादी संगठन में भर्ती बंद हो गई है और कोई भी शिक्षित युवा माओवादी पार्टी में शामिल नहीं हो रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि आज की दुनिया में माओवाद पुराना हो गया है और लोगों ने हिंसा को बढ़ावा देने वाली विचारधारा को खारिज कर दिया है।
(एजेंसी इनपुट)
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