गोलाघाट: असम के गोलाघाट जिले के दुसुतिमुख गांव में गुरुवार को करीब 1,000 लोगों की भीड़ ने एक रॉयल बंगाल टाइगर को बेरहमी से मार डाला। बंगाल टाइगर की हत्या करने के बाद वो उसके शरीर के हिस्से काटकर 'ट्रॉफी' के रूप में अपने साथ ले गए। ग्रामीणों का दावा है कि यह बाघ हाल ही में एक व्यक्ति की जान ले चुका था और मवेशियों पर भी हमला कर रहा था। ये घटना काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व से लगभग 20 किलोमीटर दूर हुई। सुबह करीब 8 से 9 बजे के बीच ग्रामीणों माछेटी, भाले और लोहे की छड़ें लेकर बाघ का शिकार करने के लिए निकले। उन्होंने बाघ को एक जंगल में घेर लिया और पीट-पीट कर मार डाला। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाघ के पैर, कान, दांत और चमड़ी के कुछ हिस्से लोग अपने साथ ले गए। गोलाघाट डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) गुणदीप दास ने बताया कि बाघ की मौत तेजधार हथियारों से लगी चोटों के कारण हुई, गोली से नहीं। अब तक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है और मामला दर्ज कर लिया गया है। बाघ को बचाने की कोशिश में तीन वन कर्मचारी भी घायल हुए। पहले से ही तैयार थे ग्रामीणबाघ के शव का पोस्टमार्टम कर उसे गोलाघाट रेंज कार्यालय में अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि ग्रामीणों को मई की शुरुआत से ही बाघ की मौजूदगी की जानकारी थी और उन्होंने पहले से ही हथियार जुटा लिए थे। गुरुवार सुबह 6 बजे के आसपास बाघ के देखे जाने की सूचना मिलने पर उसकी खोज शुरू हुई थी। काजीरंगा फील्ड डायरेक्टर सोनाली घोष ने बताया कि बाघ कहां से आया था, यह अभी स्पष्ट नहीं है। इस साल असम में बाघ की यह तीसरी मौत स्थानीय विधायक मृणाल सैकिया ने घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि यह एक बेहद दुखद घटना है। धरती सिर्फ इंसानों के लिए नहीं है, बल्कि जानवरों के लिए भी है। वन्यजीवों को भी अपनी जगह चाहिए। उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। बता दें कि रॉयल बंगाल टाइगर अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लुप्त प्रजातियों की रेड लिस्ट में शामिल है और इसे भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत पूर्ण संरक्षण प्राप्त है। इस अधिनियम के तहत बाघों का शिकार, तस्करी और उनके अंगों का व्यापार पूरी तरह से प्रतिबंधित है। बता दें कि इस साल असम में बाघ की यह तीसरी मौत है। इससे पहले ओरांग राष्ट्रीय उद्यान और बिश्वनाथ वन्यजीव प्रभाग में बाघों के शव मिले थे। 2022 की जनगणना के अनुसार, असम में कुल 227 बाघ हैं।
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