मुंबई : बीएमसी में तबादले और पदोन्नतियों को लेकर लाखों-करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोप लगाए जा रहे हैं, जिस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दखल देते हुए 156 इंजीनियरों के तबादले पर रोक लगा दी है। अब उद्धव सेना के विधायक और विधान मंडल में पार्टी के मुख्य प्रतोद सुनील प्रभु ने मुख्यमंत्री फडणवीस को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी ) से कराने की मांग की है। इसके पीछे प्रभु ने कारण बताया कि दरअसल, बीएमसी में तबादलें और पदोन्नतियों के तार बीएमसी से लेकर राज्य सरकार तक जुड़े हैं इसलिए बिना एसआईटी जांच के मामला सामने नहीं आ सकता।
प्रभु ने फडणवीस को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री फडणवीस को लिखे पत्र में प्रभु ने कहा कि बीएमसी का गौरवशाली इतिहास रहा है, परंतु बीते तीन वर्षों से चुनाव न होने के कारण नगर प्रशासन प्रशासक के नियंत्रण में है। इस दौरान महापालिका के कामकाज में भारी अनियमितता सामने आई है। प्रभु ने बताया कि दरअसल, बीएमसी में स्थानांतरण और पदोन्नति के इस बड़े खेल में एक आईएएस अधिकारी के नाम की चर्चा है, इसलिए मुख्यमंत्री के स्थगन से काम नहीं चलेगा। उन्होंने यहां तक सुना है कि डेवलपमेंट प्लान, बिल्डिंग प्रपोजल जैसे मालदार विभाग में तबादले के लिए लाख-लाख, करोड़-करोड़ रुपये रिश्वत लिए गए हैं। इसकी जांच एसआईटी से कराने के बाद दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि किसी और की ऐसा करने की हिम्मत नहीं हो।
700 पद खाली
प्रभु ने आरोप लगाया कि नगर अभियंता विभाग में पदोन्नति और भर्ती की प्रक्रिया समय पर नहीं की जा रही है। पात्र अभियंताओं को प्रमोशन से वंचित रखा जा रहा है, जबकि कुछ अधिकारियों को मनमाने ढंग से अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। इससे कामकाज की गुणवत्ता पर असर पड़ा है और कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा है। उन्होंने आगे बताया कि वर्तमान में प्रमुख अभियंता, उपप्रमुख अभियंता, कार्यकारी अभियंता, सहायक अभियंता और दुय्यम अभियंता सहित कुल लगभग 700 पद रिक्त हैं। पेपर लीक और स्थगित तबादलों जैसी घटनाओं ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं।
प्रभु ने फडणवीस को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री फडणवीस को लिखे पत्र में प्रभु ने कहा कि बीएमसी का गौरवशाली इतिहास रहा है, परंतु बीते तीन वर्षों से चुनाव न होने के कारण नगर प्रशासन प्रशासक के नियंत्रण में है। इस दौरान महापालिका के कामकाज में भारी अनियमितता सामने आई है। प्रभु ने बताया कि दरअसल, बीएमसी में स्थानांतरण और पदोन्नति के इस बड़े खेल में एक आईएएस अधिकारी के नाम की चर्चा है, इसलिए मुख्यमंत्री के स्थगन से काम नहीं चलेगा। उन्होंने यहां तक सुना है कि डेवलपमेंट प्लान, बिल्डिंग प्रपोजल जैसे मालदार विभाग में तबादले के लिए लाख-लाख, करोड़-करोड़ रुपये रिश्वत लिए गए हैं। इसकी जांच एसआईटी से कराने के बाद दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि किसी और की ऐसा करने की हिम्मत नहीं हो।
700 पद खाली
प्रभु ने आरोप लगाया कि नगर अभियंता विभाग में पदोन्नति और भर्ती की प्रक्रिया समय पर नहीं की जा रही है। पात्र अभियंताओं को प्रमोशन से वंचित रखा जा रहा है, जबकि कुछ अधिकारियों को मनमाने ढंग से अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। इससे कामकाज की गुणवत्ता पर असर पड़ा है और कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा है। उन्होंने आगे बताया कि वर्तमान में प्रमुख अभियंता, उपप्रमुख अभियंता, कार्यकारी अभियंता, सहायक अभियंता और दुय्यम अभियंता सहित कुल लगभग 700 पद रिक्त हैं। पेपर लीक और स्थगित तबादलों जैसी घटनाओं ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं।