पटना: बिहार विधानसभा के चुनावी जंग में एंटी इनकंबेंसी भी एक फैक्टर बन गया है। यह फैक्टर खास कर उनको ज्यादा परेशान कर रहा है जो नीतीश कुमार के कैबिनेट में रहते हैं। इस धरातल पर जदयू के तीन मंत्रियों की जीत पर एंटी इनकंबेंसी और विद्रोहियों का दबाव बनता जा रहा है। जानिए जदयू के उन मंत्रियों को जो विद्रोह को दवा कर जीत की नई इबारत लिखना चाहते हैं। नीतीश कैबिनेट के मंत्री जमा खान का अतीत उनका पीछा छोड़ नहीं पा रहा है। वर्ष 2020 में बसपा के टिकट पर जीते जमा खान का विरोधी उनके समर्थक ही हो गए हैं।
मंत्री जमा खान का हाल
बसपा से जदयू का दामन पकड़ते ही दलित मत खासकर रविदास, खरवार, रजवार आदि नाराज तो हैं ही एनडीए में जाने के कारण मुस्लिम भी इनसे काफी नाराज हो गए हां। दलित क्षेत्रों में काम नहीं होने के कारण भी इनसे काफी खफा है। विकट स्थिति यह है कि बीजेपी के ब्रज किशोर बिंद नाराज हो कर राजद के उम्मीदवार बन गए बन। इनमें साथ जुड़े बीजेपी के कई कार्यकर्ता भी नाराज हैं। सबसे बड़ी मुश्किल तो बसपा के उम्मीदवार धीरज उर्फ भान सिंह बन गए हैं। उनकी ताकत राजपूत जाति के साथ साथ बसपा के आधार वोट दलित है। यही वजह भी है कि यहां से कई विधायक बसपा के टिकट से जीत चुके हैं।महाबली सिंह दो बार और जमा खान एक बार बसपा की टिकट से विधायक बने हैं।
लेशी सिंह का हाल
धमदाहा से विधायक लेशी सिंह भी नीतीश कैबिनेट के मंत्रियों में से एक हैं। बाढ़ क्षेत्र होने के कारण यहां के किसान स्थाई समाधान चाहते हैं। यह चुकी अचानक से संभव नहीं है इसलिए जगह जगह पुल नहीं देने को ले कर आक्रोश है। सबसे बड़ा संकट यह है की धमदाहा से इनकी बेड़ा पार करने वाला कुशवाहा समाज को मूड राजद की तरफ चला गया है। यह कोई गैर ने नहीं बल्कि पूर्णिया के सांसद रहे संतोष कुशवाहा ने ही चुनाव के ऐन मौके पर पाला बदल राजद की टिकट लेशी सिंह के विरुद्ध खड़े हो गए हैं। चुकी लेशी सिंह राजपूत जाति से आती हैं इनकी संख्या कुशवाहा की तुलना में काफी कम है। लेशी सिंह का नुकसान जनसुराज के उम्मीदवार राकेश उर्फ बंटी यादव हैं। इनका परिवार भी बीजेपी की राजनीति से जुड़ा है। इस बहाने बीजेपी के कुछ वोट और साथ में यादव के मत भी जदयू की उम्मीदवार लेशी सिंह की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। इनका भरोसा नीतीश कुमार के काम पर है।
नीरज बबलू
नीतीश कैबिनेट के मंत्री व छातापुर विधायक नीरज बबलू पर भी काम न करने के आरोप लगते रहे हैं। 22 वर्षों से विधायक रहने को ले कर यह चर्चा है कि उस मुताबिक विकास नहीं हुआ है। पूरे देश और बिहार के अन्य क्षेत्रों के मुताबिक यहां काफी कम विकास हुआ है। छातापुर के यादव टोली में चले जाएं तो विकास का पता चल जायेगा। थोड़ी से बारिश होगी तो कीचड़ से भर जाता है। हालांकि छातापुर विधायक नीरज बबलू की जाति की संख्या ज्यादा नहीं है। पर यहां का चुनाव अंत अंत तक हिंदू बन मुस्लिम हो जाता है। इस धार्मिक द्वंद के कारण नीरज बबलू चुनाव जीतते आ रहे हैं। इन स्थितियों के बीच राजपूत जाति के ही अभय सिंह उर्फ मुन्ना एक हद तक राजपूत जाति में सेंधमारी कर रहे हैं। ऐसे में नीरज बबलू की ताकत राजपूत के साथ- साथ पांचपौनीया है। यह वोट नीतीश कुमार की भी ताकत है।
मंत्री जमा खान का हाल
बसपा से जदयू का दामन पकड़ते ही दलित मत खासकर रविदास, खरवार, रजवार आदि नाराज तो हैं ही एनडीए में जाने के कारण मुस्लिम भी इनसे काफी नाराज हो गए हां। दलित क्षेत्रों में काम नहीं होने के कारण भी इनसे काफी खफा है। विकट स्थिति यह है कि बीजेपी के ब्रज किशोर बिंद नाराज हो कर राजद के उम्मीदवार बन गए बन। इनमें साथ जुड़े बीजेपी के कई कार्यकर्ता भी नाराज हैं। सबसे बड़ी मुश्किल तो बसपा के उम्मीदवार धीरज उर्फ भान सिंह बन गए हैं। उनकी ताकत राजपूत जाति के साथ साथ बसपा के आधार वोट दलित है। यही वजह भी है कि यहां से कई विधायक बसपा के टिकट से जीत चुके हैं।महाबली सिंह दो बार और जमा खान एक बार बसपा की टिकट से विधायक बने हैं।
लेशी सिंह का हाल
धमदाहा से विधायक लेशी सिंह भी नीतीश कैबिनेट के मंत्रियों में से एक हैं। बाढ़ क्षेत्र होने के कारण यहां के किसान स्थाई समाधान चाहते हैं। यह चुकी अचानक से संभव नहीं है इसलिए जगह जगह पुल नहीं देने को ले कर आक्रोश है। सबसे बड़ा संकट यह है की धमदाहा से इनकी बेड़ा पार करने वाला कुशवाहा समाज को मूड राजद की तरफ चला गया है। यह कोई गैर ने नहीं बल्कि पूर्णिया के सांसद रहे संतोष कुशवाहा ने ही चुनाव के ऐन मौके पर पाला बदल राजद की टिकट लेशी सिंह के विरुद्ध खड़े हो गए हैं। चुकी लेशी सिंह राजपूत जाति से आती हैं इनकी संख्या कुशवाहा की तुलना में काफी कम है। लेशी सिंह का नुकसान जनसुराज के उम्मीदवार राकेश उर्फ बंटी यादव हैं। इनका परिवार भी बीजेपी की राजनीति से जुड़ा है। इस बहाने बीजेपी के कुछ वोट और साथ में यादव के मत भी जदयू की उम्मीदवार लेशी सिंह की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। इनका भरोसा नीतीश कुमार के काम पर है।
नीरज बबलू
नीतीश कैबिनेट के मंत्री व छातापुर विधायक नीरज बबलू पर भी काम न करने के आरोप लगते रहे हैं। 22 वर्षों से विधायक रहने को ले कर यह चर्चा है कि उस मुताबिक विकास नहीं हुआ है। पूरे देश और बिहार के अन्य क्षेत्रों के मुताबिक यहां काफी कम विकास हुआ है। छातापुर के यादव टोली में चले जाएं तो विकास का पता चल जायेगा। थोड़ी से बारिश होगी तो कीचड़ से भर जाता है। हालांकि छातापुर विधायक नीरज बबलू की जाति की संख्या ज्यादा नहीं है। पर यहां का चुनाव अंत अंत तक हिंदू बन मुस्लिम हो जाता है। इस धार्मिक द्वंद के कारण नीरज बबलू चुनाव जीतते आ रहे हैं। इन स्थितियों के बीच राजपूत जाति के ही अभय सिंह उर्फ मुन्ना एक हद तक राजपूत जाति में सेंधमारी कर रहे हैं। ऐसे में नीरज बबलू की ताकत राजपूत के साथ- साथ पांचपौनीया है। यह वोट नीतीश कुमार की भी ताकत है।
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